मोदी सरकार को माननी होगी EPS 95 पेंशन की मांग, 31 जुलाई को दिल्ली के जंतरमंतर पर देशभर से जुटेंगे पेंशनर्स

EPS 95 पेंशन धारकों ने भारतीय असंगठित क्षेत्रों में न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने लंबे समय से आंदोलन किया और सरकार से केवल आश्वासन ही प्राप्त किया है।

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Written by Rohit Kumar

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मोदी सरकार को माननी होगी EPS 95 पेंशन की मांग, 31 जुलाई को दिल्ली के जंतरमंतर पर देशभर से जुटेंगे पेंशनर्स

भारत में, EPS 95 (Employees’ Pension Scheme 1995) पेंशन धारकों के लिए न्यूनतम पेंशन की मांग ने एक राष्ट्रीय आंदोलन का रूप ले लिया है। महाराष्ट्र में, इस आंदोलन को नेतृत्व दे रहे हैं कमांडर अशोक राउत, इन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि पेंशनरों की मांगें पूरी की जानी चाहिए।

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बता दें, देश के 184 असंगठित क्षेत्रों में पेंशन धारकों को नाममात्र की पेंशन मिल रही है, जो कि 1000 से 3500 रुपए प्रति माह है। यह राशि उनके द्वारा जमा की गई राशि और उनकी सेवा के वर्षों के अनुपात में बेहद कम है।

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आंदोलन की प्रमुख मांगें

राष्ट्रीय संघर्ष समिति पिछले 8 वर्षों से कम से कम 7500 रुपए प्रति माह की न्यूनतम पेंशन, मेडिकल भत्ते सहित अन्य सुविधाओं की मांग कर रही है। यह मांग विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक मंचों पर उठाई गई है, जिसमें लोकसभा में भी इसे उठाया गया है।

आंदोलन की गतिविधियाँ

आंदोलनकारियों ने विभिन्न प्रकार की गतिविधियां आयोजित की हैं, जैसे कि क्रमिक उपवास, जिसे बुलढाणा में पिछले 8 वर्षों से जारी रखा गया है। इस उपवास का उद्देश्य सरकार का ध्यान आकर्षित करना और पेंशन वृद्धि की मांगों को मान्यता दिलाना है। हालांकि इन मांगों को लेकर कई बार चर्चा हुई है, जिसमें प्रधानमंत्री तक से मुलाकात की गई है, पेंशनभोगियों को अभी तक केवल आश्वासन ही मिले हैं और कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

क्या होंगे आगामी कदम?

राष्ट्रीय संघर्ष समिति द्वारा 31 जुलाई 2024 को दिल्ली के जंतर मंतर पर एक आक्रोश मोर्चा का आयोजन किया जाएगा। इस मोर्चा के तहत समिति सरकार का ध्यान अपनी मांगों की ओर केंद्रित करना चाहती है।

EPS 95 पेंशन धारकों का यह आंदोलन न केवल उनकी वित्तीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह भारतीय श्रमिकों के अधिकारों और सम्मान के लिए भी एक प्रमुख लड़ाई का प्रतिनिधित्व करता है।

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