पेंशनभोगियों के लिए बड़ी राहत, 15 साल पेंशन कटौती पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, याचिकाओं पर किया जाएगा पुनर्विचार

हाईकोर्ट ने पेंशनधारकों की पेंशन कटौती के खिलाफ 100 से अधिक याचिकाओं पर रोक लगाई है, जिससे उन्हें तत्काल राहत मिली है। यह निर्णय 12 लाख से अधिक पेंशनधारकों को लाभान्वित करेगा।

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Written by Rohit Kumar

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पेंशन कटौती पर पेंशनर्स को मिली बड़ी राहत, हाईकोर्ट ने जारी किया आदेश

भारतीय पेंशनधारकों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत की घोषणा हुई है। हाल ही में, एक हाईकोर्ट ने पेंशनधारकों के पक्ष में एक निर्णय सुनाया है, जिसमें पेंशन राशिकरण (पेंशन बेचने) के बाद उनकी पेंशन से 15 साल तक होने वाली कटौती पर तत्काल रोक लगा दी गई है। यह फैसला 100 से ज्यादा याचिकाओं के आधार पर आया है जिन्हें पेंशनरों ने दाखिल किया था।

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न्यायिक निर्णय और इसके प्रभाव

हाईकोर्ट का यह निर्णय वित्त विभाग द्वारा भी समर्थित है, जिसने कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए पेंशन कटौती पर रोक लगा दी है। इस कदम से पेंशनरों को उनकी पूर्ण पेंशन प्राप्त करने में तत्काल राहत मिली है, और इसका असर प्रदेश के 12 लाख से अधिक पेंशनधारकों पर पड़ेगा।

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अवधि की असमानता

याचिकाकर्ताओं ने बताया है कि हरियाणा, पंजाब, और गुजरात जैसे राज्यों में पेंशन कटौती की अवधि 11 से 13 साल के बीच है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह अवधि 15 साल तक है। इस असमानता के चलते पेंशनरों ने मांग की है कि कटौती अवधि को 10 साल तक घटाया जाए। इस मांग का आधार यह है कि बैंकों की ब्याज दरें घटी हैं और वर्तमान में 15 साल तक कटौती जारी रखना उचित नहीं है।

वित्त विभाग का पक्ष

वित्त विभाग ने इस बहस में स्पष्ट किया है कि पेंशन राशिकरण कोई ऋण नहीं है बल्कि यह एक सुविधा है जो पेंशनरों को सेवानिवृत्ति के बाद उनकी आपातकालीन जरूरतों के लिए एकमुश्त राशि उपलब्ध कराती है। इसके अलावा, वित्त विभाग ने यह भी बताया कि अगर किसी पेंशनर का निधन हो जाता है, तो सरकार उस पर से ऋण माफ कर देती है और उनके परिजनों से इसकी वसूली नहीं की जाती है।

हाईकोर्ट का यह फैसला पेंशनधारकों के लिए एक बड़ी जीत है, और यह दिखाता है कि न्यायिक प्रणाली पेंशनधारकों के हक में कैसे काम कर सकती है। इस फैसले से न केवल तत्काल राहत मिली है बल्कि भविष्य में इस तरह की मांगों को लेकर नीतियों में बदलाव की उम्मीद भी जगी है।

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