
Employees’ Provident Fund Organisation-EPFO से Higher Pension की मांग करने वाले पेंशनर्स को अब एक बड़ी राहत मिली है। हाल ही में Kerala High Court ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया कि केवल तकनीकी या प्रक्रियात्मक गलतियों के आधार पर EPFO पेंशनर्स को Higher Pension से वंचित नहीं किया जा सकता, अगर उन्होंने अपनी सेवा अवधि के दौरान पूरे वेतन पर योगदान किया है—even अगर वह योगदान bulk में किया गया हो।
EPFO Pension प्रणाली में न्याय का सिद्धांत और उच्च न्यायालय की भूमिका
EPFO की स्थापना 1995 में Employees’ Provident Funds and Miscellaneous Provisions Act, 1952 के तहत हुई थी, जिसका उद्देश्य कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। Supreme Court के EPFO बनाम Sunil Kumar मामले में दिए गए ऐतिहासिक निर्णय के बाद, अब Kerala High Court ने भी एक और निर्णायक भूमिका निभाते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रक्रियात्मक अनियमितताएं न्याय के मूल उद्देश्य को विफल नहीं कर सकतीं।
कोर्ट ने कहा कि जब कर्मचारी और नियोक्ता दोनों ने EPF Scheme, 1952 के पैराग्राफ 26(6) के अनुसार योगदान दिया है, तो कर्मचारी को Higher Pension मिलनी ही चाहिए। यह निर्णय ना केवल न्याय का परिचायक है, बल्कि हजारों पेंशनर्स के लिए आशा की नई किरण भी बन गया है।
थिरुवनंतपुरम क्षेत्रीय को-ऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन के रिटायर्ड कर्मचारियों की याचिका पर आया फैसला
चार रिटायर्ड कर्मचारियों ने Kerala High Court में याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने EPFO द्वारा Higher Pension से इनकार किए जाने पर आपत्ति जताई थी। EPFO का तर्क था कि ये योगदान मासिक न होकर bulk में किया गया था, जो नियमों के अनुरूप नहीं है। लेकिन अदालत ने इस तर्क को खारिज करते हुए यह निर्णय दिया कि पूर्ण वेतन पर योगदान करने वाले कर्मचारियों को Higher Pension मिलनी चाहिए, चाहे वह भुगतान एक साथ या देरी से क्यों न किया गया हो।
पेंशन नियमों की निष्पक्ष व्याख्या की आवश्यकता पर जोर
Zeus Laws के Managing Partner सुनील त्यागी ने इस निर्णय को कर्मचारियों के पेंशन अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया। उन्होंने कहा, “यह फैसला यह सुनिश्चित करता है कि कर्मचारी को उनके योगदान के आधार पर न्याय मिले। यह कार्यकर्ताओं की बड़ी जीत है और पेंशन प्रणाली को अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।”
त्यागी के अनुसार यह निर्णय उन हज़ारों पेंशनर्स को लाभ पहुंचा सकता है, जिनके Higher Pension के दावे केवल प्रक्रियात्मक त्रुटियों के कारण अस्वीकृत किए गए थे। इसके दूरगामी प्रभाव होंगे और अन्य उच्च न्यायालयों को भी इसी दिशा में सोचने के लिए प्रेरित करेगा।