
केंद्रीय कर्मचारियों के लिए केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS) के तहत इलाज का अधिकार एक महत्वपूर्ण सुविधा है। हाल ही में, दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है, जिसमें कहा गया कि वे केंद्रीय कर्मचारी भी CGHS के तहत स्वास्थ्य सेवा के हकदार हैं, जिनका इलाज CGHS द्वारा सूचीबद्ध अस्पतालों में नहीं हुआ हो, विशेष रूप से इमरजेंसी परिस्थितियों में। इस फैसले ने सरकारी कर्मचारियों के लिए इलाज की सुलभता को बढ़ाने में मदद की है।
जस्टिस ज्योति सिंह ने इस मामले की सुनवाई करते हुए सीमा मेहता नामक याचिकाकर्ता के पक्ष में यह फैसला सुनाया। सीमा मेहता, जो एक सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल की कर्मचारी हैं, ने अपने इलाज के दौरान CGHS द्वारा सूचीबद्ध अस्पतालों में से कोई अस्पताल नहीं पाया और उन्हें इलाज के लिए अन्य अस्पतालों में जाना पड़ा। इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने इस फैसले में उन्हें उपचार की रीइंबर्समेंट से वंचित न करने की बात कही।
क्या था पूरा मामला?
सीमा मेहता ने एक गंभीर सड़क दुर्घटना के बाद इमरजेंसी ब्रेन सर्जरी करवाने का निर्णय लिया था। इस सर्जरी के बाद उन्होंने कुल 585,523 रुपये का रीइंबर्समेंट क्लेम किया। शुरुआत में उन्होंने अपना इलाज दिल्ली के गुरु तेग बहादुर अस्पताल में करवाया था, लेकिन बाद में उन्हें सर गंगाराम अस्पताल भेजा गया, जहां उनकी सर्जरी हुई और कई बार भर्ती होने की आवश्यकता पड़ी।
जब सीमा मेहता ने शिक्षा निदेशालय (DoE) और स्कूल से इसके लिए रीइंबर्समेंट की मांग की, तो उनका क्लेम इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया कि जिस अस्पताल में उनका इलाज हुआ, वह CGHS द्वारा सूचीबद्ध नहीं था। इस पर कोर्ट ने मानव जीवन को सर्वोपरि बताते हुए यह निर्णय दिया कि इलाज के समय मरीज को सही चिकित्सा सहायता तुरंत मिलनी चाहिए और यह सरकार की जिम्मेदारी है।
अदालत का निर्णय
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में कहा कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी को इमरजेंसी स्थिति में इलाज की आवश्यकता हो, तो उन्हें इलाज के लिए अस्पताल के चयन में लचीलापन मिलना चाहिए, चाहे वह अस्पताल CGHS के तहत सूचीबद्ध हो या न हो। कोर्ट ने कहा कि जीवन के संकटपूर्ण समय में किसी भी सरकारी कर्मचारी को चिकित्सा सहायता से वंचित नहीं किया जा सकता। साथ ही, यह भी कहा कि जब इमरजेंसी के दौरान इलाज किया जाता है और यह प्रमाणित होता है, तो कर्मचारी को उस इलाज का रीइंबर्समेंट मिलने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, चाहे अस्पताल CGHS द्वारा सूचीबद्ध हो या न हो।
लॉ फर्म सराफ एंड पार्टनर्स से जुड़े अक्षय जैन ने इस फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा, “इस फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब किसी इमरजेंसी के दौरान वास्तविक चिकित्सा प्रमाण पत्र के माध्यम से इलाज का प्रमाणित किया जाता है, तो कर्मचारियों को सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध अस्पताल के बीच इलाज के लिए विकल्प चुनने की स्वतंत्रता होगी। इससे उन्हें इलाज में कोई कठिनाई नहीं होगी और रीइंबर्समेंट के अधिकार को सुरक्षित रखा जाएगा।”
कर्मचारियों को क्या लाभ मिलेगा?
करंजावाला एंड कंपनी के पार्टनर मनमीत कौर ने इस फैसले के महत्व को स्पष्ट करते हुए कहा, “अब कर्मचारी इमरजेंसी में मेडिकल रीइंबर्समेंट का दावा कर सकते हैं, भले ही इलाज करने वाला अस्पताल CGHS द्वारा सूचीबद्ध न हो। यह फैसले के बाद इलाज के विकल्प को और सुलभ बनाएगा और सरकारी कर्मचारियों को मेडिकल इमरजेंसी के समय में अतिरिक्त कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा।”
CGHS अस्पतालों का पता कैसे लगाएं?
केंद्रीय कर्मचारियों के लिए CGHS अस्पतालों की सूची और जानकारी प्राप्त करना अब और भी आसान हो गया है। आप Cghs.nic.in वेबसाइट पर जाकर इस जानकारी तक पहुंच सकते हैं। इस वेबसाइट में अस्पतालों और डायग्नोस्टिक सेंटर का पता लगाने का एक विकल्प दिया गया है। यहां पर आप अपने क्षेत्र के अस्पताल को देखकर यह जान सकते हैं कि कौन सा अस्पताल CGHS के तहत उपलब्ध है और वहां कौन-कौन सी सेवाएं उपलब्ध हैं।
इस वेबसाइट पर अस्पतालों की विस्तृत जानकारी दी जाती है, जिसमें अस्पताल का पता, संपर्क नंबर, और उनकी दी जाने वाली सेवाएं शामिल हैं। इससे सरकारी कर्मचारियों को यह तय करने में मदद मिल सकती है कि किस अस्पताल में किस प्रकार का इलाज संभव है और वहां की सुविधाओं के बारे में जानकारी मिल सकती है। यदि आप किसी अस्पताल में इलाज कराने का विचार कर रहे हैं, तो यह सलाह दी जाती है कि पहले यह पुष्टि कर लें कि वह अस्पताल CGHS के तहत कवर है या नहीं।
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कैसे करें अस्पताल से संपर्क?
अगर आपने किसी अस्पताल का चयन किया है, तो यह सलाह दी जाती है कि आप पहले वहां से सीधे संपर्क करके यह सुनिश्चित कर लें कि वह अस्पताल CGHS के पैनल में शामिल है और वहां दी जाने वाली सेवाएं भी CGHS द्वारा कवर की जाती हैं। इससे आपको किसी भी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा और आप अपनी चिकित्सा जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकेंगे।
सरकारी कर्मियों को बड़ी राहत
दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला सरकारी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत लेकर आया है। अब इमरजेंसी स्थितियों में कर्मचारियों को इलाज के लिए किसी भी अस्पताल का चयन करने का अधिकार होगा, चाहे वह CGHS के तहत सूचीबद्ध हो या न हो। इस निर्णय से यह साफ हो गया है कि सरकार की प्राथमिकता हमेशा कर्मचारियों के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करना है, और इसे संविधान के तहत कर्मचारियों के स्वास्थ्य के अधिकार के रूप में माना जाएगा।