
महंगाई भत्ता-Dearness Allowance (DA) केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स को दिया जाने वाला एक विशेष भत्ता है, जो महंगाई दर के अनुसार समय-समय पर संशोधित होता है। इसका उद्देश्य बढ़ती कीमतों के बीच कर्मचारियों की क्रय शक्ति को बनाए रखना है। DA में बढ़ोतरी हर साल दो बार, यानी 1 जनवरी और 1 जुलाई को लागू होती है, और इसकी गणना उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-Consumer Price Index (CPI) के आधार पर की जाती है।
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1996 से लेकर 2025 तक महंगाई भत्ते का इतिहास
अगर हम 1 जनवरी 1996 से लेकर 1 जनवरी 2025 तक के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि DA में समय के साथ लगातार बढ़ोतरी हुई है। 1996 में DA की शुरुआत 0% से हुई थी, जो जुलाई 1996 तक 4% हो गया। इसके बाद हर 6 महीने में CPI के अनुसार इसे संशोधित किया गया।
2006 में छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद DA की गणना नए तरीके से की जाने लगी, जिससे वृद्धि दर में स्पष्ट परिवर्तन दिखा। 2016 में सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद DA की गणना फिर से नए वेतनमान के आधार पर की गई। इसी कारण जनवरी 2016 को 125% से DA पुनर्गणना के बाद 2% हो गया, लेकिन यह केवल गणनात्मक परिवर्तन था।
2021 में COVID महामारी के चलते कुछ समय के लिए DA की बढ़ोतरी रोक दी गई थी, लेकिन जुलाई 2021 में इसे एक साथ बढ़ाकर 31% कर दिया गया। उसके बाद जनवरी 2022 में 34%, जुलाई 2022 में 38%, जनवरी 2023 में 42%, जुलाई 2023 में 46%, जनवरी 2024 में 50%, जुलाई 2024 में 53% और अब जनवरी 2025 से इसे 55% कर दिया गया है।
DA में बदलाव का कारण और इसके पीछे की प्रक्रिया
DA में बदलाव का मुख्य आधार है CPI-IW (Consumer Price Index for Industrial Workers)। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि आम जनता के लिए आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में कितनी बढ़ोतरी हुई है। जब CPI में लगातार वृद्धि होती है, तो सरकार DA में भी उसी अनुपात में इजाफा करती है।
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यह प्रस्ताव केंद्रीय कैबिनेट के पास भेजा जाता है और वहां से मंजूरी के बाद इसे सभी कर्मचारियों के वेतन में जोड़ा जाता है। यह न सिर्फ केंद्र सरकार के कर्मचारियों पर लागू होता है बल्कि राज्य सरकारें भी इसी दर को अपनाकर अपने कर्मचारियों को DA देती हैं।
छठे और सातवें वेतन आयोग का प्रभाव
2006 में जब छठा वेतन आयोग लागू हुआ, तब महंगाई भत्ता सीधे 24% से शुरू हुआ और अगले कुछ वर्षों में यह 125% तक पहुंच गया। लेकिन 2016 में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद इसे पुनर्गणना के अनुसार नए वेतनमान पर 2% से शुरू किया गया।
यह प्रक्रिया दर्शाती है कि DA न केवल महंगाई को दर्शाता है, बल्कि वेतन संरचना में बदलावों का भी अभिन्न हिस्सा बन चुका है। नए वेतन आयोग लागू होते ही पुराने DA को बेसिक वेतन में जोड़कर नई गणना शुरू की जाती है।
DA में बढ़ोतरी का कर्मचारी और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
DA में हर बढ़ोतरी सीधे तौर पर करोड़ों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स की जेब में राहत लेकर आती है। इससे न केवल उनकी दैनिक जरूरतों को पूरा करना आसान होता है, बल्कि घरेलू खपत बढ़ने से देश की अर्थव्यवस्था में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
जब DA बढ़ता है, तो इसके साथ महंगाई राहत (DR) भी पेंशनर्स को मिलती है। इससे वरिष्ठ नागरिकों को आर्थिक सुरक्षा मिलती है। साथ ही, इसका असर राज्यों के बजट पर भी पड़ता है, क्योंकि राज्य सरकारें भी केंद्र के फैसले के अनुसार अपने कर्मचारियों को DA बढ़ाकर देती हैं।
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