Budget 2024 expectation: केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के 8वें वेतन आयोग को लेकर उठ रही मांगों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट पूर्व बैठक में ट्रेड यूनियन नेताओं ने आठवें वेतन आयोग का गठन करने, वेतनभोगी वर्ग के लिए कर छूट में वृद्धि और पुरानी पेंशन योजना की बहाली करने जैसे प्रमुख मुद्दों पर मांगे रखी हैं। श्रमिक संगठनों ने सरकार से सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को रोकने, नई पेंशन योजना को खत्म करने और पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के लिए भी कहा है।
ऐसे में ओल्ड पेंशन स्कीम और टैक्स छूट, मजदूर संगठनों की बजट से क्या-क्या मांगे (Budget 2024 expectation) रखी गई है और इसपर सरकार क्या कदम उठाएगी, चलिए जानते हैं इसकी पूरी जानकारी।
संगठनों द्वारा रखी गई ये मांगे
बता दें, संगठनों ने अपने ज्ञापन में कहा, की वेतनभोगी वर्ग के लिए उनके वेतन और ग्रैच्युटी पर आयकर छूट की अधिकतम सीमा को प्रयाप्त रूप से बढ़ाना चाहिए। असंगठित श्रमिकों और कृषि श्रमिकों के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित सोशल सिक्योरिटी फंड की स्थापना की जानी चाहिए, ताकि उन्हें न्यूनतम 9,000 रूपये प्रतिमाह पेंशन और अन्य चिकित्सा शैक्षिक लाभ आदि मिल सकें।
अनुबंध तथा आउटसोर्सिंग की बंद हो प्रथा
श्रमिक संगठनों की मांगों में उन्होंने यह भी मांग की है की केंद्र सरकार के विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों में सभी मौजूदा रिक्तियों को तुरंत भरा जाना चाहिए और अनुबंध तथा आउटसोर्सिंग की प्रथा को रोकना चाहिए। साथ ही उन्होंने आगे यह भी कहा की आवश्यक खाद्य वस्तुओं और दवाओं पर जीएसटी के जरिए आम जनता पर बोझ डालने की जगह कॉर्पोरेट कर संपत्ति कर में वृद्धि और विरासत कर को लागू करना चाहिए।
बढ़ाया जाना चाहिए मनरेगा का दायरा
इसके अलावा भारतीय मजदूर संघ ने अलग से अपनी मांग के साथ एक ज्ञापन सौंपा जिसमे उन्होंने मनरेगा का दायरा बढ़ाने और प्रत्येक परिवार को 200 दिन काम की गारंटी देने की मांग की है। इसे 100 रूपये प्रति माह की टोकन राशि और 5 लाख रूपये का सालाना कवरेज के साथ अंशदाई बनाया जा सकता है। इसके अलावा कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के कार्य को मनरेगा से जोड़ने की बात भी कही गई है, इसके अलावा ज्ञापन के अनुसार, आयुष्मान भारत योजना के मानदंडों में आय की सीमा को 1.2 लाख रूपये से बढ़ाकर तीन लाख रूपये करना चाहिए।
जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने का आवाहन
Budget 2024 को लेकर ऑटो कंपोनेंट से जुड़े उद्योग संगठन एससीएमए ने आगामी बजट में पूंजीगत व्यय को प्रोत्साहन करने, इलेक्ट्रिक वाहनों और इसके कुलपुर्जों पर जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने का आवाहन किया है। वहीं इंडिया एनर्जी स्टोरेज एलायंस के प्रेसिडेंट राहुल वालावलकर ने कहा की अभी लिथियम आयन बैटरी पर जीएसटी दर 18% और अन्य बैटरी पर 28% है।
इसपर उनकी मांग है की सभी तरह की बैटरी 18% जीएसटी के दायरे में आए, इसके अतिरिक्त चार्जिंग इंफ्रा सेवाओं और बैटरी स्वैपिंग सेवाओं पर लगने वाली जीएसटी दर को 28% से घटाकर पांच या 18% किया जाना चाहिए।
Kuchh nhi milega