EPFO का अलर्ट! नई नौकरी में UAN शेयर करना भूले तो हो सकती है बड़ी परेशानी

नई नौकरी जॉइन करते वक्त UAN (यूनिवर्सल अकाउंट नंबर) शेयर करना बेहद जरूरी है। अगर आपने ऐसा नहीं किया, तो आपका पीएफ ट्रांसफर अटक सकता है, और दोहरी मेंबरशिप की परेशानी हो सकती है। EPFO ने चेतावनी दी है कि इस छोटी सी लापरवाही से भविष्य में क्लेम और पेंशन पाने में बड़ी दिक्कतें आ सकती हैं।

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Written by Rohit Kumar

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EPFO का अलर्ट! नई नौकरी में UAN शेयर करना भूले तो हो सकती है बड़ी परेशानी
EPFO का अलर्ट! नई नौकरी में UAN शेयर करना भूले तो हो सकती है बड़ी परेशानी

अगर आप नौकरी बदलने की सोच रहे हैं, या हाल ही में आपने जॉब चेंज किया है, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) ने साफ चेतावनी दी है, कि अगर आपने अपनी नई नौकरी में Universal Account Number (UAN) नहीं दिया, तो इससे आपकी पुरानी EPF (Employees Provident Fund) अकाउंट डॉर्मेंट हो सकती है। यह स्थिति आपकी भविष्य की बचत और PF ट्रांसफर से जुड़े कई बड़े झंझटों को जन्म दे सकती है।

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UAN क्या है और क्यों है यह जरूरी

Universal Account Number यानी UAN एक यूनिक 12 अंकों की पहचान संख्या है, जिसे EPFO द्वारा हर सदस्य को दिया जाता है। यह नंबर आपके EPF खाते से जुड़ा होता है। और इसके जरिए ही आपका PF अकाउंट ट्रैक किया जाता है। जब आप नौकरी बदलते हैं, तो यह UAN आपके साथ बना रहता है, और नई कंपनी में भी इसी के जरिए PF कंट्रीब्यूशन चालू रहता है।

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आपकी पुरानी कंपनी ने आपके PF में जो योगदान दिया है, वह इसी नंबर से जुड़ा होता है। जब आप नई कंपनी जॉइन करते हैं और UAN नहीं देते, तो नई कंपनी आपके नाम से नया PF अकाउंट बना सकती है, जिससे आपके PF बैलेंस का रिकॉर्ड बंट जाता है और ट्रैकिंग मुश्किल हो जाती है।

UAN न देने पर क्या हो सकती हैं दिक्कतें

अगर आपने नई कंपनी को अपना UAN नहीं दिया, तो आपके पुराने EPF खाते में PF का कोई योगदान नहीं होगा। EPFO की गाइड लाइंस के मुताबिक, यदि 36 महीनों तक किसी PF अकाउंट में कोई ट्रांजैक्शन नहीं होता है, तो वह अकाउंट डॉर्मेंट यानी निष्क्रिय घोषित कर दिया जाता है। ऐसे में आपके पुराने PF फंड पर ब्याज रुक सकता है और आपकी सेविंग्स ग्रो नहीं हो पाएंगी।

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डॉर्मेंट अकाउंट का एक और नुकसान यह है, कि जब आप भविष्य में PF निकालना चाहेंगे या ट्रांसफर करना चाहेंगे, तो उसमें काफी समय लग सकता है। आपको बार-बार EPFO के पास दौड़ लगानी पड़ सकती है, और प्रोसेस काफी जटिल हो सकता है।

PF ट्रांसफर में हो सकती है बड़ी देरी

UAN शेयर नहीं करने से सबसे बड़ा नुकसान PF ट्रांसफर में होता है। जब नई कंपनी अलग UAN के साथ नया PF अकाउंट बनाती है, तो बाद में दोनों खातों को मर्ज कराना बेहद मुश्किल हो जाता है। इससे PF का पैसा एक खाते में रहने की बजाय अलग-अलग हिस्सों में बंट जाता है और इसका ट्रैक रखना आपके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

इतना ही नहीं, कई मामलों में नई कंपनी मान लेती है, कि कर्मचारी PF नहीं कटवाना चाहता, जिससे आपकी सेवा अवधि में PF कंट्रीब्यूशन की असंगति उत्पन्न हो सकती है। यह भविष्य में पेंशन क्लेम करने या सेविंग ट्रैकिंग में गड़बड़ी पैदा कर सकता है।

कैसे बचें इस परेशानी से

जब भी आप नई नौकरी जॉइन करें, तो ऑफर लेटर स्वीकार करने के साथ ही HR को अपना UAN अवश्य दें। इससे आपकी पुरानी और नई PF डिटेल्स जुड़ी रहेंगी और आपको कोई भी परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी। साथ ही, आप अपने UAN से जुड़े EPFO पोर्टल या Umang ऐप पर लॉग इन करके यह भी जांच सकते हैं कि आपकी नई कंपनी आपका PF कटौती कर रही है या नहीं।

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EPFO के मुताबिक, UAN की मदद से एक ही प्लेटफॉर्म पर आपकी पूरी PF हिस्ट्री देखी जा सकती है। यह न सिर्फ पारदर्शिता लाता है, बल्कि आपके रिटायरमेंट फंड को सुरक्षित और संगठित बनाए रखने में भी मदद करता है।

नियोक्ता की भी है जिम्मेदारी

EPFO की गाइड लाइंस के अनुसार, नियोक्ता की यह जिम्मेदारी है कि वह नए जॉइन करने वाले कर्मचारी से UAN की जानकारी मांगे और उसे PF सिस्टम में लिंक करें। अगर नियोक्ता यह प्रक्रिया नहीं करता, तो उसे बाद में क़ानूनी सम्बन्धी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है।

PF और भविष्य की बचत पर असर

यदि आपकी PF कटौती में रुकावट आती है, तो यह आपकी रिटायरमेंट प्लानिंग पर सीधा असर डालती है। EPF एक लंबी अवधि की निवेश योजना है, जो हर महीने छोटी बचत के रूप में बड़ा फंड तैयार करती है। अगर इस योजना में योगदान बंद हो जाए या गड़बड़ी आ जाए, तो आपके रिटायरमेंट के लिए तैयार किया गया फंड प्रभावित हो सकता है।

इसके अलावा, जब आप PF निकालना चाहेंगे या Advance Claim करेंगे, तो यदि UAN लिंक न हो, तो आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है, या लंबा समय लग सकता है। कई बार तो बैंक के KYC दस्तावेज भी डॉर्मेंट अकाउंट में अपडेट नहीं रहते, जिससे वेरीफिकेशन में भी दिक्कत आती है।

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