वॉयस ऑफ एक्स सर्विसमेन सोसाइटी, जो पूर्व सैनिकों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए काम करता है, ने रक्षा मंत्रालय से एक महत्वपूर्ण निवेदन किया है। उन्होंने मांग की है कि पूर्व सैनिकों की कम्यूटेशन राशि की वसूली को 11 साल 6 महीने के बाद बंद किया जाए, जो वर्तमान में 15 साल तक जारी रहती है। सोसाइटी ने अपने निवेदन को मजबूत करने के लिए कोर्ट और ट्रिब्यूनल्स के आदेशों का हवाला भी दिया है।
कोर्ट के आदेशों का उल्लेख
सोसाइटी ने अपने पत्र में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट और आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल के आदेशों का हवाला दिया है, जो कम्यूटेशन राशि की वसूली को 11 साल 6 महीने के बाद रोकने का निर्देश देते हैं।
प्रमुख आदेश:
- पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट:
- शिला देवी और अन्य बनाम पंजाब राज्य और अन्य (CWP 9426-2023)
- राम स्वरूप जिन्दल बनाम पंजाब राज्य और अन्य (CWP 2490-2024)
- आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल:
- OA 2366 और MA 2813/2024 में, AVM (Recd) SK गगनेर्जा बनाम भारत सरकार और अन्य
रक्षा मंत्री से किया आग्रह
वॉयस ऑफ एक्स सर्विसमेन सोसाइटी ने रक्षा मंत्री से आग्रह किया है कि वे इन न्यायिक आदेशों के आधार पर, कम्यूटेशन वसूली की अवधि को 15 साल से घटाकर 11 साल 6 महीने करने के निर्देश जारी करें। उन्होंने बताया कि पंजाब और हरियाणा सरकार ने अपने सभी विभागों को इस दिशा में कदम उठाने के निर्देश दिए हैं, और अब सशस्त्र बलों के सेवानिवृत्त कर्मियों के लिए भी यही निर्णय लिया जाना चाहिए।
CGDA को भेजा पत्र
रक्षा मंत्रालय के साथ-साथ, सोसाइटी ने कंट्रोलर जनरल ऑफ डिफेंस अकाउंट्स (CGDA), दिल्ली कैंट को भी एक पत्र भेजा है, जिसमें इस मुद्दे पर आवश्यक कार्रवाई और स्पष्ट निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है।
मुद्दे का महत्व और संभावित प्रभाव
आपकी जानकारी के लिए बता दें, कम्यूटेशन राशि वह रकम होती है, जो सैनिक अपनी सेवा के दौरान 50% पेंशन के बदले में एकमुश्त प्राप्त करते हैं। वर्तमान में, इसकी वसूली 15 साल तक जारी रहती है। पूर्व सैनिकों का तर्क है कि यह वसूली 11 साल 6 महीने के बाद बंद होनी चाहिए, जिससे उन्हें आर्थिक राहत मिल सके और उनकी पेंशन में सुधार हो।
निष्कर्ष
अगर रक्षा मंत्रालय इस मांग को मान लेता है, तो इससे पूर्व सैनिकों को वित्तीय राहत मिलेगी और उनके अधिकारों के प्रति सरकार की संवेदनशीलता का प्रमाण भी मिलेगा। वॉयस ऑफ एक्स सर्विसमेन सोसाइटी अन्य पूर्व सैनिक संगठनों के साथ मिलकर इस मांग को आगे बढ़ा रही है, ताकि सभी पूर्व सैनिकों को उनके हक और सम्मान मिल सकें।