OPS Update: NPS को OPS में बदलकर सरकार कर सकती है सालाना 1 लाख करोड़ के राजस्व की वापसी, जाने कैसे मिलेगी पुरानी पेंशन?

देश में पुरानी पेंशन बहाली पर बहस छिड़ी है। कर्मचारी संगठन OPS की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार NPS सुधार चाहती है। डॉ. मंजीत पटेल के सुझावों से NPS में बदलाव कर OPS जैसी गारंटी पेंशन संभव है।

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Written by Rohit Kumar

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OPS Update NPS को OPS में बदलकर सरकार कर सकती है सालाना 1 लाख करोड़ के राजस्व की वापसी, जाने कैसे मिलेगी पुरानी पेंशन?

OPS Update: ‘पुरानी पेंशन योजना’ (OPS) की बहाली को लेकर देश में गहरी बहस छिड़ी हुई है। सरकारी कर्मचारी संगठन केंद्र सरकार पर लगातार दबाव डाल रहे हैं कि उन्हें गारंटीकृत पुरानी पेंशन योजना ही चाहिए। हालांकि, सरकार नई पेंशन योजना (NPS) में सुधार की बात कर रही है, लेकिन कर्मचारी संगठन इस पर सहमत नहीं हैं।

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पुरानी पेंशन योजना बनाम नई पेंशन योजना

पुरानी पेंशन योजना में, कर्मचारियों से GPF के रूप में न्यूनतम 7 प्रतिशत अंशदान लिया जाता था, जिसे वे अपनी मर्जी से बेसिक सैलरी के बराबर बढ़ा सकते थे। इस पर सरकार ब्याज की गारंटी देती थी और कर्मचारी अपनी सुविधा के अनुसार यह पैसा निकाल सकते थे। सेवानिवृत्ति पर, कर्मचारियों को अंतिम सैलरी का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता था, जो DA के कारण बढ़ता रहता था।

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वहीं, नई पेंशन योजना में, कर्मचारियों से 10 प्रतिशत अंशदान लिया जाता है और सरकार 14 प्रतिशत का अंशदान करती है। यह राशि एलआईसी, यूटीआई और एसबीआई द्वारा शेयर मार्केट में निवेश की जाती है। इस पैसे पर कोई ब्याज गारंटी नहीं होती है और सेवानिवृत्ति पर 60 प्रतिशत कॉर्पस फंड के रूप में दिया जाता है, जबकि 40 प्रतिशत एन्यूटी के रूप में पेंशन के लिए लगाया जाता है। इस व्यवस्था से खासकर उन कर्मचारियों को नुकसान हो रहा है जिनकी सेवा अवधि कम है।

OPS बहाली और NPS में सुधार की संभावनाएं

डॉ. मंजीत सिंह पटेल, नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के राष्ट्रीय अध्यक्ष, के अनुसार, पुरानी पेंशन योजना की बहाली से संबंधित कई सुझाव दिए गए हैं। उनका मानना है कि NPS में कुछ बदलाव करके इसे ओपीएस जैसा बनाया जा सकता है।

  • अंशदान की व्यवस्था: पुरानी पेंशन योजना में सरकार कोई अंशदान नहीं देती थी, जबकि NPS में सरकार को 14 प्रतिशत अतिरिक्त देना पड़ता है। अगर सरकार एनपीएस में कर्मचारियों के अंशदान को जीपीएफ की तरह फिक्स ब्याज दे और कर्मचारियों को अंशदान बढ़ाने की सुविधा दे, तो यह मार्केट की लिक्विडिटी और निवेश को बढ़ा सकता है।
  • 50 प्रतिशत पेंशन का प्रावधान: सरकार के 14 प्रतिशत अतिरिक्त अंशदान से 30 वर्षों की नौकरी के बाद इतनी राशि हो जाती है कि ओपीएस के बराबर पेंशन दी जा सके। इससे सरकार का कॉर्पस उसे वापस मिल सकता है और एक परमानेंट पेंशन फंड तैयार हो सकता है।
  • मिनिमम पेंशन गारंटी: पुरानी पेंशन योजना में किसी भी कर्मचारी की पेंशन 9000 रुपये से कम नहीं होती थी। इस गारंटी को नई व्यवस्था में भी लागू किया जा सकता है।

वित्तीय भार और संभावित बचत

कुछ रिपोर्टों के अनुसार, पुरानी पेंशन योजना की बहाली से सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ सकता है, लेकिन डॉ. पटेल का कहना है कि उचित प्रबंधन से यह संभव है कि सरकार हर साल एक लाख करोड़ रुपये की बचत कर सकती है।

निष्कर्ष

पुरानी पेंशन योजना की बहाली और नई पेंशन योजना में सुधार के मुद्दे पर गहन अध्ययन और विचार-विमर्श की आवश्यकता है। कर्मचारियों की आर्थिक सुरक्षा और सरकार के वित्तीय संतुलन के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है। डॉ. पटेल द्वारा सुझाए गए सुधार उपायों से एक व्यावहारिक समाधान निकल सकता है, जिससे कर्मचारियों की मांगें पूरी हो सकें और सरकार का आर्थिक बोझ भी कम हो।

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