कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) से संबंधित एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिससे हजारों श्रमिकों पर असर पड़ सकता है। यह फैसला कर्मचारी भविष्य निधि योजना, 1952 के पैराग्राफ 83 और कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 के पैराग्राफ 43ए के अंतरराष्ट्रीय श्रमिकों के लिए विशिष्ट प्रावधानों से जुड़ा है।
इसके अनुसार, 15,000 रुपये तक के मूल वेतन वाले अंतरराष्ट्रीय कर्मचारियों को इस योजना के दायरे में लाया गया था। EPFO अब इस फैसले के संबंध में आगे की कार्रवाई पर विचार कर रहा है।
क्या है कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला?
कर्नाटक हाईकोर्ट ने विदेशी श्रमिकों को EPF स्कीम में शामिल करने के प्रावधान को असंवैधानिक और मनमाना ठहराते हुए खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14 के साथ असंगत है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने कहा है कि वह इस फैसले के संबंध में आगे की कार्रवाई पर विचार कर रहा है।
कर्मचारी भविष्य निधि योजना, 1952 का पैराग्राफ 83
पैराग्राफ 83 के तहत, एक अक्तूबर, 2008 से प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय कर्मचारी जिसका मूल वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता) 15,000 रुपये प्रति माह तक है, वे अनिवार्य रूप से इस योजना के दायरे में आएंगे। यह प्रावधान विदेशी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से शामिल किया गया था।
सामाजिक सुरक्षा समझौते
भारत का वर्तमान में 21 देशों के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौता है। ये समझौते पारस्परिक आधार पर इन देशों के कर्मचारियों के लिए निरंतर सामाजिक सुरक्षा दायरा सुनिश्चित करते हैं। ईपीएफओ ने कहा कि इन समझौतों का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय रोजगार के दौरान कर्मचारियों की निर्बाध सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराना है।
EPFO का तर्क
EPFO का मानना है कि इन समझौतों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। उसने कहा कि अंतरराष्ट्रीय आवाजाही को बढ़ावा देने और जनसंख्या संबंधी लाभांश का लाभ उठाने के लिए ये समझौते भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। ईपीएफओ भारत में इन सामाजिक सुरक्षा समझौतों के लिए परिचालन एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
कर्नाटक हाईकोर्ट का यह फैसला विदेशी श्रमिकों के लिए EPF स्कीम में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। इस फैसले के बाद EPFO को अपने प्रावधानों और नीतियों की समीक्षा करनी होगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे संविधान के अनुरूप हैं। भविष्य में इस फैसले का असर लाखों कर्मचारियों पर पड़ सकता है और इसे ध्यान में रखते हुए आगे की रणनीति बनाई जानी चाहिए।