EPS 95 Pension: देश में कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (EPS-95) को लेकर पेंशनभोगियों में निरंतर बढ़ती असंतोष की भावना ने लोकसभा में बार-बार इस मुद्दे को उठाने पर मजबूर किया है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) और केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वे EPS-95 के तहत मिलने वाली न्यूनतम पेंशन को 1000 रुपये से बढ़ाकर 7500 रुपये करें। इस मांग को लेकर पेंशनर्स और सांसदों ने सरकार से तीव्र कार्रवाई की अपील की है।
EPS-95 के पेंशनर्स के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए, लोकसभा में सांसद सुप्रिया सुले ने इस मुद्दे को उठाया और पेंशनभोगियों की समस्याओं को जोर-शोर से पेश किया। पेंशनर्स का मानना है कि उनके द्वारा जी रही कठिन परिस्थितियों को लेकर लोकसभा में आवाज उठाना एक आवश्यक कदम है, और इसके लिए सुले का धन्यवाद व्यक्त किया गया है।
सरकार पर पेंशनर्स का आरोप
वहीं, आरएसपी के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने भी लंबे समय से इस मुद्दे को संसद में उठाया है। पेंशनर्स के समर्थन में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्यक्तिगत रूप से भी मुलाकात की है। बावजूद इसके, पेंशनभोगियों का कहना है कि सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। पेंशनर्स का आरोप है कि सरकार वरिष्ठ नागरिकों, विशेष रूप से EPS 95 पेंशनभोगियों, को देश पर बोझ मानती है और उनके हितों को नजरअंदाज कर रही है।
कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहे पेंशनर्स
EPS-95 पेंशनभोगियों की नाराजगी इस तथ्य से भी जुड़ी है कि वे बेहद दयनीय परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहे हैं, जबकि प्रधानमंत्री मोदी कई मौकों पर अपने गरीब परिवार से होने का उल्लेख करते हैं। पेंशनर्स का मानना है कि सरकार की यह संवेदनहीनता लोकतंत्र के उस मूल सिद्धांत के विपरीत है, जिसमें समाज के सभी वर्गों के लिए समान अधिकार और अवसर की बात की जाती है।
न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी की मांग
सरकार से यह मांग की जा रही है कि बिना देरी किए न्यूनतम पेंशन को बढ़ाने और पेंशनभोगियों की स्थिति में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। पेंशनर्स ने चेतावनी दी है कि यदि इस मुद्दे का समाधान नहीं किया गया, तो यह सरकार की छवि पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, विशेष रूप से आगामी 2024 के चुनावों में। देश के हर वर्ग में सरकार की कार्यशैली को लेकर निराशा की भावना पनप रही है, जो भविष्य में सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के तहत पेंशनभोगियों की स्थिति में सुधार की मांग तेजी से जोर पकड़ रही है और सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह जल्द से जल्द इस मुद्दे पर उचित कदम उठाए। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो आने वाले समय में सरकार को इसके गंभीर राजनीतिक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।