OPS Update: पुरानी पेंशन बहाली सरकारी कर्मचारियों की मांग, UPS-NPS के खिलाफ 26 तारीख को होगा विरोध प्रदर्शन

केंद्र सरकार द्वारा लागू 'यूनिफाइड पेंशन स्कीम' (यूपीएस) से सरकारी कर्मचारी नाराज हैं और व्यापक विरोध कर रहे हैं, उनकी मांग है कि पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को फिर से बहाल किया जाए।

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Written by Rohit Kumar

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OPS Update: पुरानी पेंशन फिर से हो बहाल, NPS-UPS के खिलाफ होगा विरोध प्रदर्शन

OPS Update: केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में प्रस्तावित ‘यूनिफाइड पेंशन स्कीम’ (UPS) का घोर विरोध सरकारी कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है। यह नई पेंशन योजना, जो कि NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) का सुधारित रूप है, को लेकर विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने मजबूत प्रतिरोध दर्ज किया है।

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प्रमुख विरोध के कारण

कर्मचारी संगठनों का कहना है कि नई योजना से उनकी वित्तीय सुरक्षा में कमी आएगी और इससे उनकी रिटायरमेंट की आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इन संगठनों ने केंद्र सरकार के UPS पर नोटिफिकेशन आने से पहले ही विरोध का बिगुल बजा दिया है और प्रधानमंत्री मोदी को भी पत्र लिखकर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं।

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कर्मचारियों की मांगें

कर्मचारियों का मुख्य मांग यह है कि सरकार UPS/NPS को वापस ले और पुरानी पेंशन योजना (OPS) को फिर से बहाल करे। इस मांग के समर्थन में, नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कर्मचारियों से दो सितंबर से छह सितंबर तक काली पट्टी बांधकर काम करने का आह्वान किया था।

प्रतिरोध की दिशा

इस विरोध प्रदर्शन का समापन शुक्रवार को हुआ और अब 26 सितंबर को देश के सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई गई है। इसके अलावा, 15 सितंबर को दिल्ली में NMOPS की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की एक बैठक होने वाली है जिसमें OPS की बहाली के लिए आंदोलन को और तेज करने की रणनीति बनाई जाएगी।

व्यापक प्रभाव

यह विरोध न केवल सरकारी कर्मचारियों तक सीमित है बल्कि इसमें शिक्षकों, रेलवे कर्मचारियों और अन्य विभागों के कर्मचारी भी शामिल हैं। यह विरोध पूरे देश में फैल चुका है और इसने केंद्र सरकार के समक्ष गंभीर चुनौतियाँ पेश की हैं, जिससे आने वाले विधानसभा चुनावों में ‘वोट फॉर ओपीएस’ अभियान की संभावना भी उभर कर आ रही है।

सरकारी कर्मचारियों की इस व्यापक एकजुटता से स्पष्ट है कि वे अपने अधिकारों के लिए दृढ़ता से खड़े हैं और अपनी मांगों को लेकर किसी भी समझौते के लिए तैयार नहीं हैं। इस मुद्दे पर सरकार की प्रतिक्रिया और आगे की दिशा भविष्य में भारतीय प्रशासनिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाल सकती है।

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