भारत में EPS 95 पेंशनधारकों द्वारा न्यूनतम पेंशन राशि को 1000 रुपये से बढ़ाकर 7500 रुपये करने की मांग तेजी से जोर पकड़ रही है। पेंशनभोगियों का यह आंदोलन सिर्फ़ आर्थिक सहायता की जरूरत ही नहीं बल्कि सामाजिक न्याय की भी मांग कर रहा है। उम्र के आखिरी पड़ाव में, जहां जीवनयापन की चुनौतियां और अधिक कठिन हो जाती हैं, वहां 1000 रुपये की पेंशन उनके लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे में पेंशनधारक उम्मीद कर रहे हैं कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) उनकी इस जायज मांग को मानेगा और उनकी पेंशन में उचित वृद्धि करेगा।
पेंशनधारकों की नाराजगी और उम्मीदें
इस मांग की राह में आ रही अड़चनों से पेंशनधारक नाराज हैं। केंद्र सरकार, श्रम मंत्रालय, और EPFO पर उनकी नाराजगी साफ़ झलकती है। उनका मानना है कि सरकार द्वारा उनकी इस गंभीर समस्या पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। गौतम चक्रवर्ती, जो एक वरिष्ठ नागरिक हैं, ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों की मांगों को जिस तरह से मान्यता दी है, वह सराहनीय है, लेकिन निजी स्कूलों के शिक्षकों और अन्य संगठित क्षेत्रों के कर्मचारियों के योगदान को भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
निजी क्षेत्र के कर्मचारियों का योगदान
पेंशनधारकों का कहना है कि निजी स्कूलों के शिक्षक, निजी अस्पतालों के कर्मचारी, और अन्य संगठित क्षेत्रों में काम करने वाले लोग राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये सभी व्यक्ति अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर देश को वैश्विक मंचों पर सम्मान दिलाते हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश, जैसे ही ये लोग वृद्धावस्था में पहुंचते हैं, सरकार और समाज दोनों ही उन्हें भूल जाते हैं।
इस समय जब जरूरी वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं, तब भी EPS 95 पेंशनभोगियों को औसतन 1400 रुपये मासिक पेंशन से अपना गुजारा करना पड़ रहा है। यह स्थिति उनकी आर्थिक असुरक्षा को और गहरा करती है। इस पेंशन राशि को बढ़ाने की मांग करते हुए पेंशनभोगी इसे ‘चोट पर नमक छिड़कने’ जैसा मानते हैं।
संसद में उठी आवाज़
मौजूदा मानसून सत्र के दौरान, लोकसभा और राज्यसभा में विभिन्न दलों के सांसदों ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर पेंशनधारकों की दयनीय स्थिति पर आवाज उठाई है। उन्होंने पेंशन वृद्धि की मांग को पुरजोर तरीके से प्रस्तुत किया, लेकिन टीम मोदी पर इसका कोई खास असर होता नहीं दिख रहा। सरकार ने इस मामले में अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, जो पेंशनधारकों के बीच और अधिक नाराजगी का कारण बन रहा है।
पेंशनधारकों की रणनीति
पेंशनधारकों ने उत्तर प्रदेश विधानसभा की दस सीटों पर होने वाले उपचुनावों में भाजपा के खिलाफ एक रणनीति तैयार की है। वे मानते हैं कि इस चुनाव के माध्यम से सरकार को श्रमिकों के प्रति किए गए खराब व्यवहार के लिए एक मूल्य चुकाना पड़ेगा। यह उपचुनाव पेंशनधारकों के लिए अपनी शक्ति प्रदर्शित करने का एक अहम मौका प्रदान करता है।
किसानों से समर्थन की अपील
बता दें ,पेंशनधारकों ने किसानों से भी अपील की है कि वे उनकी इस संघर्ष में उनका साथ दें। उनका मानना है कि किसान अपनी संगठनात्मक ताकत का इस्तेमाल करके एनडीए सरकार को पेंशन वृद्धि के लिए मजबूर कर सकते हैं। उन्होंने किसानों को याद दिलाया कि उनके योगदान का लाभ समाज के सभी वर्गों ने उठाया है, और अब समय आ गया है कि वे पेंशनधारकों की इस जायज मांग का समर्थन करें।
निष्कर्ष
EPS 95 पेंशन वृद्धि की मांग आज के समय की एक महत्वपूर्ण जरूरत बन गई है। पेंशनधारकों की इस मांग में न सिर्फ़ उनका आर्थिक हक़ शामिल है, बल्कि यह उनके सम्मान और गरिमा की लड़ाई भी है। सरकार को चाहिए कि वह इस मांग पर गंभीरता से विचार करे और वृद्धावस्था में इन पेंशनधारकों को एक सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार दे।
मुजे सिर्फ 1120/- रुपिये प्रति माह EPS-95 से मिलते है.
मुझे सिर्फ 897 रुपए मिलता है
Jab politics me sirf 5 saal ke baad pension hota hai, lekin private sector me 35 saal ki baad bina pension kaise gujara hoga ye toh sochne ki baat hai. Kripaya iss par dhyan de sarkaar. Freebies me vote ke liye kafi kharcha karane bale neta ye jarur soche eak sadharana admi jab hackse banchit hoga to kya hoga? Isliye binamra nibedana hai ki eak parivaar ka kharcha uthane ke jitna sahi hoga dijie. Nahin toh pension bhogiyon ne sarkaar ki khilaf andolana karenge, sab ko 1000 pension me gujara karna hoga
बहुत ही महत्त्व पुरन्य है.
Please pay attention to colleges and universities those who are not paying PF and EPF to their employees. EPFO must check these organisations also.
Which are trust based organisation and employees are are more than 50/100. Such organisations must be chalked out
सभी नेता उसी फंड से पेंशन ले रहे है और हम लोगों से भी ज्यादा तभी तो उन्हें फंड का पैसा वापस भी नही करना और न पेंशन को बढ़ाना है
Absolutely true.Govt of India is totally against service sector,who are paying service tax,GST as well income tax.Medical Insurence is also levied with GST.
What employment sector has got no importance.
Govt of India is not bothered at all.
Stricke and big Agitation needed.
After serving 44 years iam getting rs 1300 pension
I have been getting a meagre pension of only Rs 2,040/- per month from EPFO after my retirement from a Govt. of Gujarat Undertaking dealing in forest products in Gujarat State which is insufficient to meet my daily necessities. Hence, I have to prolong hand to my children for monetary help. We have been agitating in Delhi under the banner of National Agitation Committee led by Commander Ashok Ravatji & his team. The Govt. is not heeding our request for a liveable minimum pension of Rs 7,500/- + D A + Medical facilities. But ignoring the demand of minimum liveable pension will cost this Govt. heavy in the ensuing bye election in Uttar Pradesh & Assembly elections in Maharashtra & Haryana.