Budget 2024: 8वें वेतन आयोग, GST, पुरानी पेंशन और सार्वभौमिक पेंशन योजना को लेकर विरोध प्रदर्शन पर उतरे कर्मचारी, पूरी खबर

केंद्रीय बजट 2024 को जनविरोधी बताते हुए ट्रेड यूनियनों ने देशभर में विरोध प्रदर्शन किया। उनका आरोप है कि बजट कार्पोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने वाला है, जबकि आम जनता और मजदूर वर्ग की आवश्यकताओं की उपेक्षा की गई है।

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Written by Rohit Kumar

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Budget 2024: 8वें वेतन आयोग, GST, पुरानी पेंशन और सार्वभौमिक पेंशन योजना के विरोध प्रदर्शन पर उतरे कर्मचारी

Budget 2024: केंद्रीय बजट 2024 की घोषणा के बाद देशभर में असंतोष और आक्रोश का माहौल है। मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए इस बजट को लेकर ट्रेड यूनियनों ने कड़ी आलोचना की है, इसे जनविरोधी और संकुचनकारी बताते हुए देशभर में 9 अगस्त को विरोध प्रदर्शन किए गए। राजधानी रायपुर के अंबेडकर चौक पर भी विभिन्न ट्रेड यूनियनों और संगठनों ने एकजुट होकर जोरदार प्रदर्शन किया।

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विरोध प्रदर्शनों का कारण

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि यह बजट कार्पोरेट घरानों के हितों को साधने के लिए बनाया गया है, जबकि आम जनता और मजदूर वर्ग की आवश्यकताओं की उपेक्षा की गई है। सीजेड आईईए के महासचिव धर्मराज महापात्र ने अपने संबोधन में कहा कि मोदी सरकार ने लोकसभा चुनावों के परिणामों से कोई सबक नहीं लिया और उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि सब्सिडी, और ग्रामीण विकास निधि जैसे बुनियादी क्षेत्रों में बजटीय आवंटन में की गई कटौती की कड़ी आलोचना की।

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मुख्य मांगें और आलोचनाएँ

विरोध प्रदर्शन के दौरान विभिन्न संगठनों ने बीमा प्रीमियम पर से जीएसटी हटाने, किसानों को एमएसपी की गारंटी देने, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, और 8वां वेतन आयोग गठित करने जैसी मांगें उठाई। साथ ही, सार्वजनिक कोष के निजीकरण और EPF के माध्यम से कार्पोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने का भी आरोप लगाया गया।

श्रम संहिताओं को निरस्त करने की मांग

बता दें, संयुक्त ट्रेड यूनियन काउंसिल के सचिव एस सी भट्टाचार्य ने अपने संबोधन में चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने की मांग की। उन्होंने इस बजट को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के विचार-विमर्श को नजरअंदाज करने वाला बताया और सार्वभौमिक पेंशन योजना लागू करने, सरकारी क्षेत्र में नई भर्तियों की शुरुआत, मनरेगा के तहत 200 दिनों के रोजगार की गारंटी, और 26,000 रुपये प्रतिमाह न्यूनतम वेतन की मांगों को नजरअंदाज करने के लिए भी सरकार की आलोचना की।

पूंजीपतियों के लिए लाभ

इस बजट को पूंजीपतियों और कार्पोरेट घरानों के लिए लाभदायक और आम जनता के लिए हानिकारक बताया गया है। ट्रेड यूनियनों ने इसे जनविरोधी करार देते हुए कहा कि इस बजट से बेरोजगारी और महंगाई बढ़ने की संभावना है।

विश्व आदिवासी दिवस और अगस्त क्रांति दिवस

विरोध प्रदर्शन के अंत में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस और अगस्त क्रांति दिवस के महत्व पर चर्चा की गई और इन दोनों अवसरों पर जारी विभिन्न आयोजनों के प्रति एकजुटता व्यक्त की गई। इस विरोध प्रदर्शन में राजेश पराते, सुरेंद्र शर्मा, संदीप सोनी, करण सोनकर, मारुति डोंगरे, अजय कन्नौजे सहित कई प्रमुख नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए, जिन्होंने मोदी सरकार के इस बजट के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की।

यह प्रदर्शन देशभर में हो रहे आक्रोश और असंतोष का प्रतीक है, जो दर्शाता है कि इस बजट ने न केवल आर्थिक मुद्दों को नजरअंदाज किया है, बल्कि आम जनता की उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया है।

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