भारतीय सरकार ने वर्षों से कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के माध्यम से वेतनभोगी वर्ग के भविष्य की सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यह योजना खासकर उन कर्मचारियों के लिए डिज़ाइन की गई है जो प्रोविडेंट फंड (PF) के तहत आते हैं, ताकि उन्हें रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान की जा सके।
योजना की मुख्य विशेषताएं
- पेंशन की सुविधा: EPS के तहत, रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन प्रदान की जाती है, जिससे वे अपने मासिक खर्चे आसानी से उठा सकें।
- न्यूनतम पेंशन: वर्तमान में सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली न्यूनतम पेंशन 1000 रुपये है, हालांकि इसे बढ़ाकर 7500 रुपये किए जाने की मांग उठ रही है। इस मांग पर सरकार विचार कर रही है और इसे लागू करने के प्रयास जारी हैं।
कर्मचारी योगदान और सरकारी नियमन
इस योजना के अंतर्गत, कर्मचारियों को अपनी बेसिक आय और महंगाई भत्ता (DA) का 12% EPFO को जमा करना होता है। इसमें से 8.33% का हिस्सा EPS में जाता है और शेष 3.67% EPF में जमा होता है।
पेंशन प्राप्ति के लिए योग्यता
EPS के अनुसार, पेंशन पाने के लिए किसी कर्मचारी को कम से कम 10 वर्ष तक सेवा देनी अनिवार्य है। कम से कम इतनी अवधि के सेवानिवृत्ति पर ही पेंशन की सुविधा मिलती है।
रिटायरमेंट के बाद पेंशन लाभ
EPFO के अनुसार, यदि कोई कर्मचारी 23 साल की उम्र में इस योजना से जुड़ता है और 58 साल की उम्र में रिटायर होता है, तो उसे कर्मचारी पेंशन योजना के तहत 7500 रुपये प्रति माह पेंशन प्राप्त हो सकती है, बशर्ते उसका योगदान 15000 रुपये के वर्तमान वेतन सीमा के अनुसार हो।
सरकार यह भी सुनिश्चित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है कि वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त चिकित्सा और महंगाई भत्ता प्रदान किया जाए, जिससे उनका जीवन स्तर बेहतर हो सके।
संघर्ष और प्रस्ताव
EPS-95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति, जिसका मुख्यालय महाराष्ट्र में है, ने सरकार से यह भी मांग की है कि पेंशन राशि को प्रति माह कम से कम 7500 रुपये की जानी चाहिए। इस प्रकार, कर्मचारी पेंशन योजना न केवल रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों के आर्थिक सहारे के रूप में कार्य करती है, बल्कि यह उन्हें वित्तीय आत्मनिर्भरता प्रदान करने का भी एक माध्यम बनती जा रही है।