OPS Update: भारत में सरकारी कर्मचारियों के बीच पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली की मांग एक बार फिर से जोर पकड़ रही है। नई पेंशन योजना (NPS) के लागू होने के बाद से, सरकारी कर्मचारियों में असंतोष बढ़ा है और वे OPS की बहाली के लिए संगठित और सशक्त आंदोलन कर रहे हैं।
OPS, जिसमें कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद बिना किसी योगदान के पेंशन मिलती थी, को हटाने और NPS को लागू करने के बाद से ही कर्मचारी इस निर्णय के विरोध में हैं। यह विरोध हाल ही अधिक बढ़ा है, खासकर जब कुछ राज्यों ने OPS को फिर से लागू करने की दिशा में कदम उठाए हैं।
सरकार के खिलाफ बढ़ते विरोध
कई राज्य सरकारें, जैसे राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब, और हिमाचल प्रदेश, ने हाल ही में OPS को बहाल किया है। इससे उन सरकारी कर्मचारियों के बीच उम्मीदें बढ़ी हैं, जो NPS के तहत अपने फंड्स का भविष्य लेकर चिंतित थे।
इन राज्यों में कर्मचारियों को यह विकल्प दिया गया है कि वे OPS या NPS में से किसी एक का चयन कर सकते हैं। हालांकि इस बीच, केंद्रीय सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह NPS को पूरी तरह से समाप्त करने या OPS को राष्ट्रीय स्तर पर फिर से लागू करने की योजना में नहीं है।
पेंशन बहाली की रणनीति
बता दें, सरकारी कर्मचारी संघों ने OPS की बहाली के लिए एक विस्तृत रणनीति तैयार की है। वे कानूनी उपायों पर भी विचार कर रहे हैं ताकि NPS के तहत किए गए योगदान को वापस लिया जा सके। हाल ही में, पंजाब सरकार ने अपने कर्मचारियों के NPS योगदान को GPF (जनरल प्रोविडेंट फंड) खातों में स्थानांतरित करने की योजना बनाई है, जिससे कर्मचारियों को अधिक वित्तीय सुरक्षा मिल सके।
केंद्र और राज्यों के बीच तनाव
OPS की बहाली के कारण राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के बीच तनाव बढ़ गया है। केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि PFRDA (पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी) अधिनियम के तहत NPS के तहत किए गए योगदान को वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है, जिससे राज्यों के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो जाता है कि वे कर्मचारियों को उनके योगदान की वापसी कैसे सुनिश्चित करें। इस संदर्भ में, कई राज्य सरकारें और कर्मचारी संघ कानूनी सलाह ले रहे हैं और कोर्ट का सहारा लेने की तैयारी कर रहे हैं।
निष्कर्ष
OPS की बहाली की मांग ने एक बड़े आंदोलन का रूप ले लिया है, जिसमें सरकारी कर्मचारी अपनी पुरानी पेंशन व्यवस्था को पुनः लागू करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जबकि कुछ राज्य सरकारों ने इस दिशा में कदम उठाए हैं, वहीं केंद्र सरकार अभी भी NPS पर ही कायम है।