पेंशनर्स की मांग EPS 95 न्यूनतम पेंशन में की जाए वृद्धि, जाने क्या है सरकार का विचार और बढ़ोतरी में देरी का कारण?

देश में ईपीएस 95 के अंतर्गत न्यूनतम पेंशन को 1000 रुपये से बढ़ाकर 7500 रुपये करने की मांग उठी है। सरकार इस पर विचार कर रही है, परंतु राजनीतिक और चुनावी प्रभावों के कारण देरी हो रही है।

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Written by Rohit Kumar

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EPS 95 न्यूनतम पेंशन में वृद्धि पेंशनर्स की मांग, जाने सरकार का विचार और देरी का कारण?

भारत में, EPS 95 (कर्मचारी पेंशन योजना) के अंतर्गत न्यूनतम पेंशन की राशि को 1000 रुपये से बढ़ाकर 7500 रुपये करने की मांग ने हाल ही में जोर पकड़ा है। पेंशनभोगी समुदाय के बीच यह विषय विशेष चर्चा का केंद्र बना हुआ है। श्रम मंत्री के हालिया बयानों के अनुसार, सरकार इस नई नीति को लागू करने के लिए समय ले रही है, जिससे पेंशनभोगी समुदाय में कुछ निराशा की भावना है।

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चुनावी प्रभाव और राजनीतिक विवाद

इस बीच, राजनीतिक विश्लेषक रमेश गौतम का मानना है कि निर्णय में देरी का कारण आगामी चुनावों का हो सकता है। विशेष रूप से, महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव परिणामों के बाद सरकारी नीतियों में बदलाव संभव है। ऐसे में, जनता के बीच यह धारणा बनी हुई है कि वर्तमान राजनीतिक दल वृद्धजनों के हितों को नजरअंदाज कर रहे हैं।

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अंतरिम समाधान की मांग

सतीश मिश्रा के अनुसार, जनता की एक बड़ी तबका इस बात से निराश है कि सरकारी निर्णय अक्सर देरी से किए जाते हैं। वे अनिश्चित काल तक मामलों को खींचने का आरोप लगाते हैं। इस पृष्ठभूमि में, गिरिजा विजयकुमार और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आग्रह किया है कि सरकार को अंतरिम राहत प्रदान करनी चाहिए, ताकि पेंशनभोगियों को तत्काल आर्थिक सहायता मिल सके।

भविष्य की दिशा

यदि न्यूनतम पेंशन और मूल वेतन सीमा दोनों में वृद्धि की जाती है, तो इसका सकारात्मक प्रभाव पूर्व और भावी पेंशनभोगियों पर पड़ेगा। ऐसा करने से न केवल वर्तमान लाभार्थियों को राहत मिलेगी, बल्कि भविष्य में पेंशन प्राप्त करने वालों के लिए भी एक मजबूत आधार तैयार होगा।

आखिर में, जबकि राजनीतिक और आर्थिक दबावों के बीच सरकारी नीतियों का निर्धारण एक जटिल प्रक्रिया है, जनता की निरंतर मांग और बढ़ती हुई आवश्यकताएं सरकार को इन नीतियों को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित करती रहेंगी।

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