बजट: नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री, श्रीमती निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) की वर्तमान स्थिति और भविष्य की योजनाओं का व्यापक रूप से आकलन किया गया। इस समीक्षा बैठक में वित्तीय सेवा विभाग (DFS), रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RRB), भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI), राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) और प्रायोजक बैंकों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक का उद्देश्य और प्रमुख बिंदु
बैठक का मुख्य उद्देश्य RRB के प्रदर्शन का मूल्यांकन करना और उनके द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदान की जाने वाली वित्तीय सेवाओं की गुणवत्ता को उन्नत करना था। इस दौरान वित्तीय प्रौद्योगिकी सेवाओं को बेहतर बनाने, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्लस्टरों में व्यवसायिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने और ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग की पहुंच को अधिक प्रभावी बनाने पर जोर दिया गया।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने RRB को ग्रामीण अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा बताते हुए उनकी अहम भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी कहा कि इन बैंकों को अपने प्रायोजक बैंकों से मजबूत सहयोग प्राप्त करना चाहिए, ताकि पीएम विश्वकर्मा और पीएम सूर्य घर जैसी सरकारी योजनाओं के तहत ऋण वितरण में पारदर्शिता बनी रहे और लाभार्थियों की सही पहचान की जा सके।
RRB के वित्तीय प्रदर्शन में सुधार
सीतारमण ने 2022 से RRB के वित्तीय प्रदर्शन में सुधार की सराहना की। वित्त वर्ष 2023-24 में RRB ने 7,571 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इसके साथ ही, सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए) अनुपात 6.1% पर पहुंच गया, जो पिछले एक दशक का सबसे निचला स्तर है। इन आंकड़ों ने स्पष्ट किया कि आरआरबी अपनी वित्तीय स्थिति को लगातार मजबूत कर रहे हैं।
दूरस्थ क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाएँ
केंद्रीय वित्त मंत्री ने जोर दिया कि डिजिटल बैंकिंग सेवाएँ, जैसे मोबाइल बैंकिंग, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं जहां परिवहन और कनेक्टिविटी की चुनौतियां अधिक हैं, जैसे पूर्वोत्तर राज्य और पहाड़ी क्षेत्र। उन्होंने आरआरबी को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि वे नवीनतम प्रौद्योगिकी को अपनाएं और डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा दें, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं की पहुंच बढ़ सके।
प्रायोजक बैंकों की भूमिका भी इस दिशा में महत्वपूर्ण है। उन्होंने RRB को तकनीकी सहायता प्रदान करने, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और आवश्यक संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए प्रायोजक बैंकों की जिम्मेदारी को रेखांकित किया।
MSME क्लस्टरों के लिए सक्रिय प्रयास
सीतारमण ने MSME क्लस्टरों में स्थित RRB शाखाओं से छोटे और सूक्ष्म उद्यमों को ऋण प्रदान करने के लिए सक्रिय प्रयास करने का आह्वान किया। इनमें वस्त्र, हस्तशिल्प, लकड़ी के फर्नीचर, मिट्टी के बर्तन, जूट हस्तशिल्प, चमड़ा और खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों से जुड़े उद्यम शामिल हैं। इन क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं की पहुंच बढ़ाकर, RRB अपनी ऋण वितरण क्षमता को और अधिक बढ़ा सकते हैं।
SIDBI और अन्य संस्थाओं की भूमिका
समीक्षा बैठक में SIDBI को भी निर्देश दिया गया कि वह RRB को सह-उधार और जोखिम-साझाकरण मॉडल विकसित करने में सहायता करे, ताकि SIDBI के लिए पुनर्वित्त प्रदान किया जा सके। यह पहल MSME क्षेत्र में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और RRB के लिए नए वित्तीय अवसर उत्पन्न करने की दिशा में महत्वपूर्ण होगी।
निष्कर्ष
केंद्रीय वित्त मंत्री की इस समीक्षा बैठक ने स्पष्ट कर दिया कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को ग्रामीण भारत के आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में देखा जा रहा है। उनका डिजिटल तकनीकों का विस्तार, MSME के लिए वित्तीय सेवाओं की पहुंच, और उनके प्रायोजक बैंकों से समर्थन, भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होंगे।
इस दिशा में RRB की सफलताएं न केवल ग्रामीण विकास को गति देंगी, बल्कि देश की समग्र आर्थिक स्थिति को भी मजबूती प्रदान करेंगी।