नई दिल्ली: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खबर आ सकती है। जहां एक ओर पुरानी पेंशन योजना (OPS) की वापसी की संभावना नहीं है, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) में महत्वपूर्ण बदलावों पर विचार किया जा रहा है। इन बदलावों के तहत, केंद्रीय कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में देने का प्रस्ताव है। यह कदम पेंशन विसंगतियों को दूर करने और कर्मचारियों के असंतोष को कम करने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है।
सोमनाथन समिति का गठन
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेंशन के मुद्दे पर अध्ययन और सुझाव देने के लिए वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। यह समिति NPS के तहत पेंशन की गारंटी और इससे जुड़े वित्तीय प्रभावों का आकलन कर रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने अंतरराष्ट्रीय पेंशन प्रणाली और आंध्र प्रदेश सरकार की पेंशन नीति का भी अध्ययन किया है।
NPS बनाम OPS
पुरानी पेंशन योजना (OPS) के तहत कर्मचारियों को अंतिम वेतन का आधा हिस्सा पेंशन के रूप में मिलता था, जबकि NPS में कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10% योगदान करते हैं और सरकार 14% जोड़ती है। NPS एक अंशदान-आधारित योजना है, जिससे पेंशन में उतार-चढ़ाव हो सकता है। हालांकि, 25-30 साल तक सेवा देने वाले कर्मचारियों को NPS के तहत भी अच्छे रिटर्न की संभावना होती है, लेकिन कम सेवा अवधि वाले कर्मचारियों के लिए स्थिति अलग हो सकती है।
सरकार की योजना
सरकार वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक समर्पित निधि बनाने की योजना पर भी विचार कर रही है, जो कॉर्पोरेट सेवानिवृत्ति लाभों के समान होगी। इसका उद्देश्य पेंशनभोगियों को बेहतर सुरक्षा और वित्तीय जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाना है।
हालांकि पुरानी पेंशन योजना की वापसी की संभावना नहीं है, लेकिन NPS में किए जाने वाले ये बदलाव कर्मचारियों के लिए राहत भरे साबित हो सकते हैं। अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो केंद्रीय कर्मचारियों को बेहतर पेंशन और भविष्य की वित्तीय सुरक्षा की गारंटी मिल सकती है। अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार कब और कैसे इन बदलावों को लागू करती है।
सरकार इस कहावत को चरितार्थ कररही है भट्ट जी भट्टा खाएं ,औरों को पच करवाऐं ।