केंद्र सरकार अपनी प्रमुख सोशल सिक्योरिटी स्कीम, अटल पेंशन योजना (Atal Pension Yojana), के तहत न्यूनतम गारंटीड राशि को बढ़ाकर 10,000 रुपये करने पर विचार कर रही है। योजना को लेकर सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, इस घोषणा की संभावना आगामी 23 जुलाई को पेश होने वाले बजट में की जा सकती है। वर्तमान में, सरकार इसके राजकोषीय प्रभाव का आकलन कर रही है और बजट से पहले इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। यह कदम सामाजिक सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, क्योंकि सरकार सामाजिक सुरक्षा पर लेबर कोड लागू करने की तैयारी कर रही है।
अटल पेंशन योजना की मौजूदा स्थिति
अभी तक के आंकड़ों के मुताबिक, अटल पेंशन योजना में 6.62 करोड़ लोगों ने खाते खोले हैं और वर्ष 2023-24 में 1.22 करोड़ नए खाते खोले जाने की संभावना है। योजना को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए गारंटीड राशि को बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। वर्तमान में, योजना के तहत 1,000 से 5,000 रुपये प्रति माह की न्यूनतम पेंशन की गारंटी दी जाती है।
पेंशन राशि में वृद्धि की आवश्यकता
पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA) के अध्यक्ष दीपक मोहंती ने कहा कि 2023-24 में अटल पेंशन योजना के तहत एनरॉलमेंट सबसे अधिक था। इसे लेकर पेंशन रेगुलेटर ने पेंशन राशि में वृद्धि की वकालत की है, क्योंकि मौजूदा राशि समय के साथ अपनी वैल्यू बरकरार नहीं रख पाएगी। इस साल की शुरुआत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी द्वारा यह कहा गया था की अटल पेंशन योजना एक किफायती योजना है, जिसमें पेंशन राशि की गारंटी है। उन्होंने बताया कि इस योजना ने शुरुआत से ही 9.1% रिटर्न दिया है और यह अन्य बचत योजनाओं की तुलना में काफी प्रतिस्पर्धी है।
योजना की पात्रता और लाभ
अटल पेंशन योजना गरीबों और निम्न मध्यम वर्ग के लिए एक सब्सिडी वाली योजना है। योजना के तहत अधिकतर पेंशन खाते निचले स्लैब में हैं। वर्ष 2015-16 में शुरू की गई इस योजना को नेशनल पेंशन स्कीम के माध्यम से PFRDA द्वारा प्रशासित किया जाता है। योजना में मृत्यु या लाइलाज बीमारी के मामलों को छोड़कर 60 वर्ष की आयु में पेंशन फंड के 100% एन्युटी के साथ बाहर निकलने की अनुमति है। हालांकि, इनकम टैक्स का भुगतान करने वाले लोग इस योजना में शामिल होने के पात्र नहीं हैं।
सरकार के इस कदम से अटल पेंशन योजना के दायरे में और अधिक लोगों को लाने में मदद मिलेगी और समाज के कमजोर वर्गों को बेहतर सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जा सकेगी।