EPS-95 के सफल आंदोलन के बाद, केंद्रीय श्रम मंत्री और EPFO के साथ हुई उच्च स्तरीय बैठक

ईपीएस-95 पेंशनभोगियों ने न्यूनतम पेंशन 7500 रुपये + डीए करने की मांग पर 31 जुलाई 2024 को आंदोलन किया। सरकार ने समाधान का आश्वासन दिया, जिससे आंदोलन टला। कई सांसदों और मंत्रियों ने समर्थन व्यक्त किया।

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Written by Rohit Kumar

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EPS 95 का सफल आंदोलन, केंदीय श्रम मंत्री और EPFO के साथ हुई उच्च स्तरीय बैठक

EPS 95: कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 (EPS-95) के तहत आने वाले हजारों पेंशनभोगियों ने 31 जुलाई 2024 को अपनी न्यूनतम मासिक पेंशन को 7500 रुपये + DA करने की मांग को लेकर सफल आंदोलन किया। इस आंदोलन की अगुवाई राष्ट्रीय संघर्ष समिति (NAC) के अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने की। महाराष्ट्र के कोल्हापुर-हाटकडांगले के सांसद माननीय धैर्यशील माने के अनुरोध पर राज्य के विभिन्न दलों के सांसदों की बैठक आयोजित की गई थी।

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आंदोलन की पृष्ठभूमि

बता दें, इस बैठक में कमांडर अशोक राउत ने पेंशनभोगियों की वर्तमान दयनीय स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि मौजूदा पेंशन योजना सेवानिवृत्त कर्मचारियों और उनके परिवारों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ है। कम पेंशन के कारण पेंशनभोगियों को जीवनयापन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

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श्रम मंत्री का हस्तक्षेप

EPS-95 के प्रतिनिधियों के साथ श्रम मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने एक बैठक आयोजित की और उनकी समस्याओं को गंभीरता से हल करने का आश्वासन दिया। उन्होंने पेंशनभोगियों को बताया कि प्रधानमंत्री और अन्य प्रमुख नेता उनकी समस्याओं के समाधान के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने आंदोलन को वापस लेने का आग्रह किया, जिस पर कमांडर अशोक राउत ने सहमति जताई और आंदोलन को एक निश्चित तिथि तक टालने का निर्णय लिया।

बैठक में प्रमुख उपस्थितियां

इस बैठक में कई प्रमुख नेताओं ने हिस्सा लिया, जिनमें राष्ट्रीय महासचिव वीरेंद्र सिंह राजावत, राष्ट्रीय मुख्य समन्वयक रमाकांत नरगुंड और महाराष्ट्र के 11 सांसद शामिल थे। इसके अलावा, श्रीमंत छत्रपति शाहू महाराज, धुले की सांसद श्रीमती शोभा ताई बच्चव (कांग्रेस), नागेश पाटिल अष्टिकर, संजय देशमुख, कल्याण काले, भास्करराव भागरे (राकांपा), राजाभाऊ वाजे, भाऊसाहेब वाकचौरे, ओमराजे निंबालकर और बंडू जाधव जैसे अन्य प्रमुख नेता भी उपस्थित थे।

आपातकालीन बैठक

EPFO कार्यालय में एनएसी के प्रतिनिधिमंडल के साथ एक आपातकालीन बैठक आयोजित की गई, जो देर रात तक चली। इस बैठक में सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए और विभाग ने पेंशनभोगियों की समस्याओं को जल्द से जल्द हल करने का आश्वासन दिया।

1 अगस्त की बैठक

सांसद धैर्यशील माने द्वारा बुलाई गई बैठक में 12 सांसदों और कई राज्य मंत्रियों ने भाग लिया। इनमें सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोड़, भाजपा की जलगांव सांसद सुश्री स्मिता वाघ, सांगली के निर्दलीय सांसद विशाल पाटिल, छत्रपति संभाजी नगर शिवसेना सांसद संदीपन भुमारे, शरद पवार समूह के एनसीपी सांसद सुरेश म्हात्रे और भाजपा की पुणे से राज्यसभा सांसद सुश्री मेधा कुलकर्णी शामिल थे। सभी सांसदों ने पेंशनभोगियों की समस्याओं को गंभीरता से लिया और समाधान का आश्वासन दिया। यह बैठक महाराष्ट्र सदन में आयोजित की गई थी।

आंदोलन की मांगें और भविष्य की योजना

कमांडर अशोक राउत ने कहा, “पेंशन फंड में नियमित योगदान के बावजूद पेंशनभोगियों को अपर्याप्त पेंशन मिल रही है, जिससे उनकी परेशानी बढ़ती जा रही है।” पिछले आठ सालों से देश भर के 78 लाख पेंशनभोगी न्यूनतम पेंशन में वृद्धि की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया है। अभी पेंशनभोगियों को औसतन 1,450 रुपये मासिक पेंशन मिलती है। उनकी मांग है कि पेंशनभोगियों को महंगाई भत्ते के साथ 7,500 रुपये प्रति माह और उनके जीवनसाथी के लिए मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाएं। अगर सरकार उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं करती है, तो पेंशनभोगी और कठोर कदम उठाने पर विवश होंगे।

EPS-95 की संरचना

EPS-95 के तहत कर्मचारियों के मूल वेतन का 12 प्रतिशत हिस्सा भविष्य निधि में अंशदान के रूप में आता है। इसमें से 8.33 प्रतिशत नियोक्ता की ओर से और 1.16 प्रतिशत सरकार की ओर से अंशदान होता है। हालांकि, सितंबर 2014 में अधिसूचित इन नियमों के बावजूद, पेंशनभोगी एक घटिया व्यवस्था के शिकार हैं। EPFO के आंकड़ों के अनुसार, देश भर में पेंशनभोगियों की संख्या करीब 78 लाख है।

निष्कर्ष

EPS-95 पेंशनभोगियों के आंदोलन ने सरकार और समाज का ध्यान उनकी समस्याओं की ओर खींचा है। न्यूनतम पेंशन में वृद्धि और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग को लेकर उनका संघर्ष जारी रहेगा। सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और जल्द से जल्द समाधान निकालना चाहिए, ताकि पेंशनभोगियों को एक सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार मिल सके।

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27 thoughts on “EPS-95 के सफल आंदोलन के बाद, केंद्रीय श्रम मंत्री और EPFO के साथ हुई उच्च स्तरीय बैठक”

  1. NAC head, Shri Rawat ji, Try to take everything in writing because this government is not trustworthy and honest in dodging the pensioners which they are doing till date.
    Inorder to avoid this agitation they are once again cheating us, like since last 8 years please. Don’t trust them anymore and ask them to sign an bioartite agreement before stopping this agitation please… After state elections they would again cheat the pensioners. Today under pressure they are orally promising….????????

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  2. यें कुछ नहीं करेंगे केवल मामले को लटकाएंगे.
    इन्हे प्राइवेट मैं क्या हो रहा है कुछ नहीं दिखाई देता है.
    भाई इसतरह से अबकी बार तो 240 पार हो गए अगली बार कांग्रेस के 99 भी मिलना मुश्किल है.

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  3. सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और जल्द से जल्द समाधान निकालना चाहिए, ताकि पेंशनभोगियों को एक सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार मिल सके।

    Vikram Singh
    Village Alapur Palwal Haryana

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  4. इस सरकार ने पिछले 10 साल से पेंशन भोगियों की दुर्दशा के बारे में कुछ भी नहीं सोचा और ना ही कुछ किया हमारे विचार से यह सरकार आगे भी सही नियत से कुछ नहीं करने वाली यह केवल आंदोलन को स्थगित करने की सरकार की मंशा है यह कोई भी सोच सकता है की ₹2000 के अंदर महीने भर का गुजारा पेंशन भोगी कैसे कर सकते हैं इतने छोटी सी बात को आज तक सरकार समझ नहीं पाई 30 35 साल की नौकरी के बाद पेंशन भोगियों को और अर्ध सरकारी कर्मचारी केवल ₹2000 पेंशन मिलती है कितनी लज्जा जनक और दर्द नीय स्थिति है

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  5. Eps95 pension अंतर्गत दिये जानेवाली पेन्शन जा कर्मचारी 30/35 वर्ष इमाने इतबारे सेवा देऊन सुद्धा त्यांना पेन्शन सरकार देत नशेल तर मग नेताऊंको भी पेन्शन मिळाली नाही पायीजे कारण त्यांनी पेन्शन फंडात पैसे गुंतवणूक केली नाही मग त्यांना पेन्शन का देता वैवृद्धा eps 95 वाल्याना त्यांची शेवटची जिंदगी जगूड्या

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  6. इस संभावित बातचीत के प्रस्ताव से केंद्र सरकार को फिर समय मिल जाएगा और तब तक कोई नया बहाना भी।

    कोई भी ये क्यों नही समझता कि हम कोई दया या भीख नही मांग रहे। हम हमारा हक मांग रहे हैं, हमारा बीस बाइस साल तक पैसा काटा है सरकार ने और उसे ही देने में आनाकानी कर रही हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी हमारे पक्ष में फैसला दिया है फिर भी केंद्र की मोदी सरकार अडंगा लगा कर बैठी है। आखिर क्या चाहती हैं सरकार? क्या कोई भी परिवार 2000,2500 या 3000 प्रति माह में गुजारा कर सकता है?

    बेशर्मी

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  7. एपफओ 95 का फार्मूला बदलना चाहिए पेंशन फार्मूले मे भी सरकार भादभाओ कर रही है जो फार्मूला सरकारी कर्मचारी का है वही होना चाहिए बसिक +डीए *सर्विस /12 से ही होना चाहिए ये ही फार्मूला है

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  8. Dear Sir,
    This is a very good news. We hope to get around Rs. 10,000/- p.m. (Rs. 7,500 + Applicable Industrial DA).
    The Pensioners (who have now become Sr. Citizens, after working for overall 30 years in various factories and other jobs), expect some good amount to live in peace for a few more years.
    The EPFO has built a sufficient fund (of around Rs. 8 Lakh Crores), with contribution from the concerned Employers for the welfare of their Employees, during past 30 years to disburse this much pension to all 78 Lakh Pensioners from the Interest being earned every year on this EPS Fund.

    Govt. may please understand that there will be no much burden on the Central or State Govt. and family members of over 78 Lakh Pensioners will feel relived, in case a direction is given to EPFO to pay increased pension with DA and higher pension on higher wages as per hon’ble supreme court judgement at the earliest.
    Thank you

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  9. पिछले दस साल मे ईपी एस 95स्किम के लोग
    दिल्ली जाते है. ऐ एन एस सी कमिटी के प्रतिनिधी के लोहोकरे लोकसभा के ओर राज्य सभा के सभासद आके मिळते. आपनि सहानुभूती दिखातेहै और दिल्ली श्रम मंत्रालय मे बैठक करातेहै सहानुभूती दिखातेहै ओर खाली हात भेजदेतेहै. पिछले निवेदन पे क्या विचार विमर्श हुआ ईसका ब्योरा देते नही. अगर सरकार दनेके पक्ष मे होती तो कामगार मंत्री संसद मे जो नही बढाने पक्ष मे उत्तर दिया है. वही सहि है. अब मेरे विचार मे आता हैकी महाराष्ट्र मे मराठा आरक्षण केलिए जो श्री मनोज जरांगे पाटील आंदोलन छेडरहेहै ऐसाहि आंदोलन छेडनापडेगा. तो सरकार को समज मे आयेगा.

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  10. बडे़ दुख की बात है कि हमारे देश भारत में मजदूरों को अपने देश के उन मंत्री सांसदों को जो नौकरी नहीं करते जिन्हें जनता समाज सेवा का अवसर प्रदान करती है वे दो से तीन लाख रूपये प्रति माह अपनी झोली में वेतन के रूप भरते हैं और इतना ही नहीं बिना नौकरी किए सिर्फ पांच साल बाद भारी भरकम पेंशन के हकदार बन जाते हैं। उन्हें उन मजदूरों को जो अपनी वृद्धावस्था के लिए सरकारी खजाने में अंश दान जमा करवाते हैं, ताकि वृद्धावस्था में पैसे के अभाव में जीवन यापन दुभर न हो, बताना पड़ रहा है सरकार को इतनी कम पेंशन में हमारा जीवन यापन नहीं हो पा रहा है इससे बड़ा अवनति का कारण, इससे बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण बात क्या हो सकती है इस देश के लिए।

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  11. सभी मंत्रियों की पेंशन रोक दो इनसे पानी बिजली इत्यादि का पैसा भी लिया जाना चाहिए इनके हवाई यात्रा इत्यादि का पैसा भी लिया जाना चाहिए इनकी मुफ्त की सुविधाय बंद होनी चाहिए ये सभी कारचरियो के हक का पैसा नही दे रहे ये ढीट हो चुके है इनकी आँखों मे शर्म लिहाज मर ग्स्या है ।

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