हिमाचल प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। पुरानी पेंशन योजना (OPS) के अंतर्गत अब उन कर्मचारियों को भी लाभ मिलेगा जिनकी नियमित सेवा अनुबंध अवधि के कारण दस साल पूरी नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार के वित्त विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।
क्या लिखा है वित्त विभाग के आदेश में?
वित्त विभाग के प्रधान सचिव देवेश कुमार ने 10 जून को एक कार्यालय आदेश जारी किया है। इस आदेश के अनुसार, उन कर्मचारियों और पेंशनरों को, जिनकी दस साल की नियमित सेवा अनुबंध अवधि के कारण पूरी नहीं हुई, अब OPS का लाभ मिलेगा। इस निर्णय से उन कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है जो अनुबंध सेवा के तहत नियमित किए गए थे।
हालांकि, इस फैसले को कुछ शर्तों के साथ लागू किया गया है:
- केवल वही अनुबंध कर्मचारी जो हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग या कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के माध्यम से चयनित हुए हैं, इस लाभ के पात्र होंगे।
- यदि किसी कर्मचारी ने OPS के बजाय नई पेंशन योजना (NPS) का विकल्प चुना है, तो वे अनुबंध सेवा की पेंशन गणना के पात्र नहीं होंगे।
- अनुबंध और नियमित सेवा के बीच कोई ब्रेक नहीं होना चाहिए।
- सभी कर्मचारियों को अपने विभागाध्यक्ष के माध्यम से 30 दिन के भीतर विकल्प देना होगा।
- यदि कोई कर्मचारी नियमित होने से पहले ही अनुबंध अवधि में मृत्यु हो जाती है, तो उसे पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा।
OPS और NPS में क्या अंतर है?
OPS और NPS के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर हैं, जिन्हें समझना जरूरी है।
OPS | NPS |
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रिटायरमेंट के बाद अंतिम वेतन का आधा हिस्सा पेंशन के रूप में मिलता है। | पेंशन में कर्मचारी को मूल वेतन का 10% योगदान देना होता है। राज्य सरकार 14% योगदान करती है। |
पेंशनधारक की मृत्यु पर परिवार को पेंशन मिलती है। | पेंशन पाने के लिए NPS फंड का 40% निवेश करना होता है। |
रिटायरमेंट पर 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी मिलती है। | ग्रेच्युटी का कोई स्थायी प्रावधान नहीं है। |
महंगाई भत्ता (DA) हर छह महीने में बढ़ता है। | महंगाई भत्ता लागू नहीं होता। |
पेंशन पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता। | रिटायरमेंट पर शेयर बाजार के अनुसार मिलने वाले पैसे पर टैक्स देना पड़ता है। |
यदि आप हिमाचल प्रदेश के सरकारी कर्मचारी हैं और इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, तो जल्दी से जल्दी अपने विभागाध्यक्ष के माध्यम से विकल्प प्रस्तुत करें। अगर कोई कर्मचारी या पेंशनर विकल्प नहीं देता, तो इसे माना जाएगा कि वह अपनी कॉन्ट्रैक्ट सर्विस को CCS पेंशन रूल्स 1972 के तहत काउंट नहीं करवाना चाहता।
पुरानी पेंशन योजना के तहत हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को यह राहत भरी खबर उनके भविष्य को सुरक्षित बनाने में सहायक होगी। यह निर्णय न केवल कर्मचारियों के लिए बल्कि उनके परिवारों के लिए भी फायदेमंद साबित होगा।