EPS 95 पेंशनधारकों की पीड़ा: न्याय की मांग

EPS 95 के पेंशनधारक अपनी नगण्य पेंशन के कारण आर्थिक तंगी और असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। वे मांग कर रहे हैं कि EPFO के पास जमा उनकी राशि को वापस कर दिया जाए, जिससे बैंक ब्याज से अधिक लाभ हो सके। उनका कहना है कि सरकारी कर्मचारियों को उच्च पेंशन मिलती है जबकि प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों को न्यूनतम पेंशन दी जाती है।

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Written by Rohit Kumar

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EPS 95 पेंशनधारकों की पीड़ा: न्याय की मांग

देश की प्रगति में अपना योगदान देने वाले EPS 95 के पेंशनधारक आज अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वे अपने जीवन की संध्या में आर्थिक तंगी और असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। EPS 95 के तहत पेंशन की नगण्य राशि न केवल उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा रही है, बल्कि उन्हें जीने के लिए भी पर्याप्त नहीं है।

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न्याय की पुकार

EPS 95 के तहत पेंशनधारकों की एक सामान्य मांग है कि उन्हें जो राशि EPFO के पास जमा है, उसे वापस कर दिया जाए। उनका मानना है कि उस राशि का बैंक ब्याज, वर्तमान पेंशन से अधिक होगा। यह मांग इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पेंशन की बढ़ोतरी की उम्मीदें लगातार धूमिल हो रही हैं। सरकार और न्यायालय दोनों ही इस पक्ष में नहीं दिखते कि पेंशनधारकों की समस्याओं का समाधान हो।

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अन्यायपूर्ण भेदभाव

पेंशनधारकों का कहना है कि जो लोग सरकारी सेवा में पांच साल सेवा कर चुके हैं, उन्हें उच्च पेंशन मिलती है, जबकि प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों को न्यूनतम पेंशन मिलती है, जो कि 1000 रुपये से लेकर 3500 रुपये तक होती है। यह अंतर क्यों? क्या प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारी देश की सेवा नहीं कर रहे हैं? यह भेदभाव न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि देश की प्रगति के लिए हानिकारक भी है।

सरकार की उदासीनता

EPS 95 के पेंशनधारकों का मानना है कि वर्तमान सरकार मध्यम वर्ग की पेंशन बढ़ाने में रुचि नहीं दिखा रही है। यह उदासीनता उनके लिए अत्यंत कष्टप्रद है, विशेषकर जब सरकारी कर्मचारियों और नेताओं की पेंशन और भत्तों में वृद्धि हो रही है। पेंशनधारक यह भी कहते हैं कि अगर यही रवैया जारी रहा तो अगला चुनाव सरकार के लिए कठिन हो सकता है।

लोकसभा का दायित्व

पेंशनधारकों का कहना है कि लोकसभा में वृद्ध नेता हैं जो अच्छी तरह जानते हैं कि EPS 95 के पेंशनधारक किस अवस्था में पहुंच गए हैं। अगर नेताओं की पेंशन और भत्ते बढ़ सकते हैं, तो EPS 95 के पेंशनधारकों की पेंशन भी बढ़नी चाहिए। लोकसभा का यह दायित्व बनता है कि वे इन बुजुर्गों के साथ न्याय करें और उनकी पेंशन में वृद्धि करें।

सेवा का सम्मान

देश की प्रगति में योगदान देने वाले प्राइवेट, एनजीओ, स्वायत शासी निकाय और निगम के कर्मचारियों को उचित पेंशन न देना उनके प्रति अन्याय है। वे कठिन परिश्रम करके सुई से लेकर जहाज तक का निर्माण, अनुरक्षण और संचालन करते हैं। ऐसे में उन्हें जीवन निर्वाह लायक पेंशन देने में आनाकानी करना शर्मनाक है।

EPS 95 के पेंशनधारकों की मांगें न केवल न्यायसंगत हैं, बल्कि उनके योगदान के प्रति सम्मान का प्रतीक भी हैं। सरकार को चाहिए कि वे इन बुजुर्गों की समस्याओं को गंभीरता से लें और उनकी पेंशन में वृद्धि करें। यह न केवल उनके जीवन स्तर को सुधारने में मदद करेगा, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी देगा कि सरकार अपने नागरिकों के प्रति संवेदनशील और उत्तरदायी है।

27 thoughts on “EPS 95 पेंशनधारकों की पीड़ा: न्याय की मांग”

  1. This is unfair. We want justice. What is the difference between govt. Employees and pvt. Employees. Law is equal for all. A pvt. Employee give their life for the country by doing more than 12 hours per day working. Govt. Should not do difference between govt. Employee and pvt. Employee. Pvt. Pentioners are living a very bad life. The children are not looking after them because they are not getting pension like that govt. Employees. If govt. Can not do justice with pvt. Pentioners then make a law to hang like them pentioners after retirement. The govt. Has closed their eyes and ears. Court is also not doing justice with them then t
    Where they go for justice.

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  2. निजी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी पूरी मेहनत को लगन से कार्य करते हैं फिर भी उनका कार्य को देखते हुए उनको उनके उनको मेहनत का फल नहीं मिलता है ऐसा क्यों होना ही पेंशन में कोई बढ़ोतरी होती है

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  3. जब सरकार और न्यायालय चीटीं जैसे चाल वाले हों तो ये ही हाल होता है। काम चोरों और हराम खोरों को फ्री में बाटो। देश को फिर से गुलाम बनाओ। मेहनतकश को हरामखोर में परिवर्तित कर देश में तरक्की करवाओ।

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  4. हम लोग मूर्ख है,
    करोना कालावधी मे असंगठित कर्मचारी यो के अहित मे निर्णय देने वाले निर्लज सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक अधिकारी जिनहोणे उद्योजक वर्ग के फायदे के लिये प्रधान मंत्री के दबाव मे आके ” काम नहि तणखा नहि ” फैसला सुनाया, और इंहोणें तणखा पुरी उठाई, सभी,मंत्री,और राज्य और केंद्रीय अधिकारी सभी को उनकी तणखा लेणे मे शर्म नहि आई.
    और आबा चुनाव आई तो सरकारी तिजोरीयोसे स्कीम के नाम पे पैसे बाट रहे है,
    जलद ही भारत का बांगला देश तो नहि बनेगा ना ?

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  5. ये कामगारों पर काला धब्बा है। इसको कानून बनाने वाली कांग्रेस पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। वर्तमान सरकार बेचारी कुछ करती नहीं। क्योंकि ये उनके कार्यकाल का मसला नहीं। इन्हें तो दूसरे को कोसने में आनंद मिलता है।

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  6. Sabhi EPS Pensioners yeh Demand karen ki ya to pension badhao nahin to hamara paisa jo pension fund mein deposit hai woh sabko wapis kiya jaye or EPFO ko band kiya jaye. Paisa with interest milna chahiye. Or yeh jo EPFO jo baar baar naye hathkandey apna kar pension dene se mana karta hai issey band kar do. Kyunki yeh apna wada poora nhin kar saktey. Hamara paisa hamen do phir hum Sr. Citizen ki pension to le sakte hain . Iske chakkar mein hamen Sr. Citizen ki pension bhi nahin milti. Hum apne Paise ka interest mangtey hain woh bhi nahin milta or iski wajah se Sr. Citizen ki pension bhi nahin dete. Har taraf se yeh Govt. EPS pensioners ko loot rahi hai or kehtey hain hum Gareeb or majdoor ke saath hain. Yeh Govt. Siraf Buisnessman ke saath mili hui hai. Ab lagta hai ki Opposition jo is Govt ke liye kehti hai wahi sach hai. Agar abhi bhi yeh nahi sunte to inka har level par Bahiskaar karo. Kisan sangathit hain unhen sab milta hai. Par hum sangathit nahin usika fayda Govt. Utha rahi hai. Rawat ji is vishey par sochen

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  7. ये सरकार अगर नही सुनती हमारी समस्या तो आने वाले अगले इलेक्शन में सब जो पैंशन वाले है वो सब मिलकर पासा पलट दो और दूसरी पार्टी को अपना समर्थन दे दो

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  8. Epf-95 pentioner working with honestly and faithfully for their employer and give their contribution as per rules to epfo during his services of 25 or 35 years. In this way they also give their contribution for serve thair money to nation. After their retirement they get only 1000 or 3000 rupies as epf pention. This is really injustice with epf -95 pentioners. Supreme court have to order to give justice and give suitable pention to epf-95 pentior and give order for iqual life living situation for all pentioners in india.

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  9. Aap isi layak hai. isme koi galat baat Nahi. Apka Neta Disha Vihin, Modi ke Paksh ka aadmi. SirAshwashn se Adhik Kuchh nahi chahta. Aap sabne vote bhi BJP ko hi diya aur aage bhi denge. Apka neta khulkar bol nahi sakta ki pension increase nahi to vote nahi dena. Kathor decision lene par hi Sambhav hoga. Karo ya Maro ki policy apnani hogi tab ye sarkar pension bhi badhayegi Ram Ram bhi karegi.

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  10. Sub andha kanoon hai.Mp and Mla if elected 3times or4times they get three times or 4times pension. What is contribution for the nation of these mp/mla. Whereas private employees pay income tax for whole life of there services. Whereas pvt employee get injustice for there rights. Whereas you govt should offer government services to every person. Also Bjp govt gives promises to eps employees for increase in pension. Also think about Koshiyari committee ,this committee also infavour of increase in pension . I have No of points to discuss ,but time and space issue.ok

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  11. Vartman modi ji ki sarkar ne pichle 14 varshon se is vishya par yadi jarasi bhi gambheerta dikhlihoti to shaayad aajbna to sarkar ki vote bank me ye durdhana hoti na hi pvt sector ke majdooron ki ye durdasha hoti aaj kendiya karmchari school teachers banks sabhi ki dasha pvt karmchari se kayi guna har haal me behtar hai nisandeh bhavishya me yadi yadi yahi nirnaya Raha to satta ki durdha bhi majdoor apni majboori me nota dabakar dikhlane ko majboor hosaktaa hai ye nishchit taur par sambhav hai

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