EPS 95 के तहत पेंशन के फॉर्मूले में बदलाव का प्रस्ताव

EPFO मासिक पेंशन निर्धारण के मौजूदा फॉर्मूले में बदलाव पर विचार कर रहा है। प्रस्तावित फॉर्मूले में अंतिम 60 महीने के औसत वेतन की बजाय पूरी सेवा अवधि के औसत वेतन को शामिल किया जाएगा। इससे पेंशन की राशि कम हो सकती है। अंतिम निर्णय 'एक्चुअरी' की रिपोर्ट आने के बाद होगा।

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Written by Rohit Kumar

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EPS 95 के तहत पेंशन के फॉर्मूले में बदलाव का प्रस्ताव

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के नए प्रस्ताव

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) मासिक पेंशन निर्धारण के मौजूदा फॉर्मूले में बदलाव पर विचार कर रहा है। प्रस्ताव के अनुसार, पूरी पेंशन योग्य सेवा के दौरान प्राप्त औसत पेंशन योग्य वेतन के आधार पर मासिक पेंशन निर्धारित की जाएगी। हालांकि, इस बारे में अंतिम निर्णय पेंशन, उसके लिये भुगतान राशि और जोखिम का आकलन करने वाले ‘एक्चुअरी’ की रिपोर्ट आने के बाद ही किया जाएगा।

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मौजूदा फॉर्मूला और संभावित बदलाव

वर्तमान में, EPFO कर्मचारी पेंशन योजना (EPS-95) के तहत मासिक पेंशन के निर्धारण के लिए अंतिम 60 महीने के औसत वेतन का उपयोग करता है। सूत्रों के अनुसार, प्रस्तावित बदलाव के तहत, अंतिम 60 महीने के औसत वेतन की जगह पूरी पेंशन योग्य सेवा के दौरान प्राप्त औसत पेंशन योग्य वेतन को शामिल किया जाएगा।

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उच्च पेंशन का विकल्प चुनने वालों पर असर

अगर EPFO पेंशन के फॉर्मूले में बदलाव करता है, तो उच्च पेंशन का विकल्प चुनने वालों समेत सभी की मासिक पेंशन मौजूदा फॉर्मूले के मुकाबले कम होगी। उदाहरण के लिए, अगर किसी का अंतिम 60 महीने का औसत वेतन 80,000 रुपये है और उसकी पेंशन योग्य नौकरी 32 साल है, तो मौजूदा फॉर्मूले के तहत उसकी पेंशन 36,571 रुपये होगी। वहीं, नई पद्धति के अनुसार, नौकरी के शुरुआती दिनों के वेतन को भी शामिल करने से मासिक पेंशन कम हो जाएगी।

उच्चतम न्यायालय का निर्देश

पिछले साल नवंबर में उच्चतम न्यायालय ने सरकार से अंशधारकों को उच्च पेंशन का विकल्प चुनने के लिए चार महीने का समय देने को कहा था। इसके तहत EPFO ने ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध कराई है।

पेंशन फंड का वित्तीय प्रबंधन

वर्तमान में, EPFO अंशधारक पेंशन के लिए निर्धारित सीमा 15,000 रुपये मासिक वेतन पर योगदान करते हैं जबकि उनका वास्तविक वेतन इससे अधिक होता है। कर्मचारी EPFO की सामाजिक सुरक्षा योजना में 12 प्रतिशत का योगदान करते हैं। वहीं नियोक्ता के 12 प्रतिशत योगदान में से 8.33 प्रतिशत EPS में जाता है।

वित्तीय बोझ और नए फॉर्मूले की जरूरत

सूत्रों के अनुसार, लंबे समय तक अधिक पेंशन देने से वित्तीय बोझ पड़ सकता है, इसीलिए नए फॉर्मूले पर विचार किया जा रहा है। EPFO की 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार, पेंशन कोष में 6,89,211 करोड़ रुपये जमा हैं और EPS कोष पर EPFO को 2021-22 में 50,614 करोड़ रुपये का ब्याज मिला।

EPFO के पेंशन फॉर्मूले में प्रस्तावित बदलाव पेंशनरों और अंशधारकों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। नए फॉर्मूले से मासिक पेंशन की राशि में कमी आ सकती है, लेकिन यह बदलाव वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी माना जा रहा है। पेंशनरों और अंशधारकों को इस बदलाव की जानकारी रखते हुए अपनी योजना बनानी चाहिए।

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10 thoughts on “EPS 95 के तहत पेंशन के फॉर्मूले में बदलाव का प्रस्ताव”

  1. EPFO द्वारा लिया गया निर्णय गलत न्यायसंगत नही है।सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार अंतिम वर्ष का औसत के अनुसार पेन्शन की गणना की जायेगी इस प्रकार EPFO द्वारा सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना की जा रही है।

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  2. EPFO द्वारा लिया गया निर्णय गलत न्यायसंगत नही है।सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार अंतिम वर्ष का औसत के अनुसार पेन्शन की गणना की जायेगी इस प्रकार EPFO द्वारा सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना की जा रही है।

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  3. In the Bandra office Pension Department is doing all frauds and not calculating the Pension Rightly even not replying to RTI APPLICATIONS and Mantralaya Application C also not taking up the matter on board, where does the common people entitled for Pension go for Justice everyone cannot afford to go to Court have been going to bandra since 2013 for Justice nothing yet happening

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  4. सरकार वृद्धा पेंशन भी ₹2500 देती है, यहां पेंशन के लिए कंट्रीब्यूशन करके भी ₹1500 दिए जा रहे हैं₹1500 में कैसे गुजर हो सकता है गैस का सिलेंडर ही ₹900 के लगभग आता है। हमारी सरकार से विनम्र निवेदन है कि कम से कम रू7500 पेंशन करनी चाहिए, ताकि हम जैसे लोगों के परिवार का गुजारा थोड़ा चल सके।

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