EPS 95 पेंशन: सरकार का रवैया और कर्मचारियों की मांग?

EPS-95 पेंशनभोगियों की मांगों के बावजूद, सरकार ने अब तक उनकी मांगों को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया है।

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Written by Rohit Kumar

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EPS 95 पेंशन: सरकार का रवैया और कर्मचारियों की मांग?

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत आने वाली कर्मचारी पेंशन योजना (EPS-95) के पेंशनभोगियों ने लंबे समय से अपनी पेंशन में वृद्धि की मांग की है। वर्तमान में, EPS-95 के तहत पेंशनभोगियों को न्यूनतम मासिक पेंशन 1,000 रुपये मिलती है, जो सितंबर 2014 से लागू है। पेंशनभोगियों का कहना है कि यह राशि उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है और उन्हें आर्थिक तौर पर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

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क्या है पेंशनभोगियों की मांगें

EPS-95 पेंशनभोगियों ने न्यूनतम मासिक पेंशन को 7,500 रुपये तक बढ़ाने की मांग की है। इसके अतिरिक्त, वे महंगाई भत्ते (DA) और मेडिकल सुविधाएं भी चाहते हैं। राष्ट्रीय आंदोलन समिति (NAC) के नेतृत्व में, पेंशनभोगियों ने अपनी मांगों को लेकर कई बार भूख हड़ताल और प्रदर्शन किए हैं। NAC के अध्यक्ष अशोक राउत ने कहा कि “तीस साल की सेवा के बाद भी, कर्मचारियों को इतनी कम पेंशन मिल रही है कि वे और उनके परिवार मुश्किल से गुजर-बसर कर पा रहे हैं”।

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सरकार का रुख

सरकार का कहना है कि वर्तमान वित्तीय स्थिति को देखते हुए EPS-95 योजना के तहत न्यूनतम पेंशन राशि में वृद्धि करना संभव नहीं है। केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने संसद में बताया कि बिना अतिरिक्त बजटीय समर्थन के पेंशन राशि में वृद्धि करना योजना की वित्तीय स्थिरता को खतरे में डाल सकता है। सरकार ने योजना की समीक्षा और मूल्यांकन के लिए एक उच्च शक्ति वाली निगरानी समिति का गठन किया है, जिसने पेंशन में वृद्धि की सिफारि​श की है। ​इसके लिए कुछ शर्तों को पूरा करना आवश्यक है।

EPS-95 पेंशनभोगियों की मांगें जायज हैं और उन्हें समर्थन मिलना चाहिए। हालांकि, सरकार की आर्थिक स्थिति और बजटीय सीमाओं को देखते हुए, यह संभव है कि तुरंत सभी मांगों को पूरा करना मुश्किल हो।

फिर भी, सरकार को पेंशनभोगियों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उनके लिए एक उचित समाधान निकालना चाहिए। यह केवल आर्थिक सुरक्षा का ही नहीं ​बल्कि उन वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान और गरिमा का भी सवाल है, जिन्होंने अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा नौकरी करते हुए खपा दिया है।

2 thoughts on “EPS 95 पेंशन: सरकार का रवैया और कर्मचारियों की मांग?”

  1. Sarkar minimum EPS Pension ke saath agar budhapa pension ko bhi add kar de to 4 – 5 thousand pension ho jati hai. Par Govt. Kuch karna hi nahin chahti. Jo abhi pension dee ja rahi hai woh to pensioners ko apne contribution ka interest hai. Govt budhapa pension bhi agar de to yeh Amt 4-5 thousand ho jata hai. Desh mein Sr. Citizens ko Govt. Pension de sakti hai to EPS Pensioners ko budhapa pensioners kyuon nahin. Kya yeh log Sr. Citizen ki catagory mein nahin aatey. Yeh bhi to Sr. Citizen hain inko budhapa pension kyuon nahin. Leaders ko 5 saal ke baad pension kyuon. Karamchariyon ko pension ke liye 10 saal service jaroori hai to in Leaders ko 5 saal mein Pension kaise dee ja sakti hai. Yeh to Andha batey rewari phir phir Apne ko de wali baat hai. Apne haath mein power hai kuch bhi kar lo. Baaki kisi ko kuch mat do. Ye jo neta samaj sewa ki baten kartey hain sab apna hi sochte hain. Isliye sabhi Pensioners sangathit ho kar apni awaj uthayen taki yeh andhi behri sarkar kuch sune

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