EPS 95 Pensioners का सामना BJP से, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले 20 जुलाई को बड़ी सभा

2013 में कोशियारी समिति ने 3000 रुपये पेंशन की सिफारिश की थी, पर 2014 में सरकार ने न्यूनतम पेंशन 1000 रुपये कर दी। 10 साल बाद भी पेंशन नहीं बढ़ी, जिससे महाराष्ट्र में 14 लाख EPS पेंशन धारकों में नाराजगी है, जो न्यूनतम पेंशन 7500 रुपये करने की मांग कर रहे हैं।

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Written by Rohit Kumar

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EPS 95 Pensioners का सामना BJP से, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले 20 जुलाई को बड़ी सभा

2013 में कोशियारी समिति ने 3000 रुपये पेंशन और महंगाई निर्देशों की सिफारिश की थी, लेकिन सरकार ने 2014 में न्यूनतम पेंशन 1000 रुपये तय की। 10 साल बाद भी महंगाई के बावजूद पेंशन नहीं बढ़ी है। 78 लाख में से 36 लाख पेंशन धारकों को 1000 रुपये से कम पेंशन मिल रही है, जिससे नाराजगी बढ़ रही है।

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पेंशनर्स की मांग

महाराष्ट्र में 14 लाख EPS पेंशन धारकों और उनके परिवारों में नाराजगी है। Vilas Ramchandra Gogawale ने दावा किया है कि EPS 95 पेंशन को 1000 रुपये से बढ़ाकर 7500 रुपये न करने से पेंशनर्स को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। पेंशनर्स का कहना है कि केंद्र सरकार ने उनके मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया है।

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क्रमिक उपवास और विरोध

बुलडाणा मुख्यालय पर 5 साल से अधिक समय से क्रमिक उपवास चल रहा है। पेंशनर्स की मांग है कि न्यूनतम पेंशन 7500 रुपये और डीए के साथ हो, मुफ्त चिकित्सा सुविधा मिले और उच्च पेंशन का प्रावधान हो।

चुनाव से उम्मीदें

पेंशनर्स को उम्मीद थी कि उनकी मांगें लोकसभा चुनाव से पहले पूरी हो जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के चलते राज्य सरकार से मॉनसून सत्र में उनकी मांगों को पूरा करने की अपील की जा रही है, ताकि नाराजगी को कम किया जा सके।

EPS 95 पेंशन धारकों की मांगों पर ध्यान न देने से उनकी नाराजगी बढ़ रही है। उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए न्यूनतम पेंशन बढ़ाना और अन्य सुविधाएं प्रदान करना आवश्यक है।

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6 thoughts on “EPS 95 Pensioners का सामना BJP से, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले 20 जुलाई को बड़ी सभा”

  1. Why is the Modi Government not interested to increase the minimum pension of Employees who had worked in the Private Sector?
    Does the Government think that the pensioners of Private Sector are not worth getting such benefits? How many people in the country work in Government Sector? They are only interested to satisfy the smaller group.
    This is not at all acceptable to the majority. By such an act they are losing their credibility amongst the General Public, which was reflected in the last Lok Sabha election.
    Modi Govt has to look seriously into the matter & meet the demands of the Persioners of Privatec sector on a Priority basis.

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