EPFO ने बदला पेंशन, PF और इंश्‍योरेंस स्‍कीम को लेकर नियम, अब कम हो गया जुर्माना… जानिए किस पर होगा असर

EPFO ने एम्प्लॉयर्स के लिए जुर्माना दरों में भारी कटौती की है, जिससे उन्हें बड़ी राहत मिलेगी। जानें नए नियमों का पूरा विवरण और कैसे यह बदलाव एम्प्लॉयर्स के लिए फायदेमंद है।

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Written by Rohit Kumar

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EPFO ने बदला पेंशन, PF और इंश्‍योरेंस स्‍कीम को लेकर नियम, अब कम हो गया जुर्माना... जानिए किस पर होगा असर

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने कर्मचारियों के प्रोविडेंड फंड (PF), पेंशन और इंश्योरेंस कंट्रीब्यूशन डिपॉजिट में चूक करने या देरी करने वाले एम्प्लॉयर्स पर जुर्माना कम कर दिया है। पहले, एम्प्लॉयर्स को 25% प्रति साल की दर से जुर्माना देना पड़ता था, लेकिन अब यह दर घटाकर प्रति माह 1% या 12% सालाना कर दी गई है। यह कदम एम्प्लॉयर्स के लिए एक बड़ी राहत साबित होगा।

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नए नियमों के फायदे

श्रम मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नए नोटिफिकेशन में कहा गया है कि यह बदलाव कर्मचारी पेंशन स्कीम (EPS), एम्प्लाई प्रोविडेंड फंड (EPF) स्कीम, और एम्प्लॉइज डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस (EDLI) स्कीम पर लागू होगा। नए नियमों के तहत, एम्प्लॉयर्स को अब केवल बकाया का प्रति माह 1% या प्रति वर्ष 12% की दर से जुर्माना देना होगा।

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जुर्माना अवधिपुराना जुर्माना (%)नया जुर्माना (%)
2 महीने तक5%1% प्रति माह
2-4 महीने10%1% प्रति माह
4-6 महीने15%1% प्रति माह
6 महीने से अधिक25%1% प्रति माह

पुराने और नए जुर्माने की तुलना

पहले, एम्प्लॉयर्स को चूक के अलग-अलग अवधि पर विभिन्न दरों से जुर्माना देना पड़ता था:

  • 2 महीने तक की चूक पर: 5% सालाना
  • 2 से 4 महीने तक की चूक पर: 10% सालाना
  • 4 से 6 महीने तक की चूक पर: 15% सालाना
  • 6 महीने से अधिक की चूक पर: 25% सालाना

अब, नए नियम के तहत सभी प्रकार की चूक के लिए जुर्माना घटाकर 1% प्रति माह या 12% सालाना कर दिया गया है। इससे एम्प्लॉयर्स के लिए जुर्माने की राशि में दोगुने से भी अधिक कमी आई है।

नियोक्ताओं पर क्या होगा असर

इस नए नियम का सबसे बड़ा लाभ यह है कि अब नियोक्ताओं को कम जुर्माना देना होगा। जो नियोक्ता पहले बड़ी जुर्माना राशि से परेशान थे, उन्हें अब राहत मिलेगी। यह निर्णय उन नियोक्ताओं के लिए फायदेमंद होगा, जो समय पर पीएफ और अन्य कंट्रीब्यूशन जमा करने में कठिनाई का सामना करते थे।

EPFO के नियमों के अनुसार, नियोक्ता को हर माह की 15 तारीख तक या उससे पहले पिछले माह का रिटर्न EPFO के पास दाखिल करना अनिवार्य है। यदि यह समय सीमा पार हो जाती है, तो देरी को डिफॉल्ट माना जाता है और जुर्माना लागू हो जाता है।

उदाहरण के साथ समझें

मान लीजिए, किसी कंपनी ने 6 महीने तक पीएफ कंट्रीब्यूशन नहीं जमा किया। पुराने नियमों के अनुसार, उसे 25% प्रति साल की दर से जुर्माना देना पड़ता था। लेकिन अब, नए नियम के तहत, उसे केवल 1% प्रति माह या 12% सालाना की दर से जुर्माना देना होगा।

यदि आप अधिक जानकारी चाहते हैं या EPFO के नए नियमों के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं, तो आप EPFO की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं।

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