पेंशनभोगियों की मृत्यु हो जाने के बाद पेंशन धारक के परिवार को पेंशन प्राप्त करने के लिए बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिसका मुख्य कारण पेंशन के नियमों की अधूरी जानकारी होना भी है। जिसकी वजह से उन्हें पेंशन का दावा करने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। तो क्या आप भी उन्हीं में से एक है।
जिनको इसके नियमों के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। तो आप चिंता न करें क्योंकि आज हम आपको इस लेख में पूरी जानकारी प्रदान करेंगे। इसके साथ ही केंद्र सरकार के द्वारा दिए गए निर्देशों के बारे में भी जानकारी प्रदान की जाएगी। ताकि आपको आगे दोबारा से पेंशन से संबंधित परेशानी न हो।
PPO के आधार पर मिलती है Pension
किसी भी कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद PPO के आधार पर ही पेंशन प्रदान की जाती है। अगर किसी कारणवश पेंशन धारक की मृत्यु हो जाती है तो उसके बदले उसके नॉमिनी को पेंशन प्रदान की जाती है। पीपीओ के अंतर्गत पेंशन धारक एक नॉमिनी का नाम भी दर्ज किया जाता है। ताकि मृत्यु के बाद उसको पेंशन प्राप्त हो सकें। पेंशन धारक के नॉमिनी में उसके बच्चे, माता पिता, या पत्नी का नाम होता है। तो अगर कभी किसी भी कारणवश पेंशन धारक की मृत्यु हो जाती है, तो उसके बाद उनके नॉमिनी को क्या करना चाहिए ? ऐसी स्थिति में आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
पेंशनभोगी के साथ जॉइंट एकाउंट में पेंशन
अगर पेंशन धारक की पेंशन संयुक्त यानी के ज्वाइंट अकाउंट में पेंशन आती थी तो उनकी मृत्यु के बाद उनके नॉमिनी यानी के उनकी पत्नी को हाथ से लिखे हुए आवेदन पत्र से आवेदन करना होगा। इसके साथ ही नॉमिनी को पेंशनधारक का मृत्यु प्रमाण पत्र भी जमा करना होगा।
इसके बाद नॉमिनी को अपना जन्म प्रमाण पत्र भी जमा करना होगा। ताकि 80 वर्ष की आयु के पश्चात उन्हें अतिरिक्त 20% पेंशन का लाभ मिल सके। इसके साथ-साथ उन्हें पत्नी को एक अंडरटेकिंग भी प्रदान करना होगा। अंडरटेकिंग में यह बताया गया होता है की पेंशनभोगी को किसी भी प्रकार का अन्य भुगतान नहीं किया गया है। तो वह उसको वापस करेंगे।
पेंशनभोगी के साथ जॉइंट एकाउंट में पेंशन नहीं निकलती है तो
अगर पेंशनधारक की पेंशन जॉइंट एकाउंट में नहीं आती थी तो ऐसी स्थिति में पत्नी को फॉर्म 14 भरना होगा और उसको जमा करना होगा। इसके साथ ही आवश्यक दस्तावेजों को भी जमा करवाना होगा।
बैंक की जिम्मेदारी
जब पत्नी के द्वारा सभी दस्तावेजों को जमा करवा दिया जाए तो उसके बाद बैंक की जिम्मेदारी बनती है की वह उस पेंशन को बदलकर पारिवारिक पेंशन में ट्रांसफर कर दे। इसके बाद फैमिली पेंशन का भुगतान उसी दिन से होना चाहिए जिस तारीख को पेंशनधारक की मृत्यु हो गई हो। इसके बाद बैंक को बिना देरी लगाए फैमिली पेंशन की शुरुआत कर देनी चाहिए।
वही अगर किसी कारणवश बैंक को इस प्रक्रिया में देरी लगती है तो पहले महीने से प्रोविजनल पेंशन का भुगतान करना बनता है। जो की अधिकतम 6 महीने के लिए दी जाती है। इसके बाद बैंक को किसी भी तरीके से फैमिली पेंशन की शुरुआत करनी होगी। इस न करने पर नॉमिनी ब्याज का हकदार होता है।
फैमिली पेंशन की मात्रा
अगर किसी कारण से पेंशनभोगी की मृत्यु सेवानिवृत्ति के 7 वर्षों के भीतर हो जाती है। तो ऐसी स्थिति में परिवार को भी वही पेंशन प्रदान की जाएगी जो की पेंशन धारक को दी जा रही थी। यानी के परिवार को भी पूरी पेंशन प्रदान की जाएगी। आप सभी को यह भी बता दे की यह पेंशन तब तक प्रदान की जाती है, जब तक अगर जीवित होते, 67 साल के नहीं हो जाते।
उदाहरण के लिए मान लीजिए की अगर कोई कर्मचारी 60 वर्ष की आयु में रिटायर होता हैं और 62 वर्ष की आयु में उसकी मृत्यु हो जाती है। तो ऐसी ही स्थिति में पेंशन धारक के परिवार को अगले 5 वर्षों के लाए उतनी ही और वही पेंशन प्रदान की जाएगी। जो की पेंशन धारक को प्रदान की जा रही थी। यानी के अगर पेंशन धारक जिंदा होते तो उनकी आयु 67 होने तक उनके परिवार को पूरी पेंशन मिलेगी। इसके बाद उनके परिवार को पेंशन का 60 % प्रदान किया जाएगा।
अगर किसी पेंशनभोगी की मृत्यु रिटायर होने के 7 वर्षों के भीतर हो जाती है, तो पेंशन धारक के परिवार को बेसिक पेंशन का 60% प्रदान किया जाता है।
उदाहरण के लिए मान लीजिए किसी पेंशन धारक की मृत्यु 67 वर्ष के बाद होती है। तो ऐसी स्थिति में उसके परिवार को बेसिक पेंशन का केवल 60% प्रदान किया जाएगा।
DA का होगा भुगतान
जब पेंशन धारक की मृत्यु हो जाती है। तो उसके परिवार को पेंशनधारक की मृत्यु के बाद पेंशन के साथ-साथ महंगाई भत्ता भी प्रदान किया जाता है। आपको यह भी बता दे की बेसिक पेंशन पर लागू महंगाई भत्ते की दर के अनुसार पूरा भुगतान किया जाता है, इसमें कोई कटौती नहीं होती।
कम्युटेशन की कटौती हो जाएगी बंद
यदि पेंशन धारक ने कम्युटेशन करवाया था और उनकी किसी कारणवश मृत्यु हो जाती है। तो उनकी मृत्यु के बाद कम्युटेशन की कटौती बंद हो जायेगी। उसके बाद उनके परिवार को पूरी पेंशन प्रदान की जाएगी। वैसे तो सामान्य तौर पर कम्युटेशन की कटौती 15 वर्षों के बाद होती है। लेकिन अगर तब तक पेंशन धारक की मृत्यु हो जाती है। तो इस कटौती को माफ कर दिया जाता है। जिसके कारण परिवार को पूरी पेंशन प्रदान की जाती है।
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सर श्री चण्डी प्रसाद उनियाल बनाम उत्तराखण ड का डिसीजन की कापी कैसे प्राप्त होगी की c व D के कर्मचारी से रिटायरम ट पर रिकवरी – नही की जायेगी