नई दिल्ली: कर्मचारी पेंशन स्कीम (EPS) के तहत मिलने वाली न्यूनतम पेंशन को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला जल्द ही लिया जा सकता है। EPFO बोर्ड की आगामी बैठक में, जो 6 सितंबर को होने वाली है, न्यूनतम पेंशन को बढ़ाने के मुद्दे को एजेंडे में शामिल किया गया है। यह बैठक पेंशनर्स के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है, क्योंकि लंबे समय से पेंशन में वृद्धि की मांग उठ रही है।
न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की मांग
वर्तमान में EPS-95 के तहत पेंशनर्स को न्यूनतम 1,000 रुपये प्रति माह पेंशन दी जाती है, जो उनकी जीवन यापन के लिए अपर्याप्त है। पेंशनर्स और विभिन्न संगठनों द्वारा मांग की जा रही है कि इस राशि को बढ़ाकर कम से कम 9,000 रुपये किया जाए। संसद की स्थायी समिति ने भी मार्च में न्यूनतम पेंशन को 1,000 रुपये से बढ़ाकर 3,000 रुपये करने की सिफारिश की थी।
EPFO बोर्ड बैठक का एजेंडा
EPFO की 6 सितंबर को होने वाली बैठक में न्यूनतम पेंशन का मुद्दा प्रमुख एजेंडे में शामिल है। बोर्ड के सदस्य और भारतीय मजदूर संघ के जनरल सेक्रेटरी, विरजेश उपाध्याय के अनुसार, 5 राज्यों के हाई कोर्ट ने पेंशन को मौलिक अधिकार माना है। इसके बावजूद, पेंशन की सीलिंग का मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
सरकार के सामने चुनौती
हालांकि, पेंशन को बढ़ाने की मांग जोर पकड़ रही है, लेकिन सरकार के पास इस समय फंड की कमी है। कोविड महामारी और उससे उत्पन्न आर्थिक संकट के कारण सरकारी खजाने पर दबाव है, जिससे पेंशन राशि को बढ़ाना मुश्किल हो रहा है।
EPS-95 पेंशन स्कीम क्या है?
EPS-95 स्कीम के तहत संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को 58 साल की उम्र के बाद पेंशन दी जाती है। इसमें कर्मचारी के लिए कम से कम 10 साल की नौकरी करना अनिवार्य है। इस स्कीम के तहत न्यूनतम 1,000 रुपये की पेंशन दी जाती है, जिसमें विधवा पेंशन और बच्चों की पेंशन जैसी सुविधाएं भी शामिल हैं।
आगे की राह
अब सबकी नजरें 6 सितंबर को होने वाली EPFO की बैठक पर टिकी हैं। यदि पेंशन में वृद्धि का फैसला लिया जाता है, तो यह पेंशनर्स के लिए बड़ी राहत होगी। हालांकि, सरकार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए, यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर क्या निर्णय लिया जाता है।
EPS पेंशनर्स के लिए यह बैठक महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। पेंशन वृद्धि की मांग और सरकार की आर्थिक स्थिति के बीच संतुलन बनाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। अब देखना यह है कि सरकार इस मुद्दे पर क्या फैसला लेती है।
We all pensioners rquest to consider our long pending issue to increase the amount or refund the totsl accumulated amount to all please. Free distribution of pension to all MP and MLAs must be stopped or to be cut to a reasonable amount to adjust the deficit please.They are public service discharger and getting such a high amount without working couldn’t be horrified. If central government dsires they can do it please..
🙏🙏🙏🙏
There is no fruitful result in CBT meeting only meeting eating and cheating with pensioners and saying that there is no proposal received
Kutchh hone wala nahi govt.doesnot deserve
Zindagi ka safar, Hai ye Kaisa safar, Koi samza nahi, Koi Jaana nahi.
Yah Jo mp log jitney bar mp baney utni bar pension lete hain Bina Paisa jama karae inke liye financial loss nahin hota sala
भारतीय मजदूर संघ सरकार का जेबी संगढन है खबर पढ़कर ही लग रहा है कि वह सरकार के बजट की फिक्र कर रहा है मजदूरों की पेंशन की नहीं
इस संगठन पर विश्वास कैसे करें इसने अपनी उत्पत्ति से आजतक कोई भी काम मजदूरों के हित में नहीं किया ।