भारत के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत सातवें बजट का इंतजार देश के करीब 78 लाख पेंशनभोगियों ने बड़ी उत्सुकता से किया था। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के पेंशनर्स को उम्मीद थी कि इस बजट में उनके लिए कुछ विशेष प्रावधान किए जाएंगे। लेकिन बजट भाषण के बाद उनकी निराशा और हताशा साफ झलकने लगी।
पेंशनर्स की प्रतिक्रिया
पेंशनभोगी जस्टिन स्टैनिस्लॉस ने अपने गुस्से और निराशा को सोशल मीडिया पर व्यक्त करते हुए लिखा, “CBT में अब कुछ नहीं है, बस कुछ नहीं है। अब कहां से उम्मीद करें। 10 साल से संघर्ष ही संघर्ष। कोई नतीजा नहीं, फिर भी हम मरते दम तक संघर्ष करेंगे।” उनके इस बयान से साफ है कि पेंशनर्स का धैर्य अब जवाब दे रहा है और वे लगातार संघर्ष करते आ रहे हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पेंशनर्स के एडमिन मोनीश गुहा भी काफी निराश हैं। उन्होंने लिखा, “उम्मीद है और मुझे यकीन है कि कोई भी हमारे कंधे पर बंदूक रखकर अपना राजनीतिक कैरियर नहीं बना रहा है।” यह बयान पेंशनर्स के बीच बढ़ती असंतोष और निराशा को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
पेंशनर्स की आर्थिक स्थिति
पेंशनभोगियों की आर्थिक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए एक पेंशनर ने कहा, “EPF विभाग द्वारा एकत्रित अंशदान और उस पर मिलने वाला ब्याज ही एमपी, एमएलए, मंत्री और उनके नीचे के कर्मचारियों को प्रतिमाह 127000 रुपए देता है, जो उनके वेतन से कोई योगदान नहीं देते हैं।” यह स्थिति पेंशनभोगियों के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि वे अपने पूरे जीवन की कमाई का एक हिस्सा इस फंड में योगदान करते हैं और फिर भी उन्हें उचित पेंशन नहीं मिल पाती है।
हर 5 साल के कार्यकाल में वे पेंशन के रूप में कई लाख कमा रहे हैं और यह आजीवन चलता रहेगा, इसलिए वे पुराने EPF पेंशनर्स को पेंशन देने के लिए कभी सहमत नहीं होते हैं। इस परिस्थिति से पेंशनभोगियों में आक्रोश और हताशा का माहौल बन गया है।
धार्मिक आस्था और उम्मीदें
पेंशनर्स की इस निराशा के बीच कुछ लोग अपनी धार्मिक आस्था के माध्यम से उम्मीद की किरण तलाश रहे हैं। ब्रह्माजी राव वसंतराव ने लिखा, “हम सब प्रार्थना करें, हम सब जपें…हे प्रभु, भगवान श्री राम के दूत, कृपया हमें आशीर्वाद दें, ताकि असंभव संभव हो जाए। यह मंत्र सरल है लेकिन बहुत शक्तिशाली है।” उनके इस बयान से पता चलता है कि पेंशनर्स अब अपनी समस्या का समाधान धार्मिक आस्था में भी तलाश रहे हैं।
निष्कर्ष
इस बजट से पेंशनभोगियों की उम्मीदें एक बार फिर टूट गई हैं। वे अपने अधिकारों के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन अब भी उनके हाथ निराशा ही लगी है। सरकार से उनकी मांगें और अपेक्षाएं अनसुनी रह गई हैं। पेंशनभोगियों की स्थिति में सुधार लाने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि वे अपने जीवन की संध्या में आर्थिक सुरक्षा और सम्मान के साथ जी सकें।
Please make seperate whatsApp group for private employees pensioners, we do not want to see Govt employees EPF rules, as they get contineous DA base pension.
It’s very very high time as non of the political parties are interested in EPS 95 pensioners higher pension reconciliation. We all should teach them a lesson I request all pensioners to vote to NOTA in all kind of election. When the candidates come to request you to vote them remind them regarding our request and also inform them why we will be voting for NOTA than and than only they will understand us and do something for pensioners
अब यों बोलते बोलतर हमें शर्म आ रही है पर इस सरकार कोई नहीं आ रही.
लोग तीन तीन पेंशन ले रहे और हमें मात्र 1000.
लिखते हुए भी शर्म as रही है.
जागो मोदी ज़ी निर्मला ज़ी. कब तक सोते रहोगे,????