EPS 95: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत आने वाले EPS 95 पेंशनर्स की न्यूनतम पेंशन को लेकर सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, श्रम मंत्री और वित्त मंत्रालय से लगातार मांग करने के बावजूद, न्यूनतम पेंशन में वृद्धि अब तक नहीं की गई है। इस मुद्दे को लेकर पेंशनभोगी नाराज हैं, और उनकी यह नाराजगी सोशल मीडिया पर साफ झलक रही है।
EPS 95 पेंशनर्स की मांग
EPS 95 पेंशन राष्ट्रीय संघर्ष समिति के अध्यक्ष शशि भान सिंह भदौरिया ने इस मुद्दे पर पेंशनभोगियों की गंभीर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा न्यूनतम पेंशन की वर्तमान दर, जो मात्र 1000 रुपये है, पेंशनभोगियों के लिए तमाशा बन गई है। समिति की मांग है कि इस राशि को 7500 रुपये प्लस महंगाई भत्ता (DA) के साथ 15,000 रुपये मासिक किया जाए।
शशि भान सिंह का कहना है कि पिछले आठ वर्षों से पेंशनभोगी न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस दौरान कई पेंशनभोगियों का निधन हो चुका है, और कई लोग उचित चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में कष्ट झेल रहे हैं। पेंशन का यह निचला स्तर उनके जीवनयापन के लिए पर्याप्त नहीं है।
पेंशनर्स की सरकार से नाराजगी
संघर्ष समिति के नेता, कमांडर अशोक राउत के नेतृत्व में, पेंशनभोगी सरकार के खिलाफ अपने आक्रोश को प्रकट कर रहे हैं। उनका नारा है, “अभी नहीं तो कभी नहीं,” जो इस बात का संकेत है कि वे अब और इंतजार नहीं कर सकते। पेंशनर्स के अनुसार, सरकार उनके साथ न्याय करने में विफल रही है और उन्हें उनके हक से वंचित किया जा रहा है। शशि भान सिंह भदौरिया का दावा है कि अगर सरकार ने जल्दी ही इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया, तो इसका राजनीतिक प्रभाव भी हो सकता है।
सरकार पर दबाव
EPS 95 पेंशनर्स का यह संघर्ष सरकार पर गहरा दबाव बना रहा है। उनका मानना है कि अगर सरकार पेंशन वृद्धि का आदेश पारित नहीं करती, तो इसका असर आगामी चुनावों में भी देखा जा सकता है। उनका कहना है कि जो सरकार पेंशनभोगियों के हित में काम करेगी, वही देश पर शासन करने का अधिकार रखेगी।
EPS 95 पेंशनर्स का यह संघर्ष सामाजिक और आर्थिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उनकी मांगें उचित हैं, और वे सरकार से त्वरित कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।