सांसद जी कर रहे मौज, हर साल बढ़ रही पेंशन, EPS 95 पेंशनधारक दाने-दाने को मोहताज

सांसदों को बढ़िया पेंशन और सुविधाएं मिलती हैं, जबकि EPS 95 पेंशनधारक कम पेंशन पर संघर्ष कर रहे हैं।

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Written by Rohit Kumar

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सांसद जी कर रहे मौज, हर साल बढ़ रही पेंशन, EPS 95 पेंशनधारक दाने-दाने को मोहताज

देश के सांसदों और विधायकों को मिलने वाली उदार पेंशन और सुविधाओं के मुकाबले, EPS 95 पेंशनधारकों की हालत बेहद दयनीय है। पेंशन व्यवस्था की इस असमानता पर सवाल उठाना अब जरूरी हो गया है, जहां एक तरफ जनप्रतिनिधियों को बिना न्यूनतम कार्यकाल के जीवनभर की पेंशन मिलती है, वहीं दूसरी ओर लाखों EPS 95 पेंशनधारकों को उनके वर्षों की मेहनत के बदले बहुत कम पेंशन मिलती है।

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सांसदों की पेंशन बनाम EPS 95 पेंशन: क्या यह न्यायसंगत है?

सांसदों को संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम-1954 के तहत हर महीने 25,000 रुपये या उससे अधिक की पेंशन मिलती है। यहां तक कि अगर कोई सांसद एक दिन के लिए भी चुना जाता है, तो उसे जीवनभर पेंशन दी जाती है। इसके अलावा, यदि कार्यकाल बढ़ता है तो हर साल अतिरिक्त पेंशन भी जुड़ती है। दूसरी ओर, EPS 95 पेंशनधारकों को औसतन सिर्फ 1,000 से 3,000 रुपये की पेंशन मिलती है, जो उनके जीवन यापन के लिए पर्याप्त नहीं है।

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EPS 95 पेंशनधारकों के लिए सुविधाओं का अभाव

सांसदों और विधायकों को आजीवन मुफ्त रेल यात्रा की सुविधा मिलती है, जबकि EPS 95 पेंशनधारकों के लिए न कोई यात्रा सुविधा है, न ही कोई महंगाई राहत। यह असमानता देश के पेंशन सिस्टम की कमजोरियों को उजागर करती है, जहां पेंशनधारकों की बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पातीं।

दोहरी पेंशन का हक बनाम EPS पेंशन का संघर्ष

सांसद और विधायक न केवल अपनी पेंशन का लाभ उठाते हैं, बल्कि उन्हें दोहरी पेंशन लेने का भी हक है। अगर कोई विधायक सांसद बन जाता है, तो उसे दोनों की पेंशन मिलती है। इस तरह के प्रावधानों के बावजूद, EPS 95 पेंशनधारक अपनी पेंशन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, ताकि वे अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। यह स्पष्ट रूप से एक असमानता है, जो समाज में आर्थिक विषमताओं को और गहरा कर रही है।

पेंशन सिस्टम में सुधार की जरूरत

इस असमानता के चलते यह सवाल उठता है कि क्या हमारा पेंशन सिस्टम वास्तव में न्यायसंगत है? जिन लोगों ने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा देश की सेवा में बिताया, उन्हें इतनी कम पेंशन क्यों दी जाती है? जब सांसदों की पेंशन में इतनी उदारता है, तो EPS 95 पेंशनधारकों को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है? यह एक गंभीर मुद्दा है, जिसे सरकार और समाज को समान रूप से संबोधित करना चाहिए।

अब समय आ गया है कि पेंशन व्यवस्था में सुधार लाया जाए और EPS 95 पेंशनधारकों के हक की लड़ाई को गंभीरता से लिया जाए। उनकी स्थिति को सुधारने के लिए सरकार को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है, ताकि वे भी एक सम्मानजनक और सुरक्षित जीवन जी सकें। पेंशन व्यवस्था में ऐसी असमानता किसी भी विकसित समाज के लिए उचित नहीं हो सकती।

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