EPS 95 पेंशन (EPS 95 Pension) को लेकर पेंशनर्स की बेचैनी कम होने का नाम नहीं ले रही है। सोशल मीडिया पर पेंशनर्स लगातार नए तथ्य और अपनी चिंताओं को साझा कर रहे हैं।
योजना की शुरुआत और श्रमिकों की अनिवार्यता
एक पेंशनर ने लिखा कि ईपीएफओ (EPFO) के तहत 1995 में शुरू हुई EPS 95 योजना 1981 के बाद श्रमिकों के लिए अनिवार्य थी, लेकिन जो 1981 से पहले श्रमिक बन चुके थे, उनके लिए यह योजना अनिवार्य नहीं थी। जब यह योजना 1995 में शुरू हुई थी, तब सरकार, मालिक वर्ग और यूनियन वर्कर्स प्रतिनिधियों (Union Workers Representatives) ने सीबीटी ट्रस्ट (CBT Trust) का गठन किया था।
न्यूनतम पेंशन की घोषणा और कर्मचारी
पेंशनर्स का दावा है कि न्यूनतम 20 से 25 हजार रुपये पेंशन मिलने की घोषणा के बाद कई पुराने कर्मचारी इस योजना में शामिल हुए। श्रमिक सरकार की नीतियों के शिकार हुए। 1995 तक PPO, PPS के माध्यम से प्रोविडेंट फंड में कटौती हुई थी, जिसमें कई कर्मचारी PPO, PPS के सदस्य थे।
पुरानी पेंशन स्कीम और आज की स्थिति
पुरानी पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) के तहत 30-40 साल सेवा कर 2014 से पहले रिटायर होने वाले आज अधिक पेंशन पाने के लिए ज्यादा पैसे नहीं दे सकते। उनके पास पैसे की कमी है और मौजूदा पेंशन भी पर्याप्त नहीं है।
सरकार और सीबीटी का फैसला
2014 में सरकार और सीबीटी के बीच हुए फैसले पर भी पेंशनर्स ने सवाल उठाए हैं। पेंशनर्स का आरोप है कि इस फैसले में सरकार और मालिकों का फायदा देखा गया और श्रमिकों के भविष्य को नजरअंदाज कर दिया गया। उन्होंने सवाल किया कि ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधियों ने इस फैसले को कैसे मंजूरी दी और मजदूरों के भविष्य की चिंता क्यों नहीं की।
पेंशनर्स के सवाल और मांग
पेंशनर्स ने यह भी पूछा कि सीबीटी की गलतियों को अभी तक ठीक क्यों नहीं किया गया है। उनका कहना है कि ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधियों को श्रमिकों के नुकसान का पता था, लेकिन उन्होंने इस फैसले पर अपनी आंखें बंद कर लीं।
निष्कर्ष
EPS 95 पेंशन को लेकर पेंशनर्स की बेचैनी और सवाल अभी भी जारी हैं। सोशल मीडिया पर पेंशनर्स अपनी आवाज उठा रहे हैं और सरकार से जवाब और समाधान की उम्मीद कर रहे हैं।
“हमारी लड़ाई सिर्फ पेंशन के लिए नहीं, बल्कि हमारे भविष्य के लिए है,” एक पेंशनर ने लिखा।
सरकार और संबंधित अधिकारियों को इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए और पेंशनर्स की समस्याओं का उचित समाधान करना चाहिए।
Karmchaari hitaishi sarkar ke pass logo ko nikamma bana kr bina mehnat khairat batne avm netao ko bina contribution pension dene ke liye bahut paisa hai, lekin hq dene ke liye nahi nai
Ham jaisa 78/79 years ke burehe loag,
ham a dookh ata hai hamko diye hooye 1000 rupaya monthly pension
par.
Up sare deshke liye ek uchha PM hai.
Lakin yeh jo pension 1000 rupaya per
month hamko pensio dete hai ham
Jaisa ek 78 sal umarh ka burrah ke liye
Yeh merahi nehi ,yeh mera desh ka bhi
komjory.
आज का ₹1 का सामान 2 साल बाद डेड रुपए का होता है और पेंशनर्स को महंगाई भत्ता न मिलने से जो लागू हुआ वही लागू रहा जाता है ऐसी स्थिति में पेंशनर की स्थिति रोज की रोज खराब होती जाती है जितनी महंगाई बढ़ती जाती है यह लोग उतना ही परेशान होते जाते क्योंकि पैसा तो बढ़ता ही नहीं सिर्फ महंगाई ही बढ़ती है
सरकार को और संबंधित अधिकारियों को मानवता का ध्यान रखते हुए उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ ना करें यही प्रार्थना है
Govt is busy with free ration schemes leaving the people to sit idle and enjoy govt free schemes for vote bank.
Whoever has given his full life for adding the country’s revenue will get a mere pension considering 15000/- basic salary amounting a maximum of 7500/- pension by completing 35 years full and dedicated service which is now a days can’t even your vegetable requirement for a month. Really this is very ridiculous and right time for a nation wide move.
सरकार कुछ ऊधोगपतीयो कि गुलाम है ओर ऊनसे चुनाव में चन्दा लेती हैं इसलिए हमारी बात नहीं सुनी जाती है
MP,MLA, chairman, Corporater, they have mot pay any single paisa to any government pension scheme how they are eligible ???
When we had all ready give money to government on trust ,we thought at that time that we get sufficient pension in old age for both, government chitting with us
Pension minimum should be revised..
Stop giving three four pension to those who are getting.
Govt. Is giving pension benefits to all Govt. Employees except eps pensioners. Not understood why LOP is not raising this burning issue.
मोदीजी सिर्फ वोट जहां ज्यादा दिखता है उनका ही काम करते हैं। ये सारा काम कांग्रेस ने शुरू किया था जो हम आज तक भुगत रहे हैं।
ईपीएस 95 पेंशनर्स का कुछ भी नहीं हो सकता है। यह योजना केवल फंड निर्माण करने के लिए सरकार द्वारा अपने फायदे के लिए बनाईं गई योजना है । कांग्रेस हो या बीजेपी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इन्हें बुजुर्गों की कोई चिंता नहीं है बुजुर्गों का पेंशन में फंड जमा है बस सरकार का काम होते जा रहा है फिर देश के बुजुर्ग कैसे भी रहे सरकार को क्या मतलब वरना कोश्यारी कमेंटी की रिपोर्ट आज तक संसद के पटल रखकर उसे लागू कर दिया होता।
The minimum EPFO pension of Rs 1000 pm ( less than 12 dollar per month) is fully unviable in this country and should be revised upward for all pensioners in this country without any delay. These pensions are once contributors and are not free loaders like many other pensioners including politicians
आज हर सरकार मुफ्त की रेवडिया बाट रही है…. कोई फ्री बिजली दे रहा कोई फ्री रेशन दे रहा, कोई फ्री बस दे रहा…. कोई लाड ली बहन लाडला भाई योजना ला रहा… इन सबके लिये गवर्नमेंट के पास पैसे है…. लेकीन हम बुढे pensinors को देने कुच भी नहीं…. मोदी सरकार से हमे यह उम्मिद नहीं थी…..
लोकतंत्र मे करोडो पेन्शनर्स बेबस हैं. जीनका समाज मे मानसन्मान होना वो बेबस हैं,फिर भि हम कहते है हमारा लोकतंत्र मजबुत हैं….
Today Emp. Pension fund ki pension 10yers ke bad bhi khoi change nahi kiya hai. BJP Govt. only rich person support kiya hai 11 years se BJP Govt hai poor man main Dhyanesh nahi diya hai