कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (EPS 95) के तहत पेंशनरों की लंबे समय से चली आ रही समस्याएं एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में पेंशन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया, जिससे देशभर के पेंशनभोगियों को नई उम्मीदें मिली हैं। विशेषकर वे पेंशनभोगी, जो लंबे समय से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, अब न्याय की उम्मीद में हैं।
मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी
हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने उच्च न्यायालय की बेंच में पदोन्नत होकर सेवानिवृत्त हुए जिला न्यायाधीशों को दी जाने वाली मामूली पेंशन पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की पेंशन 6000 से 25,000 रुपए के बीच है, जो उनके लंबे करियर और न्यायिक सेवा को देखते हुए बहुत कम है।
इस टिप्पणी ने केवल न्यायाधीशों के ही नहीं, बल्कि देशभर के अन्य पेंशनभोगियों के दिलों में भी नई उम्मीदें जगा दी हैं, जो न्यूनतम पेंशन की बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। EPS 95 के तहत न्यूनतम पेंशन 1000 रुपए है, और यह राशि देशभर के पेंशनरों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनी हुई है। पेंशनभोगी इस राशि को बढ़ाकर 7500 रुपए करने की मांग कर रहे हैं, ताकि उन्हें अपने जीवन के अंतिम वर्षों में सम्मानजनक जीवनयापन मिल सके।
पेंशनरों की व्यथा
पेंशनरों की व्यथा केवल न्यायाधीशों तक सीमित नहीं है। निजी स्कूलों के शिक्षक, जिन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय मामूली वेतन पर समाज की सेवा में बिताया, आज उन्हीं की हालत सबसे ज्यादा दयनीय है। एक पेंशनभोगी ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे शिक्षक जो न्यायाधीशों जैसे महत्वपूर्ण पदों पर पहुंचे, उन्हें आज मात्र 1000 रुपए की EPS 95 पेंशन दी जा रही है। यह राशि उनके जीवन के बाकी हिस्सों को सम्मानपूर्वक जीने के लिए नाकाफी है।
देशव्यापी आंदोलन और राजनीतिक ध्यान
EPS 95 न्यूनतम पेंशन को लेकर देशभर में एक बड़ा आंदोलन खड़ा हो चुका है। पेंशनरों की यह आवाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, श्रम मंत्री मंसुख मांडविया और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तक पहुंच चुकी है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) भी इस मामले में सक्रिय भूमिका निभा रहा है, लेकिन पेंशनरों की मांगों को अभी तक पूरा नहीं किया गया है।
पेंशनभोगियों का कहना है कि वे केवल 7500 रुपए मासिक पेंशन, महंगाई भत्ता (DA) और चिकित्सा सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। उनकी इस मांग को न्याय और सामाजिक सुरक्षा के आधार पर उचित ठहराया जा रहा है।
निष्कर्ष
EPS 95 पेंशनरों की समस्या केवल आर्थिक नहीं, बल्कि एक सामाजिक मुद्दा भी है, जो देशभर के लाखों सेवानिवृत्त कर्मचारियों को प्रभावित करता है। मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी ने इस मुद्दे को एक बार फिर से मुख्यधारा में ला दिया है। अब देखना यह है कि क्या सरकार और संबंधित संस्थाएं इस दिशा में ठोस कदम उठाकर पेंशनरों को न्याय दिलाने में सक्षम होती हैं या नहीं।