केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए 18 महीने के महंगाई भत्ते (DA) और महंगाई राहत (DR) के बकाये का मुद्दा संसद के मानसून सत्र में एक बार फिर उभर कर सामने आया है। यह बकाया उस समय का है जब कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार ने DA और DR की तीन किस्तों को फ्रीज कर दिया था।
संसद में उठा सवाल
संसद में दो सांसदों ने सरकार से पूछा कि जब भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, तो 18 महीने के DA एरियर का भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है। इसके साथ ही, उन्होंने 2024 से अब तक प्राप्त ज्ञापनों और इस संबंध में की गई कार्रवाई का विवरण भी मांगा।
सरकार का स्पष्टीकरण
इस सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि 01.01.2020, 01.07.2020, और 01.01.2021 से देय महंगाई भत्ते और महंगाई राहत की तीन किस्तों को कोविड-19 महामारी के दौरान आर्थिक व्यवधान के कारण फ्रीज किया गया था। यह निर्णय इसलिए लिया गया ताकि सरकारी वित्त पर दबाव कम किया जा सके।
मंत्री ने यह भी बताया कि 2024 के दौरान राष्ट्रीय संयुक्त परामर्शदात्री मशीनरी परिषद (NCJCM) सहित कई सरकारी कर्मचारी संघों से इस संबंध में ज्ञापन प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि महामारी के वित्तीय प्रभाव और सरकार द्वारा उठाए गए कल्याणकारी उपायों के वित्तपोषण के कारण DA/DR का बकाया भुगतान फिलहाल संभव नहीं है।
DA रोकने से हुई बचत
सरकार द्वारा महंगाई भत्ते की तीन किस्तों को रोकने से कुल 34,402.32 करोड़ रुपये की बचत हुई। यह राशि कोविड-19 महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटने के लिए इस्तेमाल की गई।
कर्मचारी संघों की मांग
NCJCM ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर 18 महीने के DA बकाया के भुगतान सहित 14 पुरानी मांगों को दोहराया है। इस पत्र में कहा गया है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के मन में यह मुद्दा गहरी चिंता का विषय बना हुआ है। संघ ने आग्रह किया है कि सरकार इन बकायों का भुगतान शीघ्र करे।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस बीच, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी केंद्र सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को उनके बकाया DA का भुगतान न करना अनुचित है, विशेष रूप से तब जब आर्थिक स्थिति बेहतर हो रही है।
निष्कर्ष
18 महीने के DA एरियर का मुद्दा सरकार और केंद्रीय कर्मचारियों के बीच एक महत्वपूर्ण विवाद बन गया है। यह न केवल कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के आर्थिक अधिकारों का सवाल है, बल्कि यह सरकार की वित्तीय प्राथमिकताओं और सामाजिक न्याय की प्रतिबद्धता पर भी सवाल खड़ा करता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस मुद्दे को कैसे संभालती है और क्या इसे हल करने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं।
मोदी सरकार से कोई उम्मीद नहीं है,,
18 months ka da dr modi sarkar nahi diya,,,e modiji ka ahankar hai,,kendriya karmochari is baat ko yaad rakhna ,,aur 2026 main jyogo, jawab dena///