कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) और केंद्र सरकार ने हाल ही में EPS 95 पेंशनभोगियों के संबंध में एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें पेंशन की न्यूनतम राशि को बढ़ाने के विकल्पों पर चर्चा की गई। इस बैठक के प्रमुख बिंदुओं और पेंशनर्स की प्रतिक्रियाओं को देखते हुए यह स्पष्ट होता है कि आगामी दिनों में पेंशन संरचना में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन हो सकते हैं।
पेंशनभोगियों की मुख्य चिंताएँ
- सरकारी योगदान: पेंशनभोगी रामकृष्ण पिल्लई के अनुसार, सरकार द्वारा पेंशन फंड में नियोक्ता के रूप में 14% से 18.5% तक का योगदान दिया जा रहा है। यह योगदान कुल वेतन के आधार पर होता है, जो पेंशनभोगियों के लिए एक सकारात्मक पहलू है।
- न्यूनतम पेंशन की मांग: पेंशनभोगियों ने न्यूनतम पेंशन को 7500 रुपये तक बढ़ाने की मांग की है, जिसे सरकार द्वारा विचाराधीन बताया गया है। यह वृद्धि पेंशनभोगियों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण होगी।
- पेंशन योग्य वेतन सीमा: वर्तमान में पेंशन योग्य वेतन की सीमा 15,000 रुपये है, जिसे बढ़ाने की मांग की जा रही है। इससे पेंशनभोगियों को अधिक पेंशन लाभ मिल सकेगा।
- सरकारी और नियोक्ता योगदान: पेंशनभोगियों ने यह भी मांग की है कि सरकार और नियोक्ता कुल वेतन के आधार पर अधिक योगदान दें, जिससे पेंशन फंड में बढ़ोतरी हो।
- सेवा अवधि और पेंशन: पिल्लई ने यह भी उल्लेख किया कि पेंशन योग्य सेवा को 33 वर्ष से घटाकर 25 वर्ष करने की मांग की जा रही है, जिससे पेंशनभोगियों को अधिक लाभ मिल सके।
संभावित परिणाम
इस बैठक से उम्मीद है कि सरकार और EPFO की ओर से कुछ सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे, जिससे पेंशनभोगियों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके। पेंशनभोगियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण समय है, क्योंकि उनकी दीर्घकालीन सेवा और योगदान के लिए उचित पारिश्रमिक की आवश्यकता है।
इस तरह की चर्चाएँ और बैठकें पेंशनभोगियों के लिए नई आशाएँ जगाती हैं और सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं कि वह अपने वरिष्ठ नागरिकों की चिंता करती है और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए प्रयत्नशील है।