EPS 95: भारत की कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) 1995 के अंतर्गत आने वाले लाखों पेंशनभोगियों के सामने आर्थिक अनिश्चितताओं का बड़ा संकट खड़ा है। इस समय, जब न्यूनतम पेंशन केवल 1000 रुपये प्रति माह है, वहीं पेंशनभोगियों की मांग है कि इसे बढ़ाकर 7500 रुपये किया जाए। यह मांग इसलिए भी ज्यादा प्रासंगिक हो जाती है क्योंकि अनेक पेंशनभोगियों का कहना है कि वर्तमान में मिलने वाली पेंशन उनके जीवनयापन के लिए नाकाफी है।
मुंबई के आजाद मैदान में एक सभा के दौरान, कमांडर अशोक राउत ने दावा किया कि प्रतिदिन 200-250 पेंशनभोगी असमय मौत को प्राप्त हो रहे हैं, क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है। इस तरह की चिंताजनक स्थिति में, पेंशनभोगियों की ओर से मोदी सरकार से तत्काल अंतरिम राहत प्रदान करने की मांग की गई है।
सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर सक्रिय रहे बसकरन सुब्रमण्यम अय्यर ने भी इसी बात को उठाया है कि सरकार को गरीब पेंशनभोगियों की ओर से तत्काल सहायता की आवश्यकता है। उनका कहना है कि इस संकट के समय में सरकार को चाहिए कि वह पेंशनभोगियों के दुख-दर्द को समझे और उनकी मदद करे।
सी उन्नीकृष्णन की निराशा इस बात से भी झलकती है कि वर्तमान सरकार से उन्हें कोई विशेष उम्मीद नहीं है। उनके अनुसार, सरकार का रवैया पेंशनभोगियों के प्रति उदासीन बना हुआ है, जिससे उनकी निराशा और बढ़ जाती है।
इस मामले पर रिचर्ड फ्रीमैन और वादिराजा राव जैसे प्रभावित पक्ष भी यह महसूस करते हैं कि नेताओं की नरमी और देरी से नीतियां लागू करने की प्रक्रिया ने पेंशन बढ़ोतरी में विलंब को जन्म दिया है।
यह समय सरकार के लिए एक चुनौती के रूप में है, जहाँ उन्हे यह दिखाना होगा कि वह वास्तव में देश के वरिष्ठ नागरिकों के हित में कैसे कदम उठा सकती है। पेंशनभोगियों की बढ़ती हुई मांग और आर्थिक तंगी के इस दौर में, न्यूनतम पेंशन में वृद्धि न केवल उनकी जरूरत है बल्कि उनका अधिकार भी है।