केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए GPF (सामान्य भविष्य निधि) खातों में जमा राशि को लेकर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं। DOPT (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) के नए आदेश के अनुसार, अब GPF खातों में जमा राशि की सीमा तय कर दी गई है।
कर्मचारी ज्यादा पैसा जमा करते थे
पहले, केंद्रीय कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी का कम से कम 6% और अधिकतम अपनी बेसिक के बराबर राशि GPF खाते में जमा कर सकते थे। इस पर सरकार 7.1% ब्याज का भुगतान करती थी। अधिक ब्याज पाने के लालच में कई कर्मचारी अपनी पूरी बेसिक सैलरी GPF में जमा कर देते थे, जिससे सरकार को अधिक ब्याज देना पड़ता था। इस स्थिति को देखते हुए, 12 जून 2022 से सरकार ने इस नियम में बदलाव किया।
नियम में बदलाव
नए नियम के अनुसार, प्रत्येक वित्तीय वर्ष में कर्मचारी का योगदान और सरकार का ब्याज जोड़कर GPF खाते में 5 लाख से अधिक जमा नहीं हो सकता। सभी विभागों को यह निर्देश दिया गया है कि कर्मचारियों के अंशदान और सरकार के अंशदान को मिलाकर GPF खाते में 5 लाख से ज्यादा जमा ना हो।
उदाहरण के तौर पर
अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 50,000 रुपये है और वह GPF खाते में 10% योगदान करता है, तो वह प्रति महीना 5,000 रुपये और सालाना 60,000 रुपये जमा करेगा। 7.1% ब्याज के साथ यह राशि 64,260 रुपये हो जाएगी। यदि वही कर्मचारी 80% या 90% योगदान करता है, तो कुल राशि 5 लाख से ऊपर चली जाएगी।
ब्याज का भुगतान किस प्रकार से होगा
नए निर्देशों के बावजूद कई कर्मचारियों के GPF खातों में 5 लाख से अधिक राशि जमा हो गई। अब सवाल यह उठता है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में यदि किसी कर्मचारी के GPF खाते में 5 लाख से अधिक राशि जमा हो गई है, तो सरकार ब्याज का भुगतान कैसे करेगी।
जारी हुआ आदेश
सभी विभागों ने DOPPW से स्पष्टता मांगी कि 5 लाख से अधिक राशि जमा होने पर ब्याज का भुगतान किया जाएगा या नहीं। 2 मई 2024 को केंद्र सरकार के पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (DOPPW) ने इस पर स्पष्टीकरण दिया।
केंद्र सरकार ने किया स्पष्ट
DOPPW ने स्पष्ट किया कि GPF खाते में 5 लाख से अधिक राशि जमा नहीं होनी चाहिए थी, फिर भी यदि ऐसा हुआ है तो इनकम टैक्स अधिनियम के तहत कर्मचारी को ब्याज का भुगतान किया जाएगा।