EPS 95 Higher Pension पर बड़ी खबर! EPFO कर रहा कोर्ट की अवमानना, सुप्रीम कोर्ट जा रहे पेंशनभोगी

ईपीएफओ के खिलाफ पेंशनभोगी सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि उच्च पेंशन के आदेशों का पालन नहीं हो रहा। सोशल मीडिया पर पेंशनर्स ने नाराजगी जताई है और न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की मांग की है।

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Written by Rohit Kumar

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EPFO कर रहा कोर्ट की अवमानना, सुप्रीम कोर्ट जा रहे पेंशनभोगी

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा फिर से खटखटाने की तैयारी की जा रही है। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (EPS 95) के तहत हायर पेंशन का इंतजार कर रहे पेंशनभोगियों का धैर्य अब जवाब दे रहा है। दरअसल पेंशनभोगी काफी लंबे समय से हायर पेंशन की मांग कर रहे हैं, जिसे अभी तक पूरा नही किया गया है। इसे देखते हुए कई सारे पेंशनर्स अब सुप्रीम कोर्ट का रुख कर रहे हैं।

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पेंशनभोगियों की नाराजगी

पेंशनभोगी खुलकर बोलने लगे हैं कि EPFO लगातार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रहा है। पेंशनर्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी नाराजगी जाहिर की है और मांग की है कि EPFO के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का केस दर्ज किया जाए। पेंशनर्स का कहना है कि उन्हें उच्च पेंशन के लिए पात्र बनाने के आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है।

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सोशल मीडिया पर पेंशनभोगियों की प्रतिक्रिया

बता दें, EPS 95 पेंशनर्स के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पीके कपूर ने लिखा, “अब समय आ गया है कि EPFO द्वारा पेंशनभोगियों को उच्च पेंशन के लिए पात्र बनाने के लिए पारित आदेशों का पालन न करने और अवमानना के लिए सुप्रीम कोर्ट में जाया जाए।” वहीं, बसकरन सुब्रमण्यम अय्यर ने कहा, “अभी 10 साल और लगेंगे, कोई भी वृद्ध पेंशनभोगी लाभ लेने के लिए जीवित नहीं रहेगा।”

न्याय की मांग

पेंशनभोगियों का कहना है कि EPFO ने गैर और छूट प्राप्त संगठनों के मुद्दों को उठाकर अपना रुख बदल दिया है, जिससे मामला कोर्ट में अटका हुआ है। परक्कल रामानुजन ने भी कमेंट किया कि सुप्रीम कोर्ट को जल्द से जल्द फैसला सुनाना चाहिए ताकि वृद्ध पेंशनभोगी और इंतजार न करें।

न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की मांग

ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन 1000 से बढ़ाकर 7500 रुपए करने की मांग पर कौशल उप्पल ने कहा, “मोदी सरकार को स्थिति पर विचार करना चाहिए।” उन्होंने कहा कि EPS पेंशनर्स ने अपनी युवावस्था में राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और उन्हें सामाजिक न्याय, समानता और वित्तीय सशक्तिकरण से वंचित रखना अनुचित है।

पेंशनभोगियों की नाराजगी और उनकी न्याय की मांग को देखते हुए यह स्पष्ट है कि EPFO को अपने कार्यों में सुधार करना होगा। सुप्रीम कोर्ट में मामला ले जाने की तैयारी और पेंशनर्स की लगातार बढ़ती आवाज इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि सरकार और संबंधित संस्थाएं पेंशनभोगियों की समस्याओं को जल्द से जल्द सुलझाने के लिए कदम उठाएंगी, ताकि उन्हें उनके हक का न्याय मिल सके।

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