Pension Rules: भारतीय सेना ने हाल ही में रक्षा मंत्रालय को एक महत्वपूर्ण सिफारिश भेजी है जिसमें पेंशन नियमों में सुधार की बात कही गई है, ताकि सैनिकों की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी और माता-पिता दोनों को आर्थिक सहायता प्राप्त हो सके। इस प्रस्ताव में जवान और अधिकारियों के लिए नियमों में एकरूपता लाने की भी बात कही गई है।
पृष्ठभूमि और आवश्यकता
यह सिफारिश सियाचीन में शहीद हुए कैप्टन अंशुमान सिंह के मामले के बाद सामने आई है, जहां उनके माता-पिता ने पेंशन नियमों में संशोधन की मांग की थी। उनका कहना था कि कैप्टन की पत्नी द्वारा परिवार को छोड़ दिए जाने के बाद उन्हें आर्थिक सहायता की आवश्यकता है। इस घटना ने नियमों में बदलाव की आवश्यकता को उजागर किया है, ताकि सैनिकों के परिजनों को उचित सहायता मिल सके।
मौजूदा नियमों की विस्तार से समीक्षा
वर्तमान में, ‘आफ्टर मी फोल्डर’ फॉर्म के माध्यम से सैनिकों को उनके निकटतम परिजन (नेक्स्ट ऑफ किन – NOC) की जानकारी दर्ज करनी होती है। अविवाहित सैनिकों के मामले में उनके माता या पिता NOC हो सकते हैं, विवाहित होने पर यह स्थान पत्नी ले लेती है।
पेंशन तीन प्रकार की होती है:
- ओर्डिनरी फैमिली पेंशन – सामान्य मौत पर आखिरी सैलरी का 30%।
- स्पेशल फैमिली पेंशन – ड्यूटी के दौरान मृत्यु पर सैलरी का 60%।
- लिब्रलाइज्ड फैमिली पेंशन – युद्ध में शहादत पर सैलरी का 100%।
सिफारिशें और अपेक्षित प्रभाव
सेना की सिफारिश के अनुसार, जवान और अधिकारियों की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी और माता-पिता दोनों को पेंशन का हिस्सा मिलना चाहिए। यह न केवल परिवार के सदस्यों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि सैनिकों की आकस्मिक मृत्यु के बाद उनके परिवार के सदस्य वित्तीय रूप से संरक्षित रहें।
इस प्रस्तावित सुधार से यह उम्मीद की जा सकती है कि सैनिकों के परिवारों को बेहतर समर्थन और सुरक्षा प्रदान की जाएगी, जिससे उन्हें अपने जीवन में वित्तीय दृढ़ता और स्थिरता हासिल हो सके। यह भी उम्मीद की जाती है कि रक्षा मंत्रालय इन सिफारिशों को अपनाकर पेंशन प्रणाली में जरूरी सुधार करेगा।