
EPFO Pension की चर्चा आमतौर पर रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन से होती है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी EPFO अपने सब्सक्राइबर्स को एक नहीं बल्कि कुल सात तरह की पेंशन मुहैया कराता है। यह पेंशन सिर्फ अंशधारक तक सीमित नहीं है, बल्कि उनकी पत्नी, बच्चे, माता-पिता और नॉमिनी भी इसके हकदार हो सकते हैं। बशर्ते कि वे ईपीएफओ की शर्तों को पूरा करते हों।
EPFO के तहत पेंशन कैसे मिलती है?
प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों की बेसिक सैलरी का 12% हिस्सा ईपीएफ खाते में जमा होता है। इसी तरह नियोक्ता (Employer) भी उतनी ही राशि जमा करता है। लेकिन नियोक्ता के हिस्से की रकम में से 8.33% हिस्सा ईपीएस (Employees’ Pension Scheme) में जाता है और शेष 3.67% हिस्सा EPF खाते में रहता है।
EPFO Pension आमतौर पर 58 साल की उम्र पूरी होने के बाद शुरू होती है। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में यह 50 साल की उम्र, या केवल एक महीने की सेवा के बाद भी मिलने लगती है। इस पेंशन स्कीम की खास बात यह है कि यह केवल रिटायरमेंट तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन के कई मोड़ों पर आर्थिक सुरक्षा देती है।
रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन
EPFO की सबसे सामान्य पेंशन स्कीम है रिटायरमेंट पेंशन। यह पेंशन उन सब्सक्राइबर्स को दी जाती है जिन्होंने कम से कम 10 साल की सेवा पूरी कर ली हो और जिनकी उम्र 58 साल हो चुकी हो। यह पेंशन आजीवन मिलती है और अंशधारक के बाद उसके परिवार को भी इसका लाभ मिल सकता है।
अर्ली पेंशन की जानकारी
अगर कोई सब्सक्राइबर 50 साल की उम्र तक पहुंच चुका है और उसकी 10 साल की सेवा पूरी हो चुकी है, तो वह अर्ली पेंशन के लिए पात्र होता है। हालांकि, अर्ली पेंशन लेने पर पेंशन राशि में कटौती होती है। हर साल चार फीसदी की कटौती होती है। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई व्यक्ति 58 साल में 10,000 रुपये की पेंशन का हकदार होता, तो 56 साल में उसे करीब 9,216 रुपये ही मिलेंगे।
विकलांग को दी जानें वाली पेंशन
EPFO Pension का तीसरा प्रकार विकलांग पेंशन है। यदि कोई सब्सक्राइबर सेवा के दौरान स्थायी या अस्थायी रूप से विकलांग हो जाता है, तो वह इस पेंशन का हकदार होता है। इस स्कीम में उम्र या सेवा की कोई बाध्यता नहीं है। यदि कोई सदस्य केवल एक महीने के लिए भी EPF में योगदान कर चुका है और उसे विकलांगता हो जाती है, तो वह इस पेंशन का लाभ उठा सकता है।
विधवा या बाल पेंशन
अगर किसी सब्सक्राइबर की मृत्यु हो जाती है, तो उसकी पत्नी और 25 वर्ष से कम उम्र के बच्चे इस पेंशन के पात्र होते हैं। यहां तक कि तीसरे, चौथे और पांचवें बच्चे को भी पेंशन का हक मिल सकता है, लेकिन शर्त यह है कि पहले या पूर्ववर्ती बच्चों की उम्र 25 साल पूरी हो चुकी हो। जैसे ही किसी बच्चे की उम्र 25 साल होती है, उसकी पेंशन बंद हो जाती है और अगला पात्र बच्चा पेंशन पाने लगता है।
अनाथ व्यक्ति की पेंशन
यदि सब्सक्राइबर की मृत्यु हो जाती है और पत्नी की भी मृत्यु हो चुकी होती है, तो ऐसे में उसके दो बच्चों को अनाथ पेंशन (Orphan Pension) दी जाती है। यह पेंशन तब तक मिलती है जब तक उनकी उम्र 25 साल की नहीं हो जाती। यह स्कीम अनाथ बच्चों के लिए एक स्थायी सहायता का जरिया बनती है।
नॉमिनी को मिलने वाली पेंशन
EPFO के तहत यदि किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है और उसने EPFO पोर्टल पर ई-नॉमिनेशन फॉर्म भरा हुआ है, तो उस पर नामित व्यक्ति (Nominee) पेंशन का हकदार होता है। यह पेंशन तब तक दी जाती है जब तक पात्रता की शर्तें पूरी होती हैं।
आश्रित माता-पिता पेंशन
अगर कोई सब्सक्राइबर अविवाहित था और उसकी मृत्यु हो जाती है, तो उसके आश्रित माता-पिता इस पेंशन के पात्र बनते हैं। पहले यह पेंशन पिता को दी जाती है, और पिता की मृत्यु के बाद मां को पेंशन मिलती है। यह पेंशन तब तक मिलती है जब तक वे जीवित हैं। इसके लिए सब्सक्राइबर के परिवार को फॉर्म 10 डी भरकर जमा करना होता है।
EPFO की पेंशन स्कीम क्यों है खास?
EPFO की पेंशन स्कीम को इतना व्यापक बनाने का उद्देश्य केवल रिटायरमेंट सुरक्षा नहीं, बल्कि जीवन के हर उस मोड़ पर वित्तीय सहायता देना है जहां व्यक्ति या उसके परिजन कमजोर होते हैं। विकलांगता, मौत, बेरोजगारी या पारिवारिक संकट जैसी परिस्थितियों में यह योजना उनके लिए सहारा बनती है।
इसके अलावा, EPFO की पेंशन योजना को लगातार अपग्रेड किया जा रहा है, जिससे ज्यादा से ज्यादा कर्मचारी और उनके परिजन इससे जुड़ सकें और उन्हें समय पर लाभ मिल सके।