कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (EPS-95) के तहत पेंशन की मौजूदा स्थिति पेंशनभोगियों के लिए निराशा का कारण बन गई है। मात्र 1000 रुपये की मासिक पेंशन से परिवार का खर्च चलाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। केंद्रीय बजट में उम्मीद थी कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कुछ ऐसे कदम उठाएंगी, जिससे पेंशनभोगियों को राहत मिल सके। पेंशन आंदोलन के नेताओं ने दो बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और उन्हें आश्वासन भी मिला था, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं हुआ।
सरकार और EPFO पर टिप्पणी
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) और मोदी सरकार के खिलाफ विभिन्न प्रकार की टिप्पणियां की जा रही हैं। EPS-95 न्यूनतम पेंशन को लेकर पेंशनभोगी रामकृष्ण पिल्लई ने राज्य सभा में सरकार के जवाब को हैरान करने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि पुराने कर्मचारियों के लिए बजटीय सहायता के साथ न्यूनतम पेंशन में वृद्धि की कोई योजना नहीं है।
पेंशन योग्य वेतन सीमा
पेंशन योग्य वेतन सीमा 6500 रुपये थी, जिसके अनुसार अधिकांश पेंशनभोगियों को मात्र 2140 रुपये प्रति माह की न्यूनतम पेंशन मिलती है। इसका अर्थ है कि 2000 रुपये की न्यूनतम पेंशन देने के लिए अतिरिक्त बजटीय सहायता केवल 31 अगस्त 2014 तक सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों तक ही सीमित होगी। यह स्थिति सरकार को स्पष्ट रूप से समझाई जानी चाहिए।
बजटीय सहायता की सिफारिश
2018 में उच्चस्तरीय समिति (HPC) ने बजटीय सहायता के साथ 2000 रुपये प्रति माह की न्यूनतम पेंशन की सिफारिश की थी, लेकिन इस सिफारिश पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। पेंशनभोगियों का मानना है कि सरकार ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे को नजरअंदाज कर दिया है।
युवा कर्मचारियों का भविष्य
बता दें, इस मामले पर ब्रह्माजी राव वसंथाराव ने EPS-95 पेंशन के मुद्दे पर खुलकर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि फुर्सत के कर्मचारी कहीं भी लोकप्रिय नहीं हैं और सरकार की नजर में सारे बूढ़े बोझ बन गए हैं। उनके अनुसार, जब एक 25 वर्षीय युवक नौकरी शुरू करता है, तो उसकी पहली महीने की सैलरी सरकार के EPFO खाते में जमा होती है। यह राशि 40 साल तक सरकार के पास रहती है, जब तक वह कर्मचारी रिटायर नहीं होता।
कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के तहत मिलने वाली न्यूनतम पेंशन पेंशनभोगियों के लिए निराशाजनक है। पेंशनभोगियों को उचित समर्थन और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। बजटीय सहायता के माध्यम से न्यूनतम पेंशन में वृद्धि की सिफारिशों को लागू करना आवश्यक है ताकि पेंशनभोगियों को वित्तीय स्थिरता मिल सके और वे सम्मानपूर्वक जीवनयापन कर सकें।
Senior citizens of private sector are asking for the money which they kept as a pension source for their own future. This money doesn’t belong to the government as it not invested by the government. In 2024 how can one survive with Rs 1000/-. The company employers should also back this purpose in order to get justice to their old ex workers.
Sarkar apne ghar kam karne valo ko kya itna salary deti hey ???
Every time central government,, state government, retired employees get 6th,7th,8th, pagar panch benefits, what it show by government ???
2140, /- not right rupees for EPF95 retired pensioner per month
NDA government is not having extra budget for EPF 95 pensioners. Whereas various government schemes are running. How all these money are coming from? We at this old age unable to survive in this 1000/₹. Basically our problems are so acute that not to be discussed but fill in the heart.
Request to the rulling government give us a space to servive.
सरकार को हमारी जरूरत ही नहीं है वो तो केवल सबका साथ सबका विकास में लगी है उसको इपीएफओ से क्या लेना देना
Thanks
Nirmala sitaram you and modi saheb not more time in power if not considered our demand after paying contribution through out my service
Wait our reaction I will convince all relatives and friends not to vote bjp
Hate bjp
1044rs miltahai
Sharkar private painsioner keliye kuch acchi subhidha kerna chahiye,Minimum jo lok 25 years job Kiya unku 10000/ painsion dena chahiye,
Government is least bothered about the pension for middle class unreserved senior citizen who used to work in private sector. Getting a pension of Rs 1000/- don’t solve any purpose. Epfo has to put forward our case to the Government seriously l hope
सरकार को सबका साथ चाहिए पर सबका विकास नहीं चाहिए गवर्नमेंट कर्मचारियों को इतनी हाई पेंशन कहां से दी जाती है और प्राइवेट कर्मचारियों के लिए फंड कहां से गायब हो जाता है रिटायरमेंट के बाद तो सब एक जैसे हो जाते हैं
सरकार को यदि सबका साथ और सबका विकास चाहिए तब सबको एक ही नजर से देखना पड़ेगा सरकारी कर्मचारियों से प्राइवेट कर्मचारियों की संख्या कम नहीं