यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS), EPS 95 और EPFO जैसे शब्द आजकल पेंशनभोगियों के बीच चर्चा का मुख्य विषय बने हुए हैं। इन योजनाओं के संदर्भ में पेंशनभोगी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं और अपनी न्यूनतम पेंशन को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। वर्तमान में, पेंशनभोगियों की न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये है, जिसे बढ़ाकर 7,500 रुपये करने की गुहार लगाई जा रही है।
पेंशनभोगियों की मांग
इस मामले पर एक पेंशनभोगी सत्यनारायण हेगड़े का कहना है कि सरकार पेंशन में बढ़ोतरी को लेकर गंभीर नहीं है। वे आरोप लगाते हैं कि सरकार के मुखिया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ने वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं को नजरअंदाज किया है। हेगड़े के अनुसार, पीएम मोदी की सार्वजनिक रैलियों में महिलाओं और युवाओं के लिए सहानुभूति तो दिखाई देती है, लेकिन वरिष्ठ नागरिकों, विशेष रूप से EPF पेंशनभोगियों, की परेशानियों को नजरअंदाज किया जाता है।
उन्होंने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि 400 से अधिक सीटें जीतने का दावा करने वाली सरकार को केवल 272 सीटें मिलीं, जिससे स्पष्ट होता है कि जनता सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं है। हेगड़े ने यह भी कहा कि तीन राज्यों के आगामी चुनावों के बाद स्थिति और भी स्पष्ट हो जाएगी कि जनता वास्तव में सरकार से कितनी असंतुष्ट है।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम पर प्रतिक्रिया
वहीं पेंशनभोगी रमेश गौतम ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) पर अपनी निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह योजना अप्रैल 2025 से लागू की जाएगी, और तब तक सरकार चुनावी रणनीतियों में व्यस्त रहेगी। गौतम का मानना है कि सरकार अपने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को गुमराह कर रही है। उनके अनुसार, सरकार के नेतृत्व को वित्तीय रूप से पोषित किया जा रहा है, जिसके कारण वे पेंशनभोगियों की समस्याओं को हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।
जनता और पेंशनभोगियों की उम्मीदें
पेंशनभोगियों का कहना है कि वे अब और अधिक समय तक इंतजार नहीं कर सकते। वे चाहते हैं कि सरकार जल्द से जल्द उनकी मांगों को पूरा करे और न्यूनतम पेंशन को 7,500 रुपये तक बढ़ाए। इसके साथ ही, पेंशनभोगियों का यह भी मानना है कि सरकार को अपनी योजनाओं को लागू करने में पारदर्शिता और त्वरितता लानी चाहिए, ताकि वरिष्ठ नागरिकों को राहत मिल सके।
निष्कर्ष
पेंशनभोगियों की मांगें और उनकी निराशा इस बात को दर्शाती है कि वे अपने भविष्य को लेकर गंभीर चिंताओं का सामना कर रहे हैं। हालांकि फिर भी उन्हे उम्मीद है कि उनकी आवाज़ सुनी जाएगी और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।