OROP के बदले भेदभाव कर रही सरकार, OROP में ये होना चाहिए लागू

पेंशनभोगियों के लिए वार्षिक पेंशन वृद्धि का प्रस्ताव उनके और सेवारत कर्मियों के बीच असमानता को दूर करेगा। 3% वार्षिक वेतन वृद्धि के मुकाबले, पेंशनभोगियों को 1.5% की वृद्धि दी जानी चाहिए। इससे ओआरओपी की भावना बनी रहेगी और पेंशनभोगियों को वित्तीय स्थिरता मिलेगी।

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Written by Rohit Kumar

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OROP के बदले भेदभाव कर रही सरकार, OROP में ये होना चाहिए लागू

नई दिल्ली: पेंशनभोगियों और सेवारत कर्मियों के बीच वेतन और पेंशन में असमानता को दूर करने के लिए एक सरकार को हर वर्ष सेवारत कर्मियों के वेतन वृद्धि के मुकाबले पेंशनधारकों की भी उसी तुलना में पेंशन वृद्धि करने के महत्वपूर्ण समाधान पर विचार किया जाना चाहिए है। वर्तमान में, सेवारत कर्मियों को प्रत्येक वर्ष 3% की वार्षिक वेतन वृद्धि मिलती है, जबकि पेंशनभोगियों को इस प्रकार की वृद्धि का लाभ नहीं मिलता। इससे एक रैंक, एक पेंशन (OROP) सिद्धांत के तहत पेंशनभोगियों के साथ असमानता उत्पन्न हो रही है।

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OROP की मूल भावना

OROP की मूल भावना के अनुसार, एक ही रैंक में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मियों को समान पेंशन मिलनी चाहिए, चाहे वे किसी भी समय सेवा से सेवानिवृत्त हुए हों। इसका मतलब है कि जब सेवारत कर्मियों के वेतन में वृद्धि होती है, तो उसी रैंक में सेवानिवृत्त होने वाले पेंशनभोगियों की पेंशन भी बढ़नी चाहिए।

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OROP में ये होना चाहिए ये नियम लागू

इस समाधान के तहत, सेवारत कर्मियों को मिलने वाली 3% वार्षिक वेतन वृद्धि के आधार पर, पेंशनभोगियों को भी उनकी बुनियादी पेंशन में 1.5% की वृद्धि मिलनी चाहिए। यह वृद्धि बुनियादी वेतन के 50% के बराबर होगी, जो पेंशनभोगियों को उनके सेवा काल के दौरान प्राप्त होता था। इससे न केवल OROP की भावना को बनाए रखा जाएगा बल्कि पेंशनभोगियों को भी वित्तीय स्थिरता मिलेगी।

समाधान के फायदे

  1. निरंतरता और स्थिरता: इस समाधान से पेंशनभोगियों को हर पांच साल में पेंशन संशोधन की आवश्यकता नहीं होगी।
  2. समानता: सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मियों के बीच असमानता कम होगी।
  3. सरलीकरण: पेंशन बढ़ाने की प्रक्रिया सरल हो जाएगी और प्रशासनिक बोझ कम होगा।

पेंशनभोगियों के बुनियादी पेंशन में 1.5% वार्षिक वृद्धि का यह प्रस्ताव न केवल OROP की भावना को बरकरार रखेगा बल्कि उन्हें वित्तीय सुरक्षा भी प्रदान करेगा। सरकार को इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और पेंशनभोगियों को समान और न्यायसंगत लाभ प्रदान करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए।

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