कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के पेंशनभोगियों की लगातार बढ़ती मांग है कि पेंशन की राशि में बढ़ोतरी की जाए। यह मांग न केवल उनकी वित्तीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है, बल्कि यह उनके जीवन के महत्वपूर्ण वर्षों के योगदान की भी पहचान है।
हालांकि, इस मुद्दे की जड़ में एक महत्वपूर्ण सवाल छिपा हुआ है—क्या केवल पेंशन में बढ़ोतरी की मांग से पेंशनभोगियों को उनका वास्तविक हक मिल सकेगा, या इसके लिए नीति सुधार की दिशा में गंभीर कदम उठाए जाने चाहिए?
पेंशन में संशोधन की आवश्यकता
एक पेंशनभोगी ने अपनी कहानी साझा करते हुए पेंशन बढ़ोतरी के मुद्दे पर नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उनका मानना है कि पेंशन में केवल वृद्धि की मांग करने के बजाय, पेंशन योजना में संशोधन की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने इसका कारण भी स्पष्ट किया कि वर्तमान पेंशन योजनाएं, विशेषकर EPS पेंशन, जिस संरचना पर आधारित हैं, वह समय के साथ असंगत होती जा रही है। इससे पेंशनभोगियों को पर्याप्त लाभ नहीं मिल पा रहा है।
इस पेंशनभोगी का कहना था कि उन्होंने लगभग 4.5 लाख रुपये की राशि LIC के पास जमा करवाई थी, लेकिन उन्हें केवल 2088 रुपये प्रति माह की पेंशन मिल रही है। जब उन्होंने LIC से इस बारे में जानकारी मांगी, तो उन्हें बताया गया कि उस समय एफडी पर केवल 5.5% ब्याज मिल रहा था, जिसके कारण उनकी पेंशन इतनी कम हो गई।
बुजुर्गों का योगदान
यह भी ध्यान देने योग्य है कि हमारे देश के बुजुर्ग, जिन्होंने पूरी ज़िंदगी देश की सेवा की है, वे अब वित्तीय असुरक्षा और असमानता का सामना कर रहे हैं। यह विडंबना है कि वे लोग, जिन्होंने अपने कार्यकाल में देश को अपनी सेवाएं दीं, आज वित्तीय समस्याओं से जूझ रहे हैं, जबकि कुछ अन्य, जैसे विधायक, जो सिर्फ़ कुछ महीनों तक कार्यरत रहते हैं, उन्हें आजीवन पेंशन मिल रही है।
पेंशनभोगी वीरेंद्र बाबू की भावनाएं इसे और भी स्पष्ट करती हैं। वे लिखते हैं कि हमारे बुजुर्ग, जो हमारे देश की असली संपत्ति हैं, उन्हें सम्मान और संरक्षण मिलना चाहिए। उनका तात्पर्य यह है कि जो लोग जीवनभर मेहनत करके देश के निर्माण में योगदान देते हैं, उन्हें वृद्धावस्था में वित्तीय समस्याओं से जूझना नहीं पड़ना चाहिए।
समाधान की दिशा
इस स्थिति में, यह जरूरी है कि सरकार और संबंधित संगठन पेंशनभोगियों की मांगों को गंभीरता से लें और पेंशन योजनाओं में व्यापक सुधार करें। पेंशन वृद्धि की मांग केवल एक अल्पकालिक समाधान है। इससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण है कि पेंशन योजनाओं को इस प्रकार पुनर्गठित किया जाए, जिससे पेंशनभोगियों को उनकी वास्तविक जरूरतों के अनुसार पेंशन मिल सके।