18 अगस्त 2024 को कलबुर्गी में EPS पेंशनधारकों का एक बड़ा सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में पेंशनधारक जुटे। इस कार्यक्रम में प्रमुख वक्ताओं में वीरेंद्र सिंह रजावत, अशोक रावत, शोभा आरस, सरिता, रमाकांत, एनआर खेड़े, और पार्वती राव जैसे प्रमुख नेतागण शामिल थे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, जिसके बाद बाहर से आए महानुभावों का शाल ओढ़ाकर स्वागत किया गया।
वीरेंद्र सिंह रजावत का जोशीला भाषण
राष्ट्रीय महासचिव वीरेंद्र सिंह रजावत ने अपने जोशपूर्ण भाषण में EPFO के ऑफिसों पर ताला ठोकने और 31 अगस्त तक EPS पेंशनधारकों की मांगों को पूरा करने की चुनौती दी। उन्होंने कहा, “जितने भी EPFO ऑफिस हैं, उन पर ताला लगाना पड़ेगा यदि हमारी मांगें नहीं मानी गईं।” उन्होंने साफ तौर पर कहा कि 31 अगस्त तक अगर समाधान नहीं निकला तो आंदोलन की दिशा और तेज होगी।
सेंट्रल वर्किंग कमेटी का सख्त निर्णय
सेंट्रल वर्किंग कमेटी ने भी इस सम्मेलन में यह निर्णय लिया कि अगर 31 अगस्त तक EPS पेंशनधारकों की मांगें नहीं मानी गईं तो बीजेपी सरकार का बहिष्कार किया जाएगा। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि 2013 से लेकर अब तक सिर्फ आश्वासन दिए गए, लेकिन पेंशनधारकों की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया। इसलिए, अगर इस बार भी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो पेंशनधारक आगामी चुनाव में बीजेपी का समर्थन नहीं करेंगे।
मिनिमम पेंशन पर चर्चा
कमांडर अशोक रावत ने मिनिमम पेंशन की समस्या पर चर्चा की और मंत्री और EPFO से हुई मुलाकात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में जिन पेंशनधारकों को ₹1000 की पेंशन मिलती है, उन्हें बढ़ाकर ₹7500 और महंगाई भत्ता देने की मांग की गई है। मंत्री के साथ हुई बैठक में इस मुद्दे पर गहन चर्चा हुई, जहां मंत्री ने स्वीकार किया कि जिन लोगों ने योगदान नहीं किया उन्हें ₹3000 की पेंशन मिल रही है, जबकि जिन लोगों ने नियमित योगदान किया है, उन्हें ज्यादा पेंशन मिलनी चाहिए।
जंतर मंतर पर अनशन की तैयारी
31 तारीख को जंतर मंतर पर एक बड़े अनशन आंदोलन की भी योजना बनाई गई है, जहां पेंशनधारक अपनी मांगों के समर्थन में जुटेंगे। 30 अगस्त को मंत्री से एक और मुलाकात की संभावना है, जिसमें अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
सम्मेलन के बाद संदेश
सम्मेलन के अंत में वक्ताओं ने पेंशनधारकों से अपील की कि वे एकजुट होकर अपनी मांगों के लिए लड़ें और अपने हक की पेंशन प्राप्त करने के लिए संघर्ष करें। इसके साथ ही, आगामी चुनावों में पेंशनधारकों की मांगों को समर्थन देने वाली पार्टी को ही वोट देने का निर्णय भी इस सम्मेलन में लिया गया।
यह सम्मेलन EPS पेंशनधारकों के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। 31 अगस्त तक अगर उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं, तो आने वाले दिनों में आंदोलन और तेज हो सकता है।