रोजगार और इससे जुड़े इंसेंटिव EPFO में एनरॉलमेंट पर आधारित होंगे। पहली बार नौकरी करने वालों को एक महीने का सैलरी सपोर्ट

केंद्रीय बजट 2024-25 के तहत रोजगार-संवर्धन के लिए तीन नई योजनाओं की घोषणा की गई है: फर्स्ट टाइमर्स योजना, विनिर्माण में रोजगार सृजन योजना, और नियोक्ताओं के लिए समर्थन योजना। ये योजनाएं नई नौकरियों के सृजन, श्रमिकों को प्रोत्साहन, और नियोक्ताओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने पर केंद्रित हैं।

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Written by Rohit Kumar

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रोजगार और इससे जुड़े इंसेंटिव EPFO में एनरॉलमेंट पर आधारित होंगे। पहली बार नौकरी करने वालों को एक महीने का सैलरी सपोर्ट

केंद्रीय बजट 2024-25 के तहत, प्रधानमंत्री के पैकेज में रोजगार-संवर्धन प्रोत्साहन (Employment Linked Incentive) के तहत तीन नई योजनाओं की घोषणा की गई है। इन योजनाओं का उद्देश्य रोजगार सृजन को बढ़ावा देना और श्रमिकों और नियोक्ताओं दोनों को लाभ पहुंचाना है। आइए, इन योजनाओं पर एक नजर डालते हैं:

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फर्स्ट टाइमर्स (First Timers)

इस योजना के तहत, पहली बार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में पंजीकृत होने वाले कर्मचारियों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से तीन किस्तों में एक महीने का वेतन, अधिकतम ₹15,000 तक दिया जाएगा। इसका उद्देश्य नए कर्मचारियों को शुरुआती वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जिससे वे अपने नए रोजगार में समायोजित हो सकें।

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विनिर्माण में रोजगार सृजन (Job Creation in Manufacturing)

यह योजना विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई है। इसके तहत, EPFO योगदान के आधार पर पहले चार वर्षों के रोजगार में कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों को प्रत्यक्ष प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। इसका लक्ष्य अधिक से अधिक श्रमिकों को विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार प्रदान करना है और इस क्षेत्र में वृद्धि को बढ़ावा देना है।

नियोक्ताओं के लिए समर्थन (Support to Employers)

इस योजना के तहत, नियोक्ताओं को प्रत्येक अतिरिक्त कर्मचारी के लिए उनके EPFO योगदान के लिए प्रति माह अधिकतम ₹3,000 तक की प्रतिपूर्ति की जाएगी। यह प्रतिपूर्ति दो वर्षों के लिए की जाएगी। इस योजना का उद्देश्य नियोक्ताओं को अधिक श्रमिकों को नियुक्त करने के लिए प्रोत्साहित करना है, जिससे रोजगार सृजन में वृद्धि हो।

इन योजनाओं के माध्यम से, सरकार का लक्ष्य रोजगार के अवसरों को बढ़ाना और भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता और वृद्धि लाना है। यह पहल विशेष रूप से उन उद्योगों के लिए फायदेमंद होगी जो श्रम-प्रधान हैं और अधिक रोजगार प्रदान करने की क्षमता रखते हैं।

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