EPFO News: निजी क्षेत्रों में 7 लाख नौकरियों की आई कमी, सबसे अधिक इन राज्यों में पड़ी मार, जाने आगे कैसा रहेगा हाल

वित्त वर्ष 2023-24 में निजी क्षेत्र में 7 लाख नौकरियों की कमी आई है, जो पिछले पांच सालों में सबसे बड़ी गिरावट है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और हरियाणा जैसे प्रमुख राज्यों में यह कमी मैन्युफैक्चरिंग, आईटी और सर्विस सेक्टर में सबसे ज्यादा है।

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Written by Rohit Kumar

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EPFO News: निजी क्षेत्रों में 7 लाख नौकरियों की आई कमी, सबसे अधिक इन राज्यों में पड़ी मार, जाने आगे कैसा रहेगा हाल

EPFO News: भारत में निजी क्षेत्र में नौकरी की तलाश करने वाले युवाओं के लिए यह एक चिंताजनक समय है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के ताजे आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में निजी क्षेत्र में 7 लाख नौकरियों में कमी आई है। यह पिछले पांच वर्षों में नौकरियों में सबसे बड़ी गिरावट है। यहां तक कि कोरोना महामारी के दौरान 2020-21 में भी नौकरियों में केवल एक लाख की कमी आई थी।

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महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा नुकसान

विशेष रूप से महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, कर्नाटक और हरियाणा जैसे राज्यों में नौकरियों में गिरावट दर्ज की गई है। EPFO के ताजे पेरोल डेटा के अनुसार, महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा करीब 5 लाख 84 हजार नौकरियों में कमी आई है, जबकि कर्नाटक में करीब 5 लाख 39 हजार नौकरियों का नुकसान हुआ है। हरियाणा में यह संख्या 9.47 प्रतिशत की गिरावट के साथ है।

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सेक्टोरियल गिरावट

वहीं मैन्युफैक्चरिंग, आईटी और सर्विस सेक्टर में यह कमी सबसे अधिक देखी गई है। केवल निचले स्तर की नौकरियों में ही नहीं, बल्कि मध्य और उच्च स्तर की नौकरियों में भी 2023-24 में पिछले साल के मुकाबले 25 प्रतिशत की कमी आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना महामारी के बाद कंपनियों ने अपनी क्षमता से ज्यादा नौकरियां दी थीं, और अब वे पुराने कर्मचारियों के रिटायरमेंट या नौकरी छोड़ने की स्थिति में नई नौकरियां नहीं निकाल रही हैं।

हालांकि, नई सरकार बनने के बाद से यह दावा किया गया है की नई हायरिंग भी बढ़ी है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि 2024-25 में नौकरियों में फिर से वृद्धि होगी। लेकिन फिलहाल, EPFO की इस रिपोर्ट ने नौकरी की उम्मीद कर रहे युवाओं की चिंता अधिक बढ़ा दी है।

बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी

बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी की समस्या से जूझ रही जनता के लिए नौकरियों की कमी एक बड़ी समस्या बन गई है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह स्थिति युवाओं के लिए मानसिक और आर्थिक तनाव का कारण बन रही है।

सरकार और कंपनियों की भूमिका

सरकार और कंपनियों को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा। युवाओं को रोजगार देने के लिए नई योजनाओं और नीतियों की आवश्यकता है। इसके अलावा, कंपनियों को भी अपनी हायरिंग प्रक्रिया में सुधार करना होगा ताकि वे अधिक से अधिक लोगों को रोजगार दे सकें।

सरकार को युवाओं के लिए शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में भी निवेश करना चाहिए ताकि वे उद्योगों की जरूरतों के अनुसार अपने कौशल को विकसित कर सकें।

निष्कर्ष

निजी क्षेत्र में नौकरियों की कमी युवाओं के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है। EPFO के ताजे आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि नौकरी की तलाश में लगे युवाओं के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण है। हालांकि, नई सरकार और नई हायरिंग की संभावनाओं से उम्मीद की जा रही है कि अगले वित्त वर्ष में स्थिति में सुधार होगा। तब तक, युवाओं को अपने कौशल को बढ़ाने और नई संभावनाओं की तलाश में लगे रहना होगा। सरकार और कंपनियों को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालने की आवश्यकता है ताकि युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिल सकें।

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