EPS 95: पेंशनर्स की मांग, हरियाणा, महाराष्ट्र चुनाव से पहले पेंशन बढ़ाकर की जाए ₹7500, वरना भाजपा के खिलाफ करेंगे मतदान

ईपीएस 95 पेंशनभोगी न्यूनतम पेंशन ₹1000 से बढ़ाकर ₹7500 करने की मांग कर रहे हैं। मुंबई में हुई रैली में पेंशनरों ने भाजपा को चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे आगामी चुनावों में विरोध करेंगे।

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Written by Rohit Kumar

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EPS 95 न्यूनतम पेंशन बढ़ाकर की जाए ₹7500, वरना भाजपा के खिलाफ पेंशनर्स करेंगे मतदान

EPS 95 न्यूनतम पेंशन योजना से जुड़े पेंशनभोगियों की लंबी चली आ रही मांगें अब केंद्र सरकार के लिए एक गंभीर राजनीतिक चुनौती बन गई हैं। देशभर के पेंशनभोगी सरकार से न्यूनतम पेंशन को ₹1000 से बढ़ाकर ₹7500 करने की मांग कर रहे हैं। हाल ही में मुंबई के आजाद मैदान में पेंशनभोगियों ने एक विशाल रैली आयोजित की, जिससे न सिर्फ उनके संकल्प की झलक मिली बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए विधानसभा चुनावों से पहले चिंता भी खड़ी कर दी है।

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पेंशनभोगियों का आक्रोश

वर्तमान में, EPS 95 (Employee Pension Scheme) के तहत पेंशनभोगियों को ₹1000 की न्यूनतम पेंशन दी जा रही है, जो कई पेंशनरों के जीवन-यापन के लिए अपर्याप्त है। बढ़ती महंगाई, जीवन की आवश्यकताओं और स्वास्थ्य संबंधी खर्चों को ध्यान में रखते हुए, पेंशनभोगी लंबे समय से पेंशन राशि में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं।

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मुंबई की ऐतिहासिक रैली

मुंबई के आजाद मैदान में आयोजित इस रैली ने सरकार के लिए स्थिति और भी गंभीर बना दी है। इस रैली में करीब 20,000 पेंशनभोगियों ने हिस्सा लिया, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं।

रैली में शामिल पेंशनरों ने ऐलान किया कि अगर उनकी मांगें विधानसभा चुनावों से पहले पूरी नहीं की गईं, तो वे भाजपा के खिलाफ मतदान करेंगे। इसका संकेत देते हुए कहा गया कि अगर पेंशनभोगियों का समर्थन भाजपा से हटता है, तो यह पार्टी के लिए गंभीर चुनावी चुनौती बन सकता है।

नेताओं का जोश

इस रैली का नेतृत्व कमांडर अशोक राउत, एजाजुर्रहमान और वीरेंद्र सिंह जैसे प्रमुख नेताओं ने किया। इन नेताओं ने पेंशनभोगियों को सरकार के खिलाफ आंदोलन के लिए तैयार रहने का आह्वान किया। रैली में “अभी नहीं तो कभी नहीं” का नारा गूंजा, जो पेंशनभोगियों की स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।

क्या होंगे राजनीतिक परिणाम

भाजपा के लिए इस स्थिति से निपटना आसान नहीं होगा। पेंशनभोगी एक बड़ा वोट बैंक हैं, और अगर वे एकजुट होकर किसी विशेष पार्टी के खिलाफ मतदान करते हैं, तो यह चुनावी परिणामों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और ऐसे में यह मुद्दा राजनीतिक रूप से और भी गर्मा सकता है।

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