2014 में सत्ता संभालने के बाद मौजूदा सरकार ने 2015 में EPF 95 पेंशनधारकों की न्यूनतम पेंशन राशि ₹1000/- निर्धारित की थी। लेकिन, इसके बाद नौ साल बीत चुके हैं और पेंशन राशि में कोई संशोधन नहीं किया गया है। श्रम मंत्रालय ने यह मामला उठाया था, लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज कर दिया है।
अदालत के आदेश की अवहेलना
अदालत ने समय के साथ पेंशन राशि को संशोधित करने का आदेश दिया था, लेकिन सरकार ने इसे अनदेखा किया। नौ साल कोई छोटा समय नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि शुरूआत में मौजूदा सरकार ने केवल दिखावे के लिए पेंशन संशोधन किया था।
अन्य पेंशन योजनाओं में संशोधन
इसी अवधि में अन्य पेंशन योजनाओं को महंगाई सूचकांक के साथ संशोधित किया गया है। यह 2-3 साल के समय चक्र में किया गया, लेकिन EPF 95 पेंशनधारकों के साथ ऐसा नहीं हुआ।
सरकार से अपील
यह समय है कि मौजूदा सरकार EPF-1995 योजना के तहत पेंशनधारकों के लिए एक तर्कसंगत निर्णय ले। हाल ही में संपन्न चुनावों में सरकार को इसके कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। इस कारण कई पेंशनधारक असंतुष्ट, नाराज और निराश हो गए हैं।
ऐसे कई अन्य समूह हो सकते हैं जो इसी तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। सरकार को इन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए और सभी प्रभावित समूहों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए।
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M.P,MLA,MINISTER SHOULD NEVER BE PAID PENSION. THEIR D.A should be counted in income tax.